पुणे स्थित आलंदी में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरी जी महाराज का 75वां जन्मोत्सव बड़े हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित गीता भक्ति अमृत महोत्सव के पांचवे दिन प्रतिष्ठित अतिथियों और उत्साही अनुयायियों की उपस्थिति ने समागम की सुंदरता को और बढ़ा दिया। उत्साहित भक्तों के भक्तिभाव ने संपूर्ण वातावरण को भक्तिमय कर दिया। दिन की शुरुआत ज्ञानेश्वरोपासना सत्र हुई, जहां श्री गोविन्ददेव गिरिजी महाराज ने ज्ञानेश्वर मौली की पूजा करके, पवित्र शिक्षाओं को जीवन में आत्मसात करने पर बल दिया।
मैं यहां आकर अपने को धन्य महसूस कर रहा
संत समागम में पधारे बागेश्वर पीठ के आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि मैं पवित्र आलंदी तीर्थ आकर अपने को धन्य मानता हूं। यह परम पावन भूमि पर संतों -ऋषियों की है। ऐसे में इस विराट उत्सव में एक साथ देश के श्रद्धेय सतों का सान्निध्य पाकर गौरवान्वित अनुभव कर रहा है। पूज्य गुरुओं की उपस्थिति, पवित्र यज्ञ, गोमाता की दिव्यता का साक्षी बनकर मैं स्वामी जी के प्रति कृतज्ञय हूं। मैं श्रद्धा के साथ कहता हूं कि इस आध्यात्मिक वातावरण ने मेरे दिन को असाधारण बना दिया है। मैं सभी गुरुओं, संतों, मनीषियों के प्रति अपनी कृतज्ञता अर्पित करता हूं। और इस पवित्र महोत्सव के लिए पूज्य स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरिजी महाराज के प्रति गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं,क्योंकि वह अपने ज्ञान, साधना से हमें दिव्यता की ओर लें जा रहे हैं।
आध्यात्मिक जागृति और ज्ञानोदय यात्रा है यह उत्सव
समागम के केंद्र स्वामी श्री गोविन्ददेव गिरजी महाराज ने कहा कि गीता भक्ति अमृत महोत्सव एक आध्यात्मिक जागृति और ज्ञानोदय यात्रा है। आलंदी की भूमि में श्रीमद्भगवद गीता की दिव्य शिक्षाओं को आत्मसात करना और सच्ची भक्ति का अनुभव करना हमारे लिए सम्मान की बात है। आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी आज समाज के बीच लोकप्रिय हैं और उनका बौद्धिक ज्ञान एक मार्गदर्शक की भांति प्रकाशवान हो रहा है।
आकर्षण का केंद्र 81 कुंडीय यज्ञ
चार फरवरी से चल रहे आयोजन का प्रमुख आकर्षण 81 कुंडीय अभूतपूर्व महायज्ञ है। प्रत्येक दिन अलग-अलग यजमानों की उपस्थिति में समाज कल्याण के लिए यज्ञ आयोजित किया जाता है। 2000 से अधिक वैदिक आचार्यों द्वारा वेद मंत्रों की पवित्र ध्वनि समूचे वातावरण को आध्यात्मिक उर्जा से भर देती है। उल्लेखनीय है कि देश भर से प्रमुख वैदिक विद्वान इस विराट महोत्सव में शामिल हुए।
सेवा का हुआ सम्मान
राष्ट्रभक्ति सम्मेलन के बाद प्रतिष्ठित व्यक्तियों को राष्ट्र के विकास और कल्याण में योगदान देने के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया। दिन भर चले इस उत्सव का समापन पूज्य एच.बी.पी. के नेतृत्व में एक मनमोहक कीर्तन संध्या के साथ हुआ। श्री पांडुरंगजी महाराज घुले ने अपने भक्तिपूर्ण संकीर्तन से उपस्थित श्रोत्राओं को भावविभोर कर दिया। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज, पूज्य श्री आनंदमूर्ति गुरु मां, धर्मरत्न स्वामी श्री गोपालशरण देवाचार्यजी महाराज, पूज्य श्री जीतेंद्रनाथजी महाराज, जैसे संतों की गरिमामय उपस्थिति रही।
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