प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के गौ-प्रेम पर फिर एक बार उभरी भारत से अनजान कुंठा
May 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम मत अभिमत

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के गौ-प्रेम पर फिर एक बार उभरी भारत से अनजान कुंठा

कहा जाता है कि ये गायें रामायण काल में ऋषि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र के समय भी पाई जाती थीं

by सोनाली मिश्रा
Jan 17, 2024, 06:15 pm IST
in मत अभिमत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मकर संक्रान्ति के दिन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कुछ गायों के साथ एक वीडियो बनाया और फोटो खिंचवाई। देखते ही देखते यह तस्वीरें वायरल हो गईं। यह तस्वीरें इतनी वायरल हुईं कि एक बार फिर से लिब्रल्स की कुंठा बाहर आने लगी। इस बार यह कुंठा अजीब थी। वैसे तो गाय को लेकर प्रगतिशील समूह में एक प्रकार की कुंठा विद्यमान रहती ही है। जहां बाघ आदि को बचाने के लिए अभियान चलाना प्रगतिशील माना जाता है, तो वहीं गौ-रक्षा को लेकर यदि कोई बात करता है तो उसे कट्टरता में सम्मिलित कर लिया जाता है।

 

जहां भारत की अर्थव्यवस्था एक समय में गौ वंश आधारित हुआ करती थी, एवं साथ ही उसका धार्मिक महत्व भी बरकरार रहा है। विष्णु जी ने जब श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया तो उन्होंने गौ संरक्षण पर जोर दिया था। यहाँ तक कि आम घरों में जब भी भोजन बनता है तो पहली रोटी गाय के लिए ही निकाली जाती है। गाय का महत्व भारतीयता का अहम पहलू है, परन्तु भारत से घृणा करने वाला जो वर्ग है, जिसके लिए गाय मात्र प्रोटीन का सोर्स है, उसे यह समझ ही नहीं आता है कि आखिर गाय का महत्व भारतीय दर्शन में इतना क्यों हैं। गाय को लेकर हमारे वेदों में भी लिखा गया है। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में प्रथम मंडल के 71वें सूक्त में 9वें मन्त्र में दूध को अमृत तुल्य बताया गया है। अग्निदेव की स्तुति करते हुए कहा गया है:

 

मनो न यो धवन: सद्य एत्येक: सूरो वस्व ईशे,

राजाना मित्रावरुणा सुपाणी गोषु प्रियममृतं रक्षमाणा!

 

अर्थात मन के सदृश गति वाले सूर्यरूप मेधावी अग्निदेव एक सुनिश्चित मार्ग से गमन करते हैं, और विविध धनों पर आधिपत्य रखते हैं। सुन्दर भुजाओं वाले मित्रावरुण गौओं में उत्तम एवं अमृत तुल्य दूध की रक्षा करते हैं। अर्थात गाय के दूध को तब भी अमृत के समान बताया गया था।

 

अथर्ववेद में कई स्थानों पर दूध की महत्ता के विषय में बताया गया है। अथर्ववेद के पुष्टिकर्म सूक्त में, सिन्धु समूह देवता का आवाहन करने हुए लिखा है:

 

ये सर्पिष: संस्रवंति क्षीरस्य चोदक्स्य च,

तेभिर्मे सवैं: संस्रावैर्धनं सं संस्रावयामसि

 

अर्थात जो धृत, दुग्ध तथा जल की धाराएं प्राप्त हो रही हैं, उन समस्त धाराओं द्वारा हम धन संपत्तियां प्राप्त करते हैं।

भारत के पर्व भी भारतीयता के इस पहलू के आसपास हैं। वह रह-रहकर इस महत्व को परिलक्षित करते रहते हैं एवं यह भी सत्य है कि जब राजनीतिक नेतृत्व अपने प्रतीकों के विषय में बिना किसी हीनभावना के गौरव व्यक्त करता है एवं उन्हें आत्मसात करता है तो आम जनता के मानस में भी वही संचार होता है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसी गौरवबोध का विस्तार किया है। यह हालिया मालदीव वाले मामले से समझा जा सकता है। यह हाल ही वर्षों में हिन्दी एवं स्थानीय भाषाओं पर उत्पन्न गौरव बोध से भी देखा जा सकता है। परन्तु यह भी सत्य है कि एक बहुत बड़ा वर्ग है जो यह मानता है कि भारत के गौरव के प्रतीक दरअसल पिछड़ेपन के प्रतीक हैं। यही कारण है कि जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत के मंदिरों, भारत की भाषाओं, भारत के पर्यटन स्थलों के प्रति गौरव की बात करते हैं तो वह बिलख उठता है।

 

जैसे ही श्री नरेंद्र मोदी की इन प्यारी गायों के साथ तस्वीरें वायरल हुईं, वैसे ही उस वर्ग की कुंठा सामने आ गयी। दरअसल यह कुंठा भारत के इतिहास एवं भारतीय गौ-वंश परम्परा के प्रति अनभिज्ञता की भी कुंठा थी। प्रधानमंत्री मोदी ने तस्वीरें एक दुर्लभ प्रजाति की भारतीय गायों के साथ खिंचवाई थीं, जिनके विषय में लोगों की जानकारी अत्यल्प है।

 

एक व्यक्ति का एक्स पर पोस्ट बहुत चर्चा का विषय रहा जिसमें उसने लिखा था कि यह लो-आईक्यू वालों, भावनात्मक रूप से प्रतिक्रिया देने वाले और असुरक्षित भारतीयों के लिए प्रोपोगैंडा है। और यह गायें कहाँ से आई हैं, मैंने यह गायें भारत में नहीं देखी हैं।


जैसी बात इस यूजर ने कही, जो अमेरिका का निवासी है और जिसके मन में आत्म गौरव से भरे भारत के प्रति घृणा भरी हुई है, वैसी ही टिप्पणियाँ कई कथित कम्युनिस्ट पत्रकारों के द्वारा भी प्राप्त हुई थीं। चूंकि ये लोग भारत से कटे हुए हैं और इन्हें भारत की गायों के प्रति जानकारी नहीं हैं।

इन पत्रकारों में विनोद कापरी जैसे लोग भी शामिल रहे, जिन्होनें हाल ही में भारत के समुद्र तटों को लेकर पुराने और अपमानजनक वीडियो साझा किए थे। अपने कुत्ते की लगातार फोटो प्रकाशित करने वाले अजीत अंजुम जैसे यूट्यूबर्स ने भी अपनी कुंठा निकाली।

 

हालांकि कई लोगों ने पंडित नेहरू की भी गाय वाली तस्वीरें इन सभी पोस्ट्स के बदले में पोस्ट कीं। परन्तु श्री नरेंद्र मोदी के हर कदम की तरह इस कदम में भी एक सन्देश था। और यह सन्देश कहीं न कहीं गौवंश एवं इस प्रजाति के गायों के संरक्षण को लेकर था क्योंकि ये गायें बहुत ही दुर्लभ गायें हैं एवं एक समय में विलुप्त प्राय: हो गयी थीं।

 

ये गायें आंध्र प्रदेश में पाई जाने वाली पुंगनूर गायें हैं। इन्हें सबसे छोटी गाय कहा जाता है। इन गायों की सामान्य ऊंचाई तीन से पांच फीट तक होती है। यह भी कहा जाता है कि ये गायें रामायण काल में ऋषि वशिष्ठ एवं विश्वामित्र के समय भी पाई जाती थीं। यह भी कहा जाता है कि इन गायों को ब्रह्मा नस्ल भी कहा जाता है। जलवायु एवं परिस्थितियों के चलते या तो ये विलुप्त होती गईं या फिर जानकार यह भी कहते हैं कि इनकी प्रजाति विलुप्त होती गयी।

 

इन नन्हीं गायों का दूध वसा से भरपूर होने के साथ ही तमाम तरह के औषधीय गुणों से भरपूर होता है। पुंगनूर गाय एक बार में 1-3 लीटर दूध देती है और लगभग 5 किलो चारा उसे चाहिए होता है और सबसे अच्छी बात यही होती है कि आकार में यह इतनी छोटी होती हैं कि इन्हें आसानी से कहीं पर भी पाला जा सकता है।

 

इन गायों का धार्मिक महत्व भी है। लोगों का मानना है कि इनमें महालक्ष्मी का वास होता है। इसलिए दक्षिण भारत के कई साधन संपन्न लोग इन गायों को अपने घरों में पालते हैं। साथ ही इनका दूध इतना पवित्र होता है कि विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर सहित दक्षिण के कई मंदिरों में इन के दूध की बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है।

 

विलुप्त हो रही इन गायों के संरक्षण पर लगातार अब कार्य किया जा रहा है और नादिपति गौशाला में डॉ कृष्णम राजू अब इन गायों के संवर्धन एवं विकास पर कार्य कर रहे हैं। परन्तु भारत के जनजीवन, भारत के इतिहास एवं भारत की संस्कृति से अनभिज्ञ लोगों को प्रधानमंत्री मोदी का उपहास उड़ाना ही कथित मॉडर्निज़्म का मानक लगता है, जबकि ऐसा करके वह बार-बार यही दिखाते हैं कि उनकी सोच भारत और भारत की संस्कृति को लेकर कितनी छोटी है।

 

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन प्यारी गौमाताओं का वीडियो साझा किए जाने के बाद इन गायों के प्रति जानने को लेकर आम लोगों की उत्सुकता बढ़ी है और नादिपति गौशाला में 15 जनवरी से ही लगातार फोन जा रहे हैं। 

Topics: PM Modi with cowPunganur cowsपीएम मोदीPM Modiपीएम मोदी का गाय प्रेमगाय के साथ पीएम मोदीपुंगनूर गायेंPM Modi love for cows
Share1TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

शाहिद खट्टर ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

मोदी का नाम लेने से कांपते हैं, पाक सांसद ने पीएम शहबाज शरीफ को बताया गीदड़

Operation Sindoor: शशि थरूर ने की पीएम मोदी और भारतीय सेना की तारीफ, कहा- गर्व है ऐसी कार्रवाई पर

शेर अफजल खान मारवत

जंग हुई तो इंग्लैंड भाग जाऊंगा, मोदी मेरे मौसी के बेटे नहीं- पाकिस्तानी सांसद

गोवा : धार्मिक लैराई जात्रा के दौरान भगदड़, 6 की मौत, 15 घायल, प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री सावंत से की बात

Video: बाबा केदारनाथ ने दिए दर्शन, हर हर महादेव का जयघोष, सीएम धामी की मौजूदगी में पीएम मोदी के नाम से हुई पहली पूजा

एक दशक में भारत की जीडीपी कैसे हुई दोगुनी?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

PIB Fact check

PIB Fact Check: सरकार ने नहीं जारी की फोन लोकेशन सर्विस बंद करने की एडवायजरी, वायरल दावा फर्जी

Pakistan Defence minister Khawaja Asif madarsa

मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने बताया सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस

भारतीय सेना के हमले में तबाह हुआ पाकिस्तानी आतंकी ठिकाना

जब प्रश्न सिंदूर का हो, तब उत्तर वज्र होता है

Pahalgam terror attack

आतंक को जवाब: पाकिस्तान के 4 एयरबेस पर फिर सेना ने किया हमला

एक शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त करते संस्कृत प्रेमी

15,000 लोगों ने किया संस्कृत बोलने का अभ्यास

Pakistan attacks in india

जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक पाकिस्तान ने किए हमले, सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब

चित्र प्रतीकात्मक है

चाल पुरानी मंशा शैतानी : ड्रोन अटैक की आड़ में घुसपैठ की तैयारी में पाकिस्तान!

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री स्वांत रंजन

संस्कृति रक्षक अहिल्याबाई

जल बचाओ अभियान से जुड़े विशेषज्ञ

‘सबसे बोलो, नल कम खोलो’

Representational Image

IMF से पैसा लेकर आतंकवाद में लगा सकता है पाकिस्तान, भारत ने बैठक में जताई चिंता, रिकॉर्ड पर लिया बयान

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies