Ayodhya: 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, ये हिंदुओं के लिए बहुत बड़ा दिन है। इस समय पूरी दुनिया राममय हो गई है, भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या में करीब 8 हजार मठ और मंदिर हैं। हर मंदिर का अपना अलग इतिहास और मान्यताएं हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां पूरे मंदिर की दीवारों पर महर्षि बाल्मिक द्वारा लिखित रामायण का उल्लेख किया गया है। यह न सिर्फ रामायण के 24 हजार श्लोकों को दर्शाता है बल्कि वाल्मिकी की समृद्ध विरासत को भी दर्शाता है बल्कि हजारों-लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भी है।
वाल्मीकि भवन
यह भवन एक भव्य और विशाल सभागार के रूप में है, सफेद संगमरमर से ढके सभागार की भीतरी सतह पर वाल्मिकी रामायण के सभी 24 हजार श्लोक अंकित हैं। एक दर्जन से अधिक विशाल स्तंभों से सुसज्जित सभागृह के मध्य में भगवान राम के पुत्र लव और कुश के साथ ऋषि वाल्मीकि जी की प्रतिमा स्थापित है। यह मंदिर अपनी गरिमा के कारण ही वाल्मीकि भवन के नाम से जाना जाता है।
मंदिर की धार्मिक मान्यता
इस मंदिर को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं। माता गायत्री चारों वेदों की जननी हैं। गायत्री मंत्र 50 अक्षरों का है ‘ओम भूर् भुवः स्वः’ जो 24 अक्षरों का मंत्र है। इसी 24 अक्षरों वाले मंत्र से वाल्मीकि रामायण की रचना हुई थी। वाल्मीकि रामायण भवन की स्थापना भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद और प्रेरणा से हुई थी।
मंदिर खुलने का समय
यह मंदिर आम भक्तों के लिए सुबह 6 बजे से 11 बजे तक और शाम 4 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। वेदों की जननी गायत्री माता और उनके बीज मंत्र का उल्लेख भी यहां देखा जा सकता है।
मंदिर का शिलान्यास
इस मंदिर की आधारशिला 1965 के आसपास रखी गई थी। पिछले 50 वर्षों से दर्शनार्थी वाल्मीकि मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।
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