देहरादून। संरक्षित वन्यजीवों के संरक्षण में एक बार फिर उत्तराखंड देश में दूसरे नंबर पर है । राज्य में हिम तेंदुओ की संख्या 124 दर्ज की गई है, जबकि लद्दाख केंद्र शासित राज्य में 477 स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुए) देखे गए हैं। केंद्रीय वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने इसको लेकर आंकड़े जारी किए हैं। भारत में हिम तेंदुओं की संख्या 718 दर्ज की गई है। मंत्री के अनुसार 93392 वर्ग किलोमीटर में हिम तेंदुए का निवास चिन्हित किया गया और ये जानकारी मिली है कि 13450 किमी के ट्रेल्स (विचरण क्षेत्र) में स्नो लेपर्ड की आवाजाही है।
उन्होंने बताया कि पहली बार वैज्ञानिक तकनीक का सहारा लेकर ये गणना की गई और इसमें नेचर कंजर्वेशन मैसूर और डब्लू डब्लू एफ इंडिया की टीम को लगाया गया। सिक्किम में 21,जम्मू कश्मीर में 9 ,अरुणाचल में 36 हिमाचल प्रदेश में 51 हिम तेंदुए हैं। इन राज्यों को हिम तेंदुओं के संरक्षण और सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश दिए गए हैं। भविष्य में इस संरक्षित वन्य जीव के विषय में और अधिक शोध कार्य करने की आवश्यकता भी जताई है।
उत्तराखंड हिम तेंदुआ शोध संस्थान अधर में
उत्तराखंड में हिम तेंदुए के विषय में त्रिवेंद्र रावत सरकार ने 2017 में उत्तरकाशी की भैरव घाटी में करीब पांच करोड़ की लागत से एक शोध संस्थान को स्थापित किए जाने की घोषणा की थी। इस पर काम भी शुरू किया गया, लेकिन फिर यह ठंडे बस्ते में चला गया।
उत्तराखंड में विकसित हो सकता है स्नो लेपर्ड टूरिज्म
उत्तरकाशी चमोली रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिले में हिम तेंदुआ दिखाई देने और अब इनकी संख्या प्रमाणित हो जाने के बाद उत्तराखंड में हिम तेंदुए की खोज में आने वाले शोधार्थियों, छायाकारों, ब्लागर और पर्यटकों के लिए स्नो लेपर्ड आधारित पर्यटन विकसित किया जा सकता है। उत्तराखंड में टाइगर टूरिज्म भी देश में पहले स्थान पर है।
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