हरिद्वार। उत्तराखण्ड सरकार की कैबिनेट बैठक में समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) के ड्राफ्ट को स्वीकार किए जाने और 6 फरवरी को विधान सभा के सत्र में रखे जाने के फैसले का विश्व हिंदू परिषद ने स्वागत किया है। विहिप उत्तराखण्ड के प्रान्त संगठन मंत्री अजय कुमार ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन का शुभारंभ देवभूमि उत्तराखंड से होने जा रहा है।
अजय कुमार ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 44 सभी सरकारों को पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का निर्देश देता है। उत्तराखण्ड राज्य में समरूपता स्थापित करने के लिए एक प्रकार के कानून, एक प्रकार की विधि व्यवस्था, एक प्रकार के रीति रिवाज, विवाह आदि संस्कारों में एक ही प्रकार के नियम लागू होंगे, जिससे राष्ट्रीय एकता और अखंडता को मजबूती प्राप्त होगी। शासन की नीतियों का आधार विभिन्नताओं को पोषित करना नहीं है, अपितु राष्ट्रहित में विभिन्नताओं को समेकित करना है। एक आदर्श राज्य में नागरिक के अधिकारों की रक्षा के लिए समान नागरिक संहिता एक आदर्श उपाय होगा। निरंतर बदलती परिस्थितियों के बीच आज वह समय आ गया है कि सभी नागरिकों के मौलिक और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए धर्म की परवाह किए बगैर कॉमन सिविल कोड को लागू किया जाना चाहिए। इसके द्वारा ही पंथनिरपेक्षता और राष्ट्रीय अखंडता को मजबूत किया जा सकता है।
अजय ने कहा कि हमने कभी किसी के अधिकारों का शोषण नहीं किया बल्कि अपनी ओर से अधिकार देने की या दूसरों के अधिकारों का संरक्षण करने की मानवोचित प्रवृत्ति को अपना कर मानवता का हित संरक्षण किया है। अपनी इसी सोच और पवित्र भावना के कारण भारत प्राचीन काल से ही समान नागरिक संहिता का समर्थक ही नहीं बल्कि संस्थापक देश रहा है। देवभूमि उत्तराखण्ड पुण्य सलिला गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है, इन पवित्र नदियों से सम्पूर्ण भारत धार्मिक, आर्थिक आधार पर लाभान्वित होता है और सांस्कृतिक विरासत देश की अखण्डता, एकता का परिचय कराती है।
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