आशुतोष पांडेय
नेहरू को सिर्फ पहिया मिला था नेहरू ने मेहनत से उसे स्कूटर बनाया। कांग्रेसी और वामपंथी इतिहासकारों ने एक साजिश के तहत ये झूठ फैलाया है कि जवाहरलाल नेहरु आधुनिक भारत के निर्माता हैं। सच्चाई ये है कि अंग्रेजों ने नेहरू को एक तेज रफ्तार में चलती गाड़ी का स्टीयरिंग थमाया था।
भारत में पहला छोटा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अंग्रेजो ने दार्जिलिंग में 1897 में बनाया था, जो 130 किलोवाट का था, जिसका नाम सिद्रपोंग था और तीस्ता नदी पर बनाया गया था। भारत में पहला बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मैसूर के राजा ने कोलार की खान से सोना निकालने के लिए कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम फाल पर 1887 में बनाया जो 1902 में पूरा हुआ, ये 7.92 मेगावाट का था और 1938 तक इसकी क्षमता बढ़कर 47 मेगावाट हो गई थी। इसका ठेका अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक को दिया गया था। शिप से टरबाइन और अन्य साजो-सामान आये फिर उन्हें सैकड़ों हाथियों पर लादकर साईट तक ले जाया गया था। 1940 में मैसूर दरबार ने शिम्सपुरा हाइड्रो पॉवर स्टेशन बनाया, जिसकी क्षमता 17.2 (2 X 8.6) मेगावाट थी और इसको भी कावेरी नदी पर बनाया गया था।
आजादी तक भारत में कुल 300 छोटे बड़े पॉवर प्रोजेक्ट कार्यरत थे, जिसमें कई कोयला आधारित थर्मल प्रोजेक्ट भी थे। दोराबजी टाटा ने 1910 में ही टाटा पावर नामक कम्पनी बनाई थी और पश्चिमी घाट पर तीन बड़े हाइड्रो स्टेशन बनाये। दोराबजी ने टाटा पॉवर द्वारा 1915 में महाराष्ट्र के खोपोली में 40 मेगावाट का विशाल पावर प्रोजेक्ट बनाया। इसके बाद 1922-25 में भिवपुरी में 48 मेगावाट और 1927 में भीरा में 90 मेगावाट का प्रोजेक्ट हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट लगाया। टाटा पावर 1947 तक भारत में 23 बड़े पॉवर प्रोजेक्ट बना चुकी थी और बम्बई, दिल्ली और कोलकाता में इलेक्ट्रिक डिस्ट्रीब्यूशन नेट्वर्क बना चुकी थी
राज्यों मे थे पावर प्रोजेक्ट
भारत के हैदराबाद, बीकानेर, जोधपुर, बडौदा, ग्वालियर सहित तमाम रियासतों ने अपने राज्यों में कई पॉवर प्रोजेक्ट बनवाये थे। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि 1947 तक चीन भारत से पॉवर, रेल, सडक तथा सेना आदि तमाम क्षमताओ में काफी पीछे था। अंग्रेजो ने नेहरू को चाय और काफी के विशाल बगान बनाकर दिए थे। उन बागानों तक जो काफी दुर्गम पहाड़ों पर थे, वहां अंग्रेजों ने सिचाई, रेल, सड़क आदि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित किये थे। अंग्रेजों ने नेहरू को बीस विशाल बंदरगाह और 23 एयरपोर्ट बनाकर दिए थे। भारत के हर इलाके में आधुनिक यूनिवर्सिटी और कॉलेज खोले। मद्रास, दिल्ली, मुंबई, कराची में सेंट स्टीफन कॉलेज, सियालकोट में मरे कॉलेज, अजमेर में मेयो कॉलेज सहित पूरे भारत में 350 कॉलेज और 23 यूनिवर्सिटी अंग्रेजों ने नेहरू को दी थी।
• सेरामपोर कॉलेज, हावड़ा – 1818
कैरे, मार्शमैन और वॉर्ड ने स्थापित किया
• आईआईटी रूड़की- 1847
• अंग्रेजों के साशनकाल में पहला इंजीनियरिंग कॉलेज था
• मुंबई यूनिवर्सिटी- 1857
• मद्रास यूनिवर्सिटी- 1857
• कलकत्ता यूनिवर्सिटी- 1857.
• अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी – 1875.
– एंग्लो मुहम्मद ओरियंटल कॉलेज नाम था, जिसे सर सैयद अहमद खांन ने स्थापित किया था
• इलाहाबाद यूनिवर्सिटी -1887
– कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास के बाद चौथी यूनिवर्सिटी थी। इसकी स्थापना का श्रेय सर विलियम मूर को जाता है।
• पंजाब विश्वविद्यालय – 1882
• बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय -1916, यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर -1916, पटना यूनिवर्सिटी, नागपुर यूनिवर्सिटी, काशी विद्यापीठ सहित 49 बड़े विश्वविद्यालय थे। 1947 तक भारत शिक्षा संस्थानों में तीसरे नम्बर पर था।
अंग्रेजों ने नेहरू को विशाल सेना दी थी। ब्रिटिश इंडियन आर्मी 1895 में स्थापित हुई थी। अंग्रेज आठ कमांड बनाकर गये थे, जिसमे 2 पाकिस्तान में चले गये। ब्रिटिश इंडियन आर्मी प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में बहादुरी से लड़ी थी। अंग्रजों ने नेहरू को 45 सैनिक छावनियां और विशाल रॉयल एयरफोर्स दी थी। भारत विश्व में तीसरा देश था जिसने वायुसेना बनाई। यानी चीन के पहले ही अंग्रेजों ने भारत को विशाल और आधुनिक वायुसेना बनाकर दी थी।
भारत का विशाल रेल नेटवर्क
आज देश में जितना भी रेलवे नेटवर्क है, उसका 67% वर्ष 1947 तक बन चुका था। भारत का ये विशाल रेल नेटवर्क नेहरू का नहीं बल्कि अंग्रेजों की देन है। उन्होंने विशाल नदियों पर पुल बनाये, दुर्गम पहाड़ों को काटकर रेल लाइन बनाई। भारत विश्व में चौथा देश और एशिया का पहला देश है जहां रेल चली। भारत में 1853 में रेल चली, जबकि इसके 30 साल बाद चीन में रेल चली।
(The first railroad to operate commercially in China opened in Shanghai in July 1876. The railway, known as the Woosung Road, ran from the American Concession in the present-day Zhabei District to Woosung in the present-day Baoshan District and was built by the British trading firm, Jardine, Matheson and Co)
भारत में विशाल चाय बागान
भारत में पहली लिफ्ट ओटिस कम्पनी ने 1890 में मैसूर पैलेस में लगाई थी। भारत में विशाल चाय बागान और सागौन की लकड़ी के बागान लगाने वाली कम्पनी पारसी वाडिया खानदान की थी, जिसका नाम था बाम्बे बर्मा ट्रेडिंग कम्पनी लिमिटेड है, ये कम्पनी 1863 में बनी थी और एशिया की बड़ी कम्पनी थी।
1865: ALLAHABAD BANK
1892: BRITANNIA INDUSTRIES LTD
1895: PUNJAB NATIONAL BANK
1897: CENTURY TEXTILES AND INDUSTRIES LTD
1897: GODREJ AND BOYCE MANUFACTURING CO. LTD
1899: CALCUTTA ELECTRICITY SUPPLY CORPORATION
1902: SHALIMAR PAINT COLOUR AND VARNISH CO.
1903: INDIAN HOTELS CO. LTD
1908: BANK OF BARODA
1911: TVS
1904: KUMBAKONAM BANK LTD
1905: PHOENIX MILLS LTD
1906: CANARA BANKING CORP. (UDIPI) LTD
1906: BANK OF INDIA
1907: ALEMBIC PHARMACEUTICALS LTD
1907: TATA STEEL LTD सहित चार सौ से ज्यादा बड़ी कम्पनियां 1947 में पहले बन चुकी थीं और 80 से ज्यादा बैंक थे।
फिर नेहरू आये और…
यानी चाहे शिक्षा हो या बैंकिंग या इन्फ्रास्ट्रक्चर या रेलवे या ऊर्जा हो, 1947 तक भारत हर फील्ड में टॉप पर था। फिर भी कांग्रेसी कहते हैं कि नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता हैं। कांग्रेसी इस तरह से प्रचारित करते हैं जैसे कि 1947 तक भारत एकदम पिछड़ा था। कोई स्कूल तक नहीं था। लोग लालटेन युग में जीते थे फिर नेहरू आये और मात्र 10-12 सालों में भारत को आधुनिक बना दिया।
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