मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभुराम के अनन्य उपासक। संतों जैसा जीवन। भक्त-ह्दय अशोक सिंहल हिंदुत्व के प्रखरतम योद्धाओं में से एक थे। अशोक सिंहल जी का जन्म प्रयागराज के एक संपन्न-सुसंस्कृत परिवार में हुआ।
बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संस्कारों में ऐसे पगे कि किशोरावस्था तक पहुंचते-पहुंचते आजन्म देश-समाज के कार्यों में लगे रहने का प्रण कर लिया। प्रचारक बनकर संघ के कार्यों को आगे बढ़ाया। विभिन्न दायित्वों को निभाया। उसके बाद लगातार 20 वर्ष तक विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में दुनियाभर में हिंदू समाज और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में लगे रहे।
वह श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने के सूत्रधार थे। उन्होंने आंदोलन को विभिन्न संतों-पंथों से जोड़ने में भी बड़ी भूमिका निभाई। उनके जीवन की एक ही साध थी- श्रीराम मंदिर में रामलला को विराजमान होते देखने की। यह और बात है कि वह अपने इस सपने को पूरा होते नहीं देख सके। इस सपने को आंखों में बसाए ही उन्होंने 2015 में सदा-सदा के लिए अपनी आंखें बंद कर लीं।
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