जमीन घोटाला, अवैध खनन और धनशोधन मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की
गिरफ्तारी के बाद सोरेन परिवार और झामुमो में खींचतान शुरू
झारखंड में सियासी संकट मंडराने लगा है। जमीन घोटाला, अवैध खनन और धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगातार नोटिस भेजे जाने के बावजूद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पेश नहीं हुए। अंतत: 31 जनवरी को हेमंत ईडी कार्यालय पहुंचे। वहां 7 घंटे से अधिक समय तक चली पूछताछ में हेमंत न तो सवालों के संतोषजनक जवाब दे सके और न ही जांच में सहयोग कर रहे थे। इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। देर रात को ईडी की हिरासत में ही हेमंत राजभवन पहुंचे और राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को इस्तीफा सौंपा, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
हेमंत पर रांची के चेशायर होम रोड में सेना की जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खरीदने और बेचने का आरोप है। उनकी गिफ्तारी इसीआईआर संख्या आरएनजेडओ/25/23 के सिलसिले में की गई है। ईडी ने यह इसीआईआर सदर थाने में राजस्व कर्मचारी भानु प्रताप प्रसाद के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आलोक में की थी।
ईडी ने हेमंत सोरेन को 10 बार समन भेजा। 10वें समन पर उन्होंने जनवरी-फरवरी में समयाभाव का हवाला देते हुए मार्च में पेश होने की बात कही। लेकिन ईडी अधिकारियों ने उन्हें मोहलत नहीं दी। इसलिए हेमंत के दिल्ली पहुंचते ही ईडी अधिकारी उनके दिल्ली आवास पर पहुंच गए।
जांच में पता चला कि बड़गाई अंचल में डीएवी बरियातू के पीछे 8.5 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का कब्जा है। उन पर यह भी आरोप है कि गलत तरीके से हासिल की गई जमीनों पर सोरेन परिवार और करीबियों का प्रत्यक्ष-परोक्ष नियंत्रण था। इस मामले में मुख्य आरोपी प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और तत्कालीन डीसी छवि रंजन के साथ हेमंत के संबंध थे। इसके अलावा, अवैध खनन मामले की जांच में भी हेमंत सोरेन की भूमिका सामने आई थी। यह भी सामने आया कि सोरेन का करीबी अमित अग्रवाल उनके व उनके करीबियों के काले धन को यहां-वहां करता रहा है।
ईडी ने हेमंत सोरेन को 10 बार समन भेजा। 10वें समन पर उन्होंने जनवरी-फरवरी में समयाभाव का हवाला देते हुए मार्च में पेश होने की बात कही। लेकिन ईडी अधिकारियों ने उन्हें मोहलत नहीं दी। इसलिए हेमंत के दिल्ली पहुंचते ही ईडी अधिकारी उनके दिल्ली आवास पर पहुंच गए। हालांकि हेमंत तो नहीं मिले, लेकिन उनके आवास से 36 लाख रुपये नकद सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज ईडी के हाथ लग गए। इसके बाद हेमंत भूमिगत हो गए और 30 जनवरी को सड़क मार्ग से रांची पहुंचे। उन्होंने विधायकों के साथ बैठक कर सभी विधायकों से दो समर्थन-पत्र पर हस्ताक्षर ले लिए।
इस पत्र में लिखा था कि यदि उनकी गिरफ्तारी हुई तो सरायकेला के विधायक चंपई सोरेन या उनकी (हेमंत सोरेन) पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। इस बीच, हेमंत सोरेन ने जांच को भटकाने के लिए ईडी के अधिकारियों पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करा दिया, ताकि उन्हें कुछ और समय मिल सके। लेकिन पुलिस कोई कार्रवाई करती, इससे पहले ही ईडी अधिकारियों ने हेमंत को गिरफ्तार कर लिया। हेमंत की गिरफ्तारी के बाद वही समर्थन-पत्र राजभवन में सौंप कर चंपई सोरेन ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।
जांच में पता चला कि बड़गाई अंचल में डीएवी बरियातू के पीछे 8.5 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का कब्जा है। उन पर यह भी आरोप है कि गलत तरीके से हासिल की गई जमीनों पर सोरेन परिवार और करीबियों का प्रत्यक्ष-परोक्ष नियंत्रण था। इस मामले में मुख्य आरोपी प्रेम प्रकाश, अमित अग्रवाल और तत्कालीन डीसी छवि रंजन के साथ हेमंत के संबंध थे।
जब हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर सुगबुगाहट शुरू हुई, तो उनके छोटे भाई व दुमका विधायक बसंत सोरेन तथा उनकी बड़ी भाभी (जामा विधायक) सीता सोरेन ने विद्रोह कर दिया। सीता सोरेन मुख्यमंत्री बनना चाहती थीं। इधर, गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी कह दिया कि सीता और बसंत उनके संपर्क में हैं।
30 जनवरी को झामुमो की आपातकालीन बैठक में पार्टी के 7 विधायक नदारद रहे। राज्यपाल के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले चंपई सोरेन को 43 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। वहीं, कांग्रेस नेता आलमगीर आलम का दावा है कि झामुमो सरकार को 47 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। हालांकि सरकार बनाने के लिए कम से कम 41 विधायकों की आवश्यकता होगी।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का आरोप है कि ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा था, जहां हेमंत सोरेन ने घोटाला नहीं किया हो। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक गफलत में फंसी झामुमो के विधायकों को हैदराबाद ले जाकर एक स्थान पर रखने की कवायद चल रही थी।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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