Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर के एक मुस्लिम परिवार ने फारसी में अनुवादित वाल्मिकी रामायण की 310 साल पुरानी प्रति अपने पास संभालकर रखी है। इस मुस्लिम परिवार में इतनी आस्था है कि बिना नहाए ये लोग रामायण को हाथ तक नहीं लगाते। वाल्मीकि रामायण की मूल प्रति रामपुर की रजा लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई है। इस मुस्लिम परिवार ने एक अनोखी मिसाल पेश की है। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति डॉ. हसन रूहानी को फारसी में अनुवादित रामायण की एक प्रति भेंट की थी।
ग्वालियर के एक मुस्लिम व्यक्ति शिराज कुरैशी के पास 310 साल पुरानी वाल्मिकी रामायण है जिसका फारसी में अनुवाद किया गया है। शिराज ने रामायण को भक्तिभाव से सुरक्षित रखा है।
संस्कृत से फारसी में अनुवादित रामायण की शुरुआत ऊं के बजाय बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम से होती है, इसका अर्थ है, (मैं भगवान के नाम से शुरू करता हूं जो बहुत दयालु है)। हाजी शिराज कुरैशी पेशे से वकील हैं, उन्होंने बताया कि फारसी रामायण की प्रति हमारे घर में कई सालों से पूरी श्रद्धा के साथ रखी है।
वकील हाजी शिराज कुरैशी कहते हैं कि मेरे पिता हाजी एमएम कुरैशी रामायण के बहुत अच्छे जानकार थे। 1713 में लिखी गई यह फारसी रामायण गंगा-जमुनी संस्कृति का उदाहरण है।
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