उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के लिए तैयार की गई वोटर लिस्ट में करीब एक लाख मदताताओं की संख्या बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में पहाड़ों से आबादी का पलायन हो रहा है लेकिन वोटर संख्या बढ़ रही है, यह जनसंख्या असंतुलन की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कर रही है। पिछले कुछ समय से उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन समस्या को लेकर चर्चा ने जोर पकड़ा हुआ है। राज्य में बाहरी लोग आकर बस रहे हैं, जिनमें खासतौर पर मुस्लिम आबादी बढ़ने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
सामाजिक संगठनों ने उत्तराखंड में सशक्त भूकानून और मूल निवास का मुद्दा उठाया हुआ है। उत्तराखंड की धामी सरकार ने इस विषय की गंभीरता को समझते हुए यहां बाहरी लोगों के द्वारा कृषि भूमि की खरीद फरोख्त पर फिलहाल रोक लगा दी है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ वी षणमुगम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि निर्वाचक नामावली 2024 के प्रकाशन में 82 लाख 43 हजार 423 वोटर संख्या सामने आई है, जिनमें पुरुष वोटर की संख्या 42 लाख 70 हजार 597 है, महिला वोटर की संख्या 39 लाख 72 हजार 540 है। 30 से 49 आयु के सबसे अधिक वोटर हैं और दिव्यांगजनों की संख्या 69 हजार 974, 100 और 100 से अधिक वोटर की संख्या 1411 है।
इन्हीं आंकड़ों के बीच उत्तराखंड में नए वोटर की संख्या 99922 बताई है, ये मतदाता ज्यादातर चार मैदानी जिलों में हैं। उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग ऐसा जिला है, जहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। यानि यहां पलायन की स्थिति स्पष्ट दिखाई देती है। ऐसे ही अन्य पहाड़ी जिले भी हैं जहां महिला वोटर्स की संख्या पुरुषों से अधिक है। उत्तराखंड के चार मैदानी जिलों, हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर और देहरादून में बड़ी संख्या में वोटर नए बने हैं। इन्हीं जिलों में जनसंख्या असंतुलन का विषय उठता रहा है। कहा जाता है कि बड़ी संख्या में जो नए मतदाता बने हैं वे सीमावर्ती यूपी के जिलों से आकर यहां बसे हैं और इनमें ज्यादातर मुस्लिम वोटर हैं। इन नए वोटर्स को यहां बसाने उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज करवाने में स्थानीय नेताओं खासतौर पर पार्षदों, ग्राम प्रधानों की भूमिका बताई गई है। बहरहाल लोकसभा के लिए नई वोटर लिस्ट राजनीतिक दलों के सामने आ गई है, अब इस पर उनकी माथापच्ची भी शुरू हो गई है।
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