एक ओर जहां पूरे विश्व में हिन्दू धर्मावलम्बी अपने प्रभु श्री राम का स्वागत करने के लिए तैयार हैं और जहाँ एक ओर प्रभु श्री राम की न्यायप्रियता एवं स्त्री आदर का विमर्श एक बार फिर से आकार ले रहा है तो वहीं दूसरी ओर एक ऐसा विमर्श दोबारा उभर कर आ रहा है, जिसे समझा जाना महत्वपूर्ण है और विरोध करना भी क्योंकि यह हिन्दुओं पर एक ऐसे कुकृत्य का बोझ स्थापित कर रहा है, जो वह करने का सोच भी नहीं सकता। यह बोझ है मानव तस्करी से जुड़ा, जो कि यूके के रोथरेहम ग्रूमिंग गैंग से जुड़ा है। सवालों के घेरे में मीडिया का दोहरा चरित्र भी है।
यहूदी समुदाय के जीनोसाइड पर लगातार बात करने वाले अज्ज़त अलसालेम ने वर्ष 2018 के एक अखबार की कटिंग साझा करते हुए लिखा था, “एक बच्ची का बलात्कार और मानव तस्करी 100 से अधिक पाकिस्तानी मुस्लिमों ने की थी, लेकिन, मीडिया ने रिपोर्ट किया, “मानव तस्करी का शिकार लड़की 100 एशियाई आदमियों के साथ सोई!” ये सच है कि लड़की के साथ एशियाई पुरुषों ने रेप किया था और वो एशियाई पाकिस्तानी मुसलमान थे।
A child was raped and trafficked by over 100 of Pakistani Muslim men.
But what media reported was:
“Trafficked girl slept with over 100 Asian men.”
The girl was groomed by Pakistani MusIims not “Asian men”!! pic.twitter.com/J3YRHmZjFV
— Azat (@AzatAlsalim) January 20, 2024
दरअसल यह खबर एक और एक्टिविस्ट ने यह कहते हुए साझा की थी कि मीडिया हमेशा ही पीड़ितों को आरोपी बनाने वाली भाषा बोलती रही है। हमें तथ्यों पर टिके रहना चाहिए कि बच्ची का बलात्कार और उसकी तस्करी 100 से अधिक पाकिस्तानी आदमियों ने की थी।
वर्ष 2015 में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार रोथेरहम में ग्रूमिंग गैंग के अधिकांश सदस्य पाकिस्तानी मूल के थे। इसके लिए कई प्रकार की तकनीकें प्रयोग की गईं थीं। रिपोर्ट के अनुसार 9 वर्ष तक की बच्चियों को शिकार बनाया गया था और साथ ही उन लड़कियों को शिकार बनाया गया था, जिन्हें पारिवारिक समस्या थी या फिर जो मानसिक रूप से किसी संबल की तलाश में थीं। उन लड़कियों को विशेष रूप से पाकिस्तानी मूल के लोगों ने निशाना बनाया था।
परन्तु समय के साथ इस जघन्य काण्ड एवं इस प्रकार की घटनाओं को लेकर एक नया विमर्श आरम्भ हुआ और पाकिस्तानी मूल के नागरिकों के स्थान पर एशियाई नागरिक कहा जाने लगा।
जो अपराध पाकिस्तान मूल के नागरिक करते हैं या किए थे, उन्हें बीबीसी सहित अन्य मीडिया हाउस ने एशियाई पुरुषों द्वारा किए गए अपराध करार दे दिया। ऐसा किसलिए किया होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है। यह पाकिस्तानी मुस्लिमों के प्रति उभरने वाले आक्रोश को कम करने के लिए किया गया था। बलात्कारियों की जो विशेष पहचान थी, उस पहचान के प्रति आम जनता का क्रोध कम करने के लिए उसकी पहचान को विस्तृत कर दिया गया और उसमें उन लोगो को भी सम्मिलित कर लिया, जिनका शायद ही कोई योगदान इस जघन्य कृत्य में हो।
जब रोथेरहम ग्रूमिंग मामले में सात लोगों को दोषी पाया गया था, उनमें से अख्तर नामक व्यक्ति जिस पर यह आरोप थे कि उसने वर्ष 1997 से लेकर 2013 तक बच्चों के साथ यौन सम्बन्ध बनाए थे, ने यह स्वीकार किया था कि उसने एक किशोरी के साथ 20 अगस्त 2001 से लेकर 16 जुलाई 2002 तक बलात्कार किया था। बीबीसी ने लिखा था कि यह 42 वर्षीय आदमी उन 6 लोगों में से एक था, जिन्हें वर्ष 2018 में एक सुनवाई के बाद जेल भेजा गया था। यह सुनवाई एक ऐसी लड़की के मुक़दमे के दौरान हुई थी जिसके साथ उसकी 16 साल की उम्र तक कम से कम 100 ऐसे “एशियाई” लोगों ने बलात्कार किया था, जो ब्रिटिश पाकिस्तानी मूल के थे।
इस ग्रूमिंग गैंग के विषय में कई बार काफी कुछ लिखा जा चुका है और कई पुस्तकें भी इस पर लिखी गयी हैं। Peter McLoughlin ने अपनी पुस्तक ईजी मीट, मल्टीकल्चरिज्म, इस्लाम एंड चाइल्ड सेक्स स्लेवरी में इसे विस्तार से लिखा है। उन्होंने इस एशियाई अवधारणा पर भी लिखा है। उन्होंने लिखा है कि जैसे ही मुस्लिम ग्रूमिंग गैंग की अवधारणा लोगों में फैलने लगी और इस पर राष्ट्रीय चर्चा होने लगी तो इसे मीडिया और विशेषज्ञों द्वारा “एशियाई” और “नस्लवाद” से जोड़ा गया। इस समस्या को नस्लवाद से बेकार में ही जोड़ा गया था। समस्या मुस्लिम गैंग के साथ थी। (यह हम मानते हैं कि सभी मुस्लिम एशियाई नहीं हैं और न ही सभी एशियाई मुस्लिम हैं।)
जब राष्ट्रीय मीडिया में इन गैंग्स की ख़बरें वर्ष 2003 में फैलने लगीं तो लेबर पार्टी के तत्कालीन सांसद एन क्रयेर ने कहा कि उनका मानना है कि इसमें किसी रिलिजन की बात नहीं है, बस यह “एशियाई” कल्चर है, जिसमें युवाओं को छोटी उम्र की लड़कियों से शादी करने पर बाध्य किया जाता है। वर्ष 2011 में इंग्लैण्ड में पूर्व गृह सचिव जैक स्ट्रॉ ने यह कहा था कि कुछ यूके पाकिस्तानियों क लिए श्वेत लड़कियां सेक्स के लिए “ईजी मीट –Easy Meat” हैं। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तानी मूल के लोगों के साथ एक समस्या है जो कम उम्र की श्वेत लड़कियों को अपना निशाना बनाते हैं और हमें पाकिस्तानी समुदाय से यह बात करने की जरूरत है कि यह क्यों हो रहा है?”
इस पुस्तक में विस्तार से उस संकोच को बताया है कि क्यों कुछ लोगों ने इस समस्या को रिलिजन की समस्या बताने के स्थान पर कल्चर की समस्या बताया। इसमें लिखा है कि ग्रूमिंग गैंग में जो लोग शामिल थे वह एशियाई थे, जैसे वह ईराक, अफगानिस्तान आदि से तो थे, मगर वह अधिकाँश मुस्लिम थे। इसमें यह भी लिखा है कि यह जानते हुए भी कि ब्रिटेन में सभी मुस्लिम जो यह करते हैं, एशियाई नहीं हैं, फिर भी अपराध की पहचान का यह पैटर्न जारी रहा। हौलेंड में जो मुस्लिम इन कृत्यों में संलग्न हैं, वह तुर्किये और मोरक्को से हैं, फिर भी लोगों ने इस्लाम जैसे महत्वपूर्ण कारक को अनदेखा कर दिया।
आंकड़े हमेशा ही कुछ और कहते हैं, परन्तु जब आंकड़ों को अपने दुराग्रहों के कारण कुछ और रंग दे दिया जाए तो पाकिस्तानी मुस्लिम मूल के लोगों के अपराध को एशियाई मूल के लोगों के अपराध में बदल दिया जाता है और विमर्श में इसे ही बेईमानी कहा जाता है। बलात्कार के आंकड़ों के साथ किया गया यह बलात्कार दरअसल सत्य के साथ किया जाने वाला दुराचार है, जिसे पश्चिम का एक बड़ा कुटिल वर्ग निरंतर करता आ रहा है।
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