यह मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की ही महिमा है कि जो दरभंगा महाराज कभी फूलों की पालकी से नीचे नहीं उतरते, वे इस ठिठुरती ठंड में भी लोगों को घूम घूम कर राम मंदिर का निमंत्रण बांट रहे हैं। बता दें कि बिहार के दरभंगा महाराज के वैभव की चर्चा पूरी दुनिया में होती रही है। स्वतंत्रता संग्राम हो या शिक्षा का प्रचार प्रसार दरभंगा राज परिवार ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।
प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ जयदेव मिश्र बताते हैं कि 1892 ई के कांग्रेस राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए जमीन नहीं मिल रही थी। जब कांग्रेस के नेताओं ने अपनी समस्या बताई तो तत्कालीन दरभंगा महाराज ने प्रयागराज में 52 बीघा जमीन खरीद कर कांग्रेस को दान दी थी। पटना विश्वविद्यालय का स्नातकोत्तर विभाग दरभंगा महाराज द्वारा प्रदत्त हवेली में ही स्थित है। लंदन तक दरभंगा महाराज ने अपनी कोठी बनाई। संस्कृत शिक्षा के लिए भी महाराज ने काफी धन व्यय किया। भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक उन्नति के लिए यह घराना सतत प्रयास करता रहा।
श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास द्वारा 14 जनवरी को जब दरभंगा के महाराज कुमार कपिलेश्वर सिंह को निमंत्रण मिला तो परिवार भाव विभोर हो गया। तीर्थ क्षेत्र न्यास का आमंत्रण शंख-नाद एवं वेद मंत्रोच्चारण के साथ विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर बिहार संपर्क प्रमुख विजय सिंह, विभाग संघ चालक अशोक कुमार सिंह, विभाग कार्यवाह अविनाश कुमार, एलएमएमयू दरभंगा के कुलपति एसके सिंह, का० द० संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति शशिनाथ झा समेत कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
अक्षत निमंत्रण लेकर घर घर पहुंचे कुमार कपिलेश्वर, महारानी निवास जा कर लिया दादी से आशीर्वाद
इसके बाद श्रीराम मंदिर में पूजित अक्षत वितरण कार्यक्रम का प्रारंभ दरभंगा राज के कुमार कपिलेश्वर सिंह के द्वारा प्रारंभ किया गया। इस दौरान सर्वप्रथम वह अपने पूर्वजों के परिसर माधवेश्वर परिसर गए जहां उन्होंने अपने पूर्वजों की समाधियों पर जाकर पूजा अर्चना की तथा कलश एवं अक्षत वितरण कार्यक्रम प्रारंभ किया। माधवेश्वर परिसर के उपरांत वे सेवा बस्ती मखनाही पोखर गए। वहां वह गरीबों और दलितों को अक्षत वितरण कर अयोध्या आने क़ो निमंत्रित किया। उन्होंने 22 जनवरी की शाम दीया जलाने की अपील भी की।
कुमार कपिलेश्वर सिंह ने मिथिला में निर्मित सबसे पुराने राम मंदिर जा कर पूजा अर्चना की और वहाँ के पुजारी क़ो भी अयोध्या आने का अक्षत निमंत्रण दिया। नरगौना परिसर स्थित यह राम मंदिर 1806 में कुमार कपिलेश्वर सिंह के पूर्वज महाराज छत्र सिंह ने बनवाया था।
राम दरबार की पूजा अर्चना करने के उपरांत कुमार कपिलेश्वर सिंह अपनी दादी एवं मिथिला की अंतिम महारानी काम सुंदरी साहिबा से मिलने कल्याणी निवास पहुंचे। दादी के साथ करीब 15 मिनट तक बंद कमरे में उन्होंने वार्तालाप किया। उन्होंने अयोध्या से आये राज परिवार क़ो निमंत्रण और सपरिवार अयोध्या जाने क़ो लेकर महारानी साहिबा क़ो सूचित किया और उनका आशीर्वाद लिया।
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