एक कहावत है नजरें बदलो, नजारे भी बदलेंगे। इसकी शुरुआत अयोध्या से हो चुकी है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब नजारे भी बदल रहे हैं। दरअसल, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है कि हम अपने मदरसों में रामायण का पाठ पढ़ाएंगे, उनकी इस बात का समर्थन अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम ने भी किया है। अगर ऐसा होता है तो सनातन धर्म को मजबूती ही मिलेगी, साथ ही बाकी लोग भी सनातन धर्म की महानता के बारे में जान सकेंगे। हालांकि, दारुल उलूम इसका विरोध कर रहा है।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में प्रभु श्री राम के विराजमान होने के दौरान उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के बयान ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड के अधीन चल रहे मदरसों में रामायण का पाठ पढ़ाया जाएगा। अब एक बार फिर उन्होंने कहा है कि श्री राम मर्यादा पुरषोत्तम हैं और उनकी जीवन यात्रा को हर तबके के लिए जानना जरूरी है। उनके इस बयान का अल्पसंख्यक आयोग ने भी समर्थन किया है। अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम नवाब ने रामायण पढ़ाने की बात को सही करार देते हुए कहा कि मदरसों में जब इंग्लिश और संस्कृत पढ़ाई जा सकती है तो रामायण क्यों नहीं पढ़ाई जा सकती? रामायण पढ़ाए जाने से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप
अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष मजहर नईम कहते हैं कि कांग्रेस के लोग केवल राजनीति के लिए इसका विरोध करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों में रामायण पढ़ाए जाने से दूसरे धर्म का ज्ञान मिलता है। उधर उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शम्मून कासमी ने भी मदरसा शिक्षा में वेद पुराण पढ़ाने की बात कही है।
मदरसा बोर्ड का बयान
उत्तराखंड के मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी का कहना है कि उत्तराखंड के 417 मदरसों में एनसीआरटीसी पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है जिसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के विषय में, हमारे वेद पुराणों हमारे गीता ग्रंथ में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। प्रभु राम हमारे अराध्य हैं और हमारे आदर्श भी हैं।
दारुल उलूम के मौलवियों ने किया विरोध
वहीं उत्तराखंड में चल रहे दारुल उलूम के मदरसों के मौलवियों ने कट्टरपंथी मानसिकता दिखाते हुए मदरसों में रामायण वेद पुराणों की शिक्षा दिए जाने के विरोध करते हुए कहा है कि जिन्हें रामायण वेद पुराण पढ़ने हैं वो दूसरे स्कूलों में दाखिला ले सकते है, हम ये सब नहीं पढ़ाएंगे। दारुल उलेमा के उत्तराखंड अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आरिफ ने कहा है कि वे खुद एक मदरसे के प्रिसिपल हैं वे ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। हम हरगिज ऐसा नहीं पढ़ाएंगे
उल्लेखनीय है दारुल उलूम देवबंद के कट्टरपंथी मदनी गुट से जुड़े जितने भी मदरसे हैं वो अपने पाठ्यक्रम पर चलते रहे हैं। ये मदरसे अपने आप को राष्ट्रीय धारा से जुड़ने से परहेज करते रहे हैं। उधर कभी कांग्रेस में रह कर मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बात करने वाले आम इंसान विकास पार्टी के अध्यक्ष अकील अहमद ने कहा है कि शादाब शम्स जैसे नेता बीजेपी सरकार में लाभ लेने और प्रचार में छाए रहने के लिए ऐसे बेतुके बयान देते हैं यदि उनमें ऐसी सोच है तो वे गुरुकुल में भी कुरान की शिक्षा की भी पैरवी करें।
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