7 फरवरी को भव्य महोत्सव के चौथे दिन, महिला सशक्तीकरण पर गहन विचार-विमर्श हुआ। हमारे समाज में महिलाओं का विशेष महत्व है, एवं उनकी प्रगति तथा उन्नत स्थिति परिवार तथा समाज की उन्नति को सीधे प्रभावित करता है। गीता परिवार महिलाओं को परिवार एवं समाज में उनका उच्चस्थ स्थान एवं सम्मान दिलाना अपना अत्यंत निजी कर्तव्य समझता है एवं इस हेतु कटिबद्ध भी है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु ही “मातृशक्ति सम्मेलन” का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में पूज्य श्री श्री रविशंकर जी महाराज, प्रसिद्ध कार्यकर्ता श्रीमती राजश्रीजी बिड़ला और अन्य प्रमुख संत तथा विभूतियाँ उपस्थित रहीं।
▪️पवित्र देवाची आलंदी में पहली बार 81 हवन कुंडी का महायज्ञ,
▪️2000 से अधिक वैदिकों द्वारा पवित्र ग्रंथों के सतत जाप से तरंगित नित्य स्पंदन,
▪️अलग-अलग यजमानों की उपस्थिति में समाज के कल्याण हेतु प्रतिदिन होने वाले महायज्ञ
इस दिव्य आयोजन के प्रमुख आकर्षणों के अनुभव से अभिभूत भक्तजन ‘गीता भक्ति अमृत महोत्सव’ की आनंदानुभूति का वर्णन करते-करते अघा नहीं रहे हैं। जीवन में सौभाग्य से मिलने वाले अवसर का लाभ लेने से कोई भी चूकना नहीं चाहता है।
“श्री राम जय राम, जय जय राम” दिव्य मंत्रो के भावपूर्ण उद्घोष के साथ “देवाची आलंदी” में गीता भक्ति अमृत महोत्सव समारोह में “भागवत कथा” के तीसरे दिन की शुरुआत हुई। भक्तों का उत्साह एवं प्रेम से परिपूर्ण जय घोष से रोम रोम हर्षित हो रहा था और प्रतीत हो रहा था, मानो भगवान स्वयं साक्षात् उपस्थित होकर अपने प्रत्येक भक्त की पुकार सुन रहे हैं।
स्वामीजी का भक्तवत्सल कोमल भाव आज फिर से हम सब के समक्ष प्रकट हुआ, जब विभिन्न क्षेत्रों एवं विधाओं में निपुण बारह सफल महिलाओं का महोत्सव के चतुर्थ दिन भव्य सम्मान हुआ। इन सभी दिव्य मातृशक्तियों ने अपना सम्पूर्ण जीवन सामाजिक उत्थान एवं सशक्तिकरण हेतु निष्काम भाव से समर्पित कर दिया। इन परम आदरणीया मातृ ज्योतियों के नाम क्रमश: श्रीमती लताताई भिशीकर जी, भाग्यलता पाटस्कर जी, प्रमिला माहेश्वरी जी, इंदुमती कटदरे जी, लीना मेहेंदाले जी, विजया गोडबोले जी, ललिता मालपानी जी, लीना रस्तोगी जी, कल्याणी नामजोशी जी, सरोजा भाटे जी, डॉ. मंगला चिंचोर जी एवं मंदा गंधे जी हैं। स्वामीजी तथा उपस्थित सभी अतिथियों ने इन सभी तेजस्वी महिलाओं को उनके निस्वार्थ योगदान एवं उपलब्धियों हेतु भूरी-भूरी प्रशंसा एवं सराहना की।
परम पूज्य श्री गोविंद गिरजी महाराज ने कहा, “आज, 12 उल्लेखनीय महिलाओं का सम्मान करते हुए, आइए हम उनके मूल्यवान प्रयासों और कठोर परिश्रम को स्वीकारोक्ति देकर सम्मानित करें, यह हमारी सांस्कृतिक विरासत के मूल दर्शन को परिलक्षित करते हैं। आप सभी का निष्काम योगदान समाज के कल्याण और हमारी परंपराओं में निहित कालातीत ज्ञान की रक्षा के प्रति आपकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है।”
इस पावन आध्यात्मिक महोत्सव में स्वामी श्री गोविंद देव गिरिजी महाराज, पूज्य श्री श्री रविशंकर जी महाराज, आदरणीय श्री सुधांशुजी महाराज, आदरणीय श्रीमती राजश्रीजी बिड़ला, आदरणीय सुश्री साध्वी ऋतंभराजी दीदी मां, आदरणीय श्री चिन्ना जीयर स्वामी जी महाराज एवं पूज्य बाबा श्री सत्यनारायण जी मौर्य जैसे सम्मानित आध्यात्मिक गुरुओं और बुद्धिजीवियों की दिव्य उपस्थिति पाकर सभी के चेहरे हर्ष एवं आनंद से खिल गए।
गीता भक्ति अमृत महोत्सव पर अपने भावपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए, पूज्य श्री श्री रविशंकर जी महाराज ने कहा, “आपने भारत के संपूर्ण संत समुदाय को ज्ञान के सूत्र में बाँध दिया है, और वह ज्ञान का सूत्र कोई और नहीं बल्कि स्वयं दिव्य भगवान कृष्ण हैं। इसके लिए स्वामीजी को मैं, मेरा विशेष आभार व्यक्त करता हूँ । आपका यह पावन उत्सव, गीता भक्ति अमृत महोत्सव, एक संयोग नहीं बल्कि एक दैवीय व्यवस्था है।
आलंदी की पवित्र भूमि पर इस महोत्सव में भक्ति की लहरें इतनी गहरी हैं कि नास्तिक भी इसके प्रभाव से बच नहीं सकते।
भारत माँ की आरती के लिए प्रसिद्ध बाबा श्री सत्यनारायण मौर्य जी को आमंत्रित किया गया एवं भाव-विभोर करने वाली ‘भारतमाता की आरती’ के साथ ही आज का दिन अपने गंतव्य पर पहुंच गया। अपने अनूठी शैली में, बाबा जी ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से भारत के समृद्ध इतिहास को सभी के समक्ष प्रस्तुत किया, एक भारतीय होने का यथार्थ महत्व एवं सूत्र सभी को उजागर किया। अपनी असाधारण कला कौशल, भाषण शैली, शब्द विन्यास एवं संगीत प्रस्तुतियों के द्वारा, बाबा जी ने सभा में उपस्थित सभी साधकों पर ऐसा सकारात्मक प्रभाव छोड़ा तथा ज्ञानवर्धन किया, जिससे सभी के मन में राष्ट्र प्रेम एवं गर्व की भावना उमड़ पड़ी।
गीता भक्ति अमृत महोत्सव : विहंगम दृष्टि
वेद व्यास प्रतिष्ठान और गीता परिवार द्वारा आयोजित गीता भक्ति अमृत महोत्सव समृद्ध भारतीय सनातन संस्कृति, देशभक्ति, ईश्वर भक्ति और आधुनिक भारत में आध्यात्मिकता का एक अनूठा सम्मिश्रण है। इन दिनों 2000 से अधिक वैदिक आचार्यों द्वारा दिव्य, अभूतपूर्व भव्य 81 कुंडीय महायज्ञ किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में भागवत कथा, हरिकीर्तन, दिव्य पवित्र ग्रंथों के निरंतर जप के साथ भक्ति की भावना बढ़ेगी। 450 से अधिक कलाकार महाकाव्य रामायण और भारतीय संत परंपरा पर आधारित महानाट्य प्रस्तुत करेंगे। इस पावन पर्व का उद्देश्य हमारी दिव्य वैदिक विरासत, समृद्ध भारतीय संस्कृति और राष्ट्र एवं राम-कृष्ण भक्ति का हर्ष उल्लासपूर्ण उत्सव मनाना है।
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