अक्टूबर के पहले सप्ताह में मुझ से पूंछा गया था कि ‘क्या मैं प्रस्तावित मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आना चाहूंगा’। एक अप्रत्याशित सुख का अनुभव हुआ और मैंने अविलंब ही “हां” कह दी और कहा कि इस परम सौभाग्य के लिए आपका बहुत-बहुत आभार। कुछ समय के बाद जब इस महत्वपूर्ण निमंत्रण का आभास मन में हुआ, तो एकदम ख्याल में आया कि मैंने अपनी जीवनसंगिनी के बारे में तो बात ही नहीं की। फिर से उन महानुभाव से सम्पर्क किया,तो उन्होंने कहा अभी तो निमंत्रण केवल स्वयं आपके लिए ही है। मैंने उनसे निवेदन किया कि हम दोनों जाना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि कोशिश करते हैं।
कुछ समय पश्चात उनकी स्वीकृति आ गयी। एक अलग रोमांचकारी अनुभव होने लगा। लेकिन, जब तक कोई औपचारिक रूप से कोई सूचना न मिले, हृदय को संतुष्टि नहीं थी। इसलिए प्रतीक्षा के अलावा और कोई चारा नहीं था। प्रतीक्षा की घड़ियां बहुत जल्द ही समाप्त हुई। नवंबर के अंत में भारतीय परंपरा के अनुसार एक बहुत ही प्रेम भरा आमंत्रण पत्र मिला। मन प्रफुल्लित हो गया, ईश्वर को बार-बार धन्यवाद देता रहा कि हम एक ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन पायेंगे।
पूरी प्रक्रिया अपनी परंपराओं के अंतर्गत चलती रही, जिसमें औपचारिक निमंत्रण पत्र भी प्रत्यक्ष रूप में, “राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट” की तरफ से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी घर पर देने आये। यह एक अद्वितीय अनुभव था, जिसमें भारतीयता की सुगंध कूट-कूट कर भरी थी। सुरक्षा की दृष्टि से कुछ कार्यवाही पूरी भी की गईं, जिसमें नवीनतम तकनीक का प्रयोग किया गया। हृदय आल्हादित था, मन प्रफुल्लित था, फिर भी जब तक अयोध्या धाम न पहुंच जाए तब तक विश्वास नहीं था कि हम इन ऐतिहासिक क्षणों के साक्षी बन पायेंगे।
21 जनवरी को हम सुबह 10 बजे एयरपोर्ट के लिए चले, एक अलग ही उन्माद था, जैसे बहुत बढ़ी सफलता मिल गयी हो। कोहरा बहुत घना था, बार बार मन में विचार आ रहा था कि कहीं फ्लाइट कैंसिल न हो जाए। फ्लाइट दोपहर 1.30 बजे चलनी थी, लेकिन कोई सूचना नहीं थी। मन विचलित होने लगा, एयरइंडिया के अधिकारियों से बातचीत करने पर भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। मन में विचार किया कि अगर फ्लाइट कैंसिल होती है ,तो सड़क से निकलेंगे, रात में गाड़ी चला कर सुबह तक पहुंच ही जायेंगे। इस तरह मन को बहलाते रहे।
तभी करीब 3 बजे मालूम पड़ा कि फ्लाइट आ रही है । अत्यंत सुखद अनुभूति हुई। अंत में फ्लाइट 4 बजे उड़ी, ईश्वर को धन्यवाद देते हुए हम फ्लाइट में हनुमान चालीसा का पाठ करते रहे। तकरीबन 4.45 पर लखनऊ पहुंचे। एक मित्र ने गाड़ी का इंतजाम कर दिया था, तुरन्त एयरपोर्ट से ही सीधे अयोध्या धाम के लिए निकल पड़े। रास्ते में सब तरफ एक अलग ही उन्माद था, सड़क के दोनों तरफ भगवान प्रभु श्रीराम के आगमन के पोस्टर, हर आबादी की जगह भजन कीर्तन, कथा,भंडारा चल रहे थे, घरों में दीपक जल रहे थे। पूरा रास्ता बंदनवार,तोरण, स्वागत द्वार और गुब्बारों से सजा हुआ था। ऐसा लग रहा था कि एक नये युग में हम पहुंच गए हैं। 7 बजे के करीब हम डोगरा रेजीमेंटल सेंटर अयोध्या धाम पहुंच गए।
जल्दी से तैयार होकर, कमांडेंट के निमंत्रण पर अधिकारी मेस गए। वहां पर सशस्त्र सेनाओं के 13 पूर्व सेनाध्यक्ष जीवन संगिनी संग और कुछ मेरे साथी आए हुए थे। सभी बहुत उत्साहित थे। हमारे सबसे वरिष्ठ पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी एन शर्मा (93 वर्ष ) भी अपनी बेटी के साथ आए हुए थे। सभी का एक ही मत था मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम सभी के हैं, वो विश्व के है, मानव जाति के है, वो नैतिक और मानवीय मूल्यों के प्रतीक हैं, हम सब के प्रेरणास्रोत हैं। रात्रि भोज के समय आदरणीय रामलाल जी अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख इतनी व्यस्तता के बाबजूद स्वयं सभी पूर्व सेनाध्यक्षों के स्वागत के लिए पधारे। यह एक अप्रत्याशित क्षण था और सभी को इसने मंत्रमुग्ध कर दिया, भारतीय परंपराओं का पूर्णतः पालन हो रहा था। सभी इस इस प्रेम भरे आतिथ्य से भाव विभोर हो गये।
अगले दिन (22 जनवरी ) अपने आप नींद जल्दी खुल गई, 5.30 बजे उठ गये। सुबह 9 .15 पर हम सब एक जगह एकत्रित हुए और फिर पुलिस व सेना के एस्कार्ट के अंतर्गत हम सब पवित्र पुण्य धाम के लिए रवाना हुए। सारा रास्ता राममय था, सारा वातावरण जय श्री राम के जयकारों से गूंज रहा था। दोनों तरफ हजारों की संख्या में अयोध्या वासी हम सब का स्वागत कर रहे थे। 10 बजे हम पुण्य धाम पहुंचे। सभी प्रबंध बहुत ही सुचारूपूर्ण ढंग से सम्पूर्ण हो रहे थे। हम लोग गाड़ियों से उतर कर पैदल मुख्य द्वार की तरफ चलने लगे, उसके बाद हम लोग गोल्फकार्ट से सुरक्षा जांच स्थल पर पहुंचे।
सुरक्षा जांच बिल्कुल नवीन तकनीक से बिना किसी असुविधा के हुई, कोई भी “Q” नहीं। उसके बाद कार्यकर्ताओं के आदर सत्कार का एक अनुपम अनुभव हुआ,सभी हाथ जोड़कर ,”अयोध्या धाम में आपका स्वागत है” कह रहे थे। सभी के ललाट पर चंदन का टीका लगाया गया और श्रीराम का अंगवस्त्र सभी को डालकर सम्मानित किया गया। फिर मुख्य द्वार की तरफ बढ़े। मुख्य द्वार की सुन्दरता और सजावट देख कर मन प्रसन्न हो गया, अंदर प्रस्थान करते हुए एक अलग अनुभूति हुई, जैसे कि हम प्रभु श्रीराम की नगरी में आ गये हैं।
चरण पादुका उतारने पहुंचे तो एक अदभुत प्रसन्नता हुई, वहां स्वयंसेवक आपकी पादुकाएं स्वयं उतार रहे थे,ऐसा सेवा भाव कभी भी जीवन में देखने को नहीं मिला। फिर मुख्य प्रांगण में प्रवेश हुआ, जहां एक तरफ राष्ट्र के महान गायक सोनू निगम,शंकर महादेवन, अनुराधा पौडवाल, कविता पौडवाल (अनुराधा पौडवाल की पुत्री),अनूप जलोटा और अन्य प्रभु श्रीराम की प्रतिष्ठा में भजन गा रहे थे। प्रांगण में एक अत्यंत सुखद अहसास हुआ। वहां न कोई विशिष्ट, न कोई आम था। अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, मुकेश अंबानी, अक्षय खन्ना, रनवीर, आलिया भट्ट, कटरीना कैफ, माधुरी दीक्षित, विक्की कौशल, रोहित शेट्टी,रजनी कान्त, पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी, चन्द्रबाबू नायडू, अरुण गोविल आयुष्मान खुराना,तीजन बाई,मुकेश अंबानी का परिवार, कुमारमंगलम बिड़ला, हेमा मालिनी, साध्वी रितम्बरा,उमा भारती और अन्य सभी जगह ढूंढ रहे थे और कार्यकर्ता उनकी मदद कर रहे थे।
कोई नोंक-झोंक नहीं, सभी बहुत उदारता के साथ, व्यवहार कर रहे थे। सभी के चहरों पर मुस्कान और एक शांति और सौहार्द का भाव था। एक अलग ही आनंद का पल, जहां सभी संतुष्ट थे, सभी उत्साहित थे। एक भी चेहरा नहीं मिला जिस के चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं थी। कार्यकर्ता सभी को बैठाने का प्रबंध कर रहे। बहुत ही साफ कुर्सियां, गद्दी के साथ, कोई सोफा नहीं,सभी एक तरह की कुर्सियों पर बैठे। सारे मैदान पर कारपेट बिछा हुआ था, जिससे पैर ठंडे व गन्दे न हो।
कार्यकर्ताओं ने बहुत ही सुन्दर ढंग से सभी को फलाहार के पैकेट दिये, थरमस में गर्म चाय, पानी की बोतल लाकर दे रहे थे। सभी प्रबंध बहुत ही सुन्दर थे, आदर सम्मान के भाव से थे। एक और अभूतपूर्व दृश्य का व्याख्यान करना जरूरी है, मौसम विभाग के अनुसार मौसम ठंडा और वातावरण कोहरे से ढका रहेगा ऐसा अनुमान था, लेकिन, सूर्य भगवान निखर कर 10.30 बजे उभर आये और सभी को अपना आशीर्वाद दिया। भगवान प्रभु श्रीराम सूर्यवंशी राजा थे, तो सूर्य भगवान इस पावन पर्व पर अपना दर्शन क्यों न देते। यह संयोग था या कुछ और, मैं नहीं कह सकता लेकिन तथ्य है यह जरूर विश्वास से कह सकता हूं क्योंकि यह पल मैंने स्वयं अनुभव किये हैं। माननीय चंपतराय जी ने आकर सभी का स्वागत किया और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, ट्रस्ट और कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी।
महंत गोविंदगिरी महाराज ने वित्त प्रबंधन और खर्च के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है। सभी लेन-देन आनलाइन है, कुछ भी कैश से नहीं है। अभी तक तकरीबन 900 करोड खर्च हो गए हैं और करीब 700 करोड़ प्रस्तावित है, कुछ और मंदिर, जैसे कि हनुमान जी, मां अहिल्या, माता शबरी इत्यादि के परकोटे के साथ बनने है। प्रथम तल और द्वितीय तल अभी और बनना है। माननीय चंपतराय जी ने, अभी तक जो भी काम हुआ है उसका विवरण दिया और प्रभु श्रीराम जी के मंदिर की पूरी व्याख्या कर हम सभी का ज्ञानवर्धन किया। समय समय पर कुछ कठिनाइयों की चर्चा भी की और कहा कि जितनी भी समस्याएं आई उनका समाधान भी प्रभु श्रीराम ने स्वयं ही कर दिया।
11.30 बजे चंपतराय जी ने घोषणा की कि माननीय प्रधानमंत्री जी मंदिर प्रांगण में प्रवेश कर चुके हैं और वह मंदिर प्रांगण में स्नान करेंगे और फिर पूजा के लिए आयेंगे। 12 बजे माननीय प्रधानमंत्री जी एक अलौकिक वेशभूषा में धीरे धीरे बहुत ही गरिमामयी ढंग से हमारे दाहिनी तरफ से आते हुए दिखे। चंपतराय जी ने बताया कि प्रधानमंत्री जी ने पैदल आना ही स्वीकार किया है। धीरे धीरे सीढियां चढ़ते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी प्राण प्रतिष्ठा के लिए गर्भग्रह की तरफ अग्रसित हो गये।
चंपतराय जी ने पूरे दृश्य का विवरण दिया। उसके बाद हम सबको स्क्रीन पर अन्दर की पूजा का हाल मिला। इस दौरान सभी को घंटियों का वितरण हुआ। तभी 12.29 मिनट पर सभी खडे हो गए और उस सदियों की प्रतीक्षा के अंत का भावविभोर होकर आनंद लेने लगे। घंटियां बजने लगी और एक अलौकिक आनन्द का स्पंदन सभी ने महसूस किया। फिर प्रभु श्रीराम की आरती हुई। सभी के दिलों में प्रसन्नता थी, सभी आल्हादित थे, भाव विभोर थे, खुशी के आंसू अनायास ही निकल पड़े। एक उत्कृष्ट कार्य का समापन हो गया था। एक अदभुत, अविस्मरणीय, अलौकिक, अकल्पनीय, अभूतपूर्व क्षण के, आप सबकी शुभकामनाओं से हम साक्षी बन पाये। उसके बाद सभी संतगण,मोहन भागवत जी, स्वामी नृत्य गोपाल दास जी, श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी,योगी जी महंत गोविंद देव गिरी जी और प्रधानमंत्री जी पटल पर आये। सभी ने अपने विचार और भावनाओं का व्याख्यान किया।
एक भावनात्मक प्रसंग का जरुर विवरण देना चाहता हूं। जब महंत गोविंदगिरी महाराज ने माननीय प्रधानमंत्री जी का व्रत तुड़वाया, उसके बारे में बताना चाहता हूं। गोविंदगिरी महाराज जी ने कहा कि वैसे तो यह प्रक्रिया शहद और नींबू की कुछ बूंदें डालकर करते हैं, लेकिन मोदी जी ने यहां आते वक्त मुझ से कहा कि महंत जी क्या यह आप चरणामृत से कर सकते हैं। तो तुरंत व्यवस्था की गयी और चरणामृत लाकर, उन्होंने चम्मच से पिलाया तो मातृत्व प्रेम का अद्वितीय अनुभव हुआ।
बहुत ही भावुक क्षण था।
उसके बाद मोदी जी व अन्य महानुभाव कुबेर टीले की तरफ जटायु मंदिर में पूजा करने और कर्मवीरों का सम्मान करने चले गए। तत्पश्चात हम सबको प्रभु श्रीराम के प्रथम दर्शन का अवसर मिला। उससे पहले सभी को कार्यकर्ताओं ने भोजन प्रसाद वितरित किया।
दर्शन के लिए 8 पंक्तियों में जाना था, चार साधु संतों की और चार अन्य जन की। उन्माद इतना था, प्रसन्नता की कोई सीमा नहीं थी, सभी आल्हादित थे भाव विभोर थे। सभी की आंखों में खुशियों के आंसू थे। सभी चाह रहे थे कि जल्दी से जल्दी भगवान प्रभु श्रीराम के दर्शन हो। साधु संत आत्मविभोर थे, सभी जमीन को चूम रहे थे, दीवारों का स्पर्श कर रहे थे। स्वाभाविक भी था, इन्होंने अपना जीवन इसी संघर्ष में खपा दिया है, साध्वी रितम्बरा उमा भारती जी सब खुशी से रो रही थी। हम दोनों भी इसी उत्कृष्ट वातावरण में, प्रेम, श्रध्दा और आस्था के सागर में गोते लगाते, लगाते प्रभु श्रीराम के सम्मुख कब आ गये, मालूम ही नहीं पड़ा। प्रभु श्रीराम की चल और अचल दोनों प्रतिमाओं को सामने पाकर हम गदगद थे आत्मविभोर थे, आल्हादित थे, प्रफुल्लित थे, नतमस्तक थे। इस भव्य दर्शन के बाद हम दोनों ने बाहर आकर बैठकर सभी बुजुर्गो, परिवार के सदस्यों, मित्र,साथी, भारतीय सेना,वीर बलिदानियों, चतुर्वेदी बंधुओं का स्मरण किया और प्रभु श्रीराम से सभी के कल्याण हेतु प्रार्थना की। और धीरे धीरे सीढ़ियों से उतरते हुए सोचते रहे कि क्या वाकई हम इस अविस्मरणीय क्षण के साक्षी थे। और उसके बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास और देवरहा बाबा जी न्यास की तरफ से एक उत्तम प्रसाद जिसमें सरयू का जल और पवित्र भूमि अयोध्या धाम की रज भी है, ग्रहण किया। प्रसाद वितरण की भी सारी व्यवस्था अनुकरणीय थी।
आप सबकी शुभकामनाओं और बुजुर्गो के आशीर्वाद और प्रभु श्रीराम की कृपा से हम सौभाग्यशाली हैं कि इन अद्वितीय, अदभुत, अविस्मरणीय, अलौकिक, अकल्पनीय, नव्य, भव्य दर्शन के लाभार्थी बने। सही में जैसा प्रधानमंत्री जी ने कहा एक नये युग की शुरुआत है, हम सब को भारत निर्माण में लगना है और राम राज्य की पुनरावृत्ति में अपना अतुलनीय योगदान देना है। अभी बहुत कुछ कहना है।
राम की कथा निरंतर है। “हरि अनन्त, हरि कथा अनंता” । लेकिन शब्दों की सीमा है, अपने भावों पर विराम देने से पहले मैं “श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास” और सभी कार्यकर्ताओं और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं। जिन्होंने इस अतुल और अनुकरणीय कार्य के सफल आयोजन में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हम सब को त्याग, तपस्या, समर्पण भाव और राष्ट्र प्रेम की भावना का इन राष्ट्र प्रेमियों से सीखनी है। जो प्रेम, सौहार्द, सदभाव,आदर, सत्कार, उदारता, नम्रता और दायित्व के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण प्रत्येक कार्यकर्ता ने दिया है वह अविश्वसनीय है, इसका प्रदर्शन देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई।
एक बात का और व्याख्यान करना चाहूंगा, यह पुलिस के व्यवहार की है। मैंने जीवन में कभी भी इतनी नम्रता से व्यवहार करने वाली, सदैव सहायता और सहयोग करने वाली और बहुत ही आदर सत्कार के भाव से बात करते पुलिसकर्मियों को नहीं देखा। मैं अचंभित हूं कि पुलिस इतना गंभीर दायित्व इतनी मर्यादा में रहकर कैसे कर पाई। सभी के मुख पर,जय श्री राम, और आप यहां से जायें और सहायता और सहयोग का भाव एक बहुत ही अद्वितीय अनुभव था। भगवान प्रभु श्रीराम का असर सब तरफ दिख रहा था। यह बहुत ही सराहनीय है।
जय जय श्री राम। हमारे राम आ गये हैं। जय भारत
टिप्पणियाँ