इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ BJP की सीट से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव ! तिरुवंतपुरम से शशि थरूर को देंगे कड़ी टक्कर

एस सोमनाथ तिरवंतपुरम के रहने वाले हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि वो यहां शशि थरूर को कड़ी टक्कर दे सकते हैं।

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Kuldeep singh

भारत को चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर पहुंचाने वाले भारत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन ए सोमनाथ जल्द ही अपनी नई पारी की शुरुआत कर सकते हैं। इस बार उनकी ये पारी अंतरिक्ष नहीं, बल्कि जमीनी सियासत की होगी। खबर आ रही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एस सोमनाथ को आगामी लोकसभा चुनाव में केरल की तिरुवंतपुरम सीट से उतार सकती है।

दरअसल, एस सोमनाथ भी तिरुवंतपुरम के ही रहने वाले हैं और चंद्रयान के सफल प्रक्षेपण समेत कई अन्य कार्यक्रमों में भारत का नाम रौशन करने के बाद उनकी प्रसिद्धि चारों तरफ है। तिरुवंतपुरम लोकसभा सीट से कांग्रेस के शशि थरुर सांसद हैं। वो यहां से 2014 से लगातार जीत रहे हैं। चौथी बार भी कांग्रेस उन्हें इसी सीट से सियासी मैदान में उतारने की कोशिशें कर रही है। लेकिन एस सोमनाथ को अगर यहां से उतारा जाता है तो बड़ा उलटफेर हो सकता है।

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केरल कौमुदी की रिपोर्ट के अनुसार, एस सोमनाथ को तिरुवंतपुरम हाई-प्रोफाइल सीट से चुनाव लड़ने में किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है। एस सोमनाथ अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान 22 जनवरी को मुख्य अतिथियों में से एक थे। उनकी उम्मीदवारी को लेकर पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक हाई प्रोफाइल कमेटी ने भी चर्चा की है। हालांकि, उससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के नाम पर विचार करने के लिए सुझाया था। लेकिन, एस सोमनाथ यहां से अधिक फिट कैंडिडेट प्रतीत हो रहे हैं।

क्यों अहम है तिरुवंतपुरम सीट

गौरतलब है कि तिरुवंतपुरम केरल की राजधानी है और यह एस सोमनाथ का गृह जिला भी है। ये सीट कांग्रेस की अब तक की अविजित सीट रही है। शशि थरूर यहां के सांसद हैं। तिरुवनंतपुरम को बीजेपी के लिए हॉटस्पॉट माना जाता है और अगर सही तरीके से खेला जाए तो राजधानी भगवा रंग में रंग जाएगी। 2009 और 2014 में बीजेपी उम्मीदवार ओ राजगोपाल कांग्रेस नेता शशि थरूर से मामूली अंतर से हार गए थे। लेकिन एस सोमनाथ सियासी मैदान में शशि थरूर को पटखनी दे सकते हैं।

बता दें कि एस सोमनाथ को पिछले साल ही जुलाई 2022 में रिटायर होना था, लेकिन उन्हें तीन साल के लिए एक्सटेंशन के तौर पर इसरो का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। अब उनका कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म होगा।

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