अयोध्या अभियान में स्वयं के किसी पराक्रम का उल्लेख करना मुझे शर्मिंदगी में डालता है क्योंकि 500 साल तक चले इस अभियान में लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।’
राम मंदिर आंदोलन में घर-घर गूंजने वाला एक नाम था- उमा भारती। उमा इसे अपना सौभाग्य मानती हैं कि वह अपने जीवन काल में राम जन्मभूमि पर मंदिर को बनते देख रही हैं। लेकिन बात जब इसमें उनके योगदान की होती है, तो उनकी अभिव्यक्ति में एक संकोच स्पष्ट दिखता है। कहती हैं-‘मंदिर का निर्माण प्रारंभ होते देखना गर्व और आनंद का विषय है। किंतु अयोध्या अभियान में स्वयं के किसी पराक्रम का उल्लेख करना मुझे शर्मिंदगी में डालता है क्योंकि 500 साल तक चले इस अभियान में लाखों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी है।’
खजुराहो से चुनाव जीतकर सांसद बनने वाली उमा भारती तब खुशी से मुरली मनोहर जोशी से लिपट गई थीं जब उन्होंने बाबरी ढांचे को टूटते देखा। उमा भारती की वह तस्वीर काफी चर्चित हुई थी और उसे उनके और मुरली मनोहर जोशी के विरुद्ध साक्ष्य के रूप में न्यायालय और लिब्रहान आयोग के सामने रखा गया।
मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के डुंडा में 1959 में जन्मीं उभा भारती का बचपन से ही अध्यात्म की ओर झुकाव था। उमा राम मंदिर आंदोलन के समय वह चेहरा थीं जिसका भाषण लोगों को खींचता था। अयोध्या में कारसेवा के दौरान भी उन्होंने लोगों को संबोधित किया था। 6 दिसंबर, 1992 को वह अयोध्या में ही थीं, जब कारसेवा चल रही थी।
केवल 30 साल की उम्र में खजुराहो से चुनाव जीतकर सांसद बनने वाली उमा भारती तब खुशी से मुरली मनोहर जोशी से लिपट गई थीं जब उन्होंने बाबरी ढांचे को टूटते देखा। उमा भारती की वह तस्वीर काफी चर्चित हुई थी और उसे उनके और मुरली मनोहर जोशी के विरुद्ध साक्ष्य के रूप में न्यायालय और लिब्रहान आयोग के सामने रखा गया।
उमा भारती सीधे-सीधे अपनी बात कहने और जो सही लगा, वह करने के लिए जानी जाती हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और बाद में नरेन्द्र मोदी सरकार में मंत्री रहीं उमा को एक बार भाजपा से बाहर कर दिया गया, लेकिन पार्टी ने फिर उन्हें वापस भी लिया।
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