इजरायल हमास युद्ध के बीच शुक्रवार का दिन इजरायल के लिए बेहद खास रहा। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) में उसके खिलाफ दक्षिण अफ्रीका को मुंह की खानी पड़ी। कोर्ट ने इजरायल को गाजा में युद्ध विराम का आदेश नहीं दिया। बल्कि, कोर्ट ने इजरायल को केवल इतना कहा कि वो फिलिस्तीनियों के नरसंहार को रोकने और नागरिकों की मदद करे। इस पर इजरायल ने नरसंहार की किसी भी तरह की घटना से साफ इनकार कर दिया।
आईसीजे द्वारा युद्ध विराम का आदेश नहीं देने के फैसले का स्वागत करते हुए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नरसंहार के दावे को अपमानजनक करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने आईसीजे के नरसंहार वाले बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इजरायल अपनी रक्षा करना जारी रखेगा।
पश्चिमी मीडिया इसे मान रही इजरायल के लिए झटका
आईसीजे के फैसले से स्पष्ट है कि उन्होंने युद्ध विराम के लिए इजरायल को आदेश नहीं दिया है, बल्कि नरसंहार शब्द का इस्तेमाल किया है। साथ ही इजरायल को लोगों की मदद करने को कहा है। बावजूद इसके पश्चिमी और मध्य पूर्व के मीडिया हाउस इसे इजरायल की हार के तौर पर प्रचारित कर रहे हैं।
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वहीं अगर इसे फिलिस्तीन के परिप्रेक्ष्य में देखें तो वो इसे अपनी जीत मान रहा है, जबकि असलियत में ऐसा कुछ है ही नहीं। फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि आईसीजे का यह फैसला स्वागत योग्य है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। आतंकी संगठन हमास के वरिष्ठ अधिकारी सामी अबू जुहरी ने रॉयटर्स के हवाले से कहा कि इस फैसले से इजरायल के कब्जे और उसके अपराध उजागर होंगे।
क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि इजरायल हमास युद्ध के बीच गाजा के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाते हुए इसी माह दक्षिण अफ्रीका ने आईसीजे में इजरायल के खिलाफ केस दर्ज किया था। इसमें उसने इजरायल पर गाजा में नरसंहार करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट से युद्ध विराम करने के लिए इजरायल को आदेश देने की मांग की थी। हालांकि, उसके मंसूबों पर पानी फिर गया है।
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