यूरोपीय देश फ्रांस में बढ़ते इस्लामिक कट्टरपंथ से निपटने के लिए फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों सरकार बड़ा फैसला लिया है। फ्रांस में अब विदेशी इमामों की एंट्री पर बैन लगा दिया गया है। इसके साथ ही देश के अंदर रह रहे विदेशी इमामों को भी देश से बाहर निकाला जाएगा। इसके लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने नया कानून बनाया है। इसके साथ ही फोरम ऑफ इस्लाम नाम की एक संस्था का भी गठन किया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फ़्रांस में नए अधिनियमित कानून का उद्देश्य समाज द्वारा इस्लाम को देखने के तरीके में सुधार करना है। फ्रांस एक सेक्युलर देश है, लेकिन फ्रांस ने इस सेक्युलरिज्म की बड़ी कीमत भी चुकाई है। ऐसे में राष्ट्रपति मैक्रों द्वारा लाए गए इस नए कानून को मजहबी आतंक से निपटने की कड़ी के तौर पर देखा जा रहा है।
इसे भी पढ़ें: Israel Hamas War: हमास ने बदली चाल, तीन इजरायली बंधकों का वीडियो जारी कर बनाया युद्ध विराम का दबाव
फ्रांस में फोरम ऑफ इस्लाम संस्था में धार्मिक नेताओं की नियुक्ति करेगी। इन लोगों की जिम्मेदारी मुस्लिम समुदायों को गाइड करने और किसी भी तरह के कट्टरपंथ को जड़ से खत्म करने में मदद करने में करनी होगी।
चार साल पहले हुआ था ऐलान
गौरतलब है कि फ्रांस मनें इस्लामिक कट्टरपंथ एक बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए साल 2020 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने धार्मिक कट्टरता पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की जानकारी दी थी। उस दौरान उन्होंने कट्टरता को खत्म कर महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की बात कही थी। दरअसल, फ्रांस में वर्ष 1977 में एक कानून लाया गया था, जिसके तहत चार मुस्लिम देशों को फ्रांस में इमामों को भेजने की झूट दी गई थी। इसके इन इमामों को देश के अंदर सांस्कृतिक जिम्मेदारियां दी गई थीं। लेकिन चार्ली हेब्दो और इमैनुएल पैटी के सिर कलम करने की घटनाओं ने फ्रांस को इस्लाम के बारे में सोचने पर विवश कर दिया।
टिप्पणियाँ