बात भारत की Confluence : भारत को समझने के लिए वैश्विक स्तर के इतिहास को समझने की जरूरत – आचार्य बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण शामिल हुए, जहां उन्होंने कहा कि वह क्षण आ गया है जब हमारे सामने भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण हो रहा है

Published by
Manish Chauhan

राष्ट्रीय साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य’ (PANCHJANYA) अपनी यात्रा के 77वें वर्ष को मना रहा है। इसके तहत आज यानि सोमवार को दिल्ली के होटल अशोक में “बात भारत की” Confluence कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के पहले सत्र में पतंजलि आयुर्वेद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) आचार्य बालकृष्ण शामिल हुए, जहां उन्होंने कहा कि वह क्षण आ गया है जब हमारे सामने भगवान श्री राम के मंदिर का निर्माण हो रहा है। हम भाग्यशाली हैं जो मंदिर का निर्माण देख रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि हमारी आने वाली पीढ़ी भी कहेगी कि जब राम मंदिर का उद्घाटन हो रहा था तो हमारे पूर्वज साक्षी थे। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने भी इसमें सहयोग किया। उसके लिए हमें कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए, यह हमारी संस्कृति है।

आचार्य बालकृष्ण ने कि पूरे देश के पाठ्यक्रम में जो इतिहास पढ़ाया जाता है। उसमें आर्यन इनविजन थ्योरी को आज भी पढ़ाया जा रहा है। उसके विरुद्ध में अब भी हमारे पास जो प्रयास होने चाहिए वह अभी पर्याप्त नहीं है। उन्होंने कहा कि  भारत को समझने के लिए हमें वैश्विक स्तर के इतिहास को जानने और समझने की जरूरत है। जब हम विश्व का इतिहास पढ़ेंगे तो उसमें कहीं न कहीं भारत जरूर नजर आएगा और भारत अपने आप विश्व में चमकेगा। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति के प्रमाण 10 से 12 हजार साल के पहले के हैं। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि करीब 6 हजार वर्ष पहले हमारी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति विज्ञान के रूप में दुनियाभर में पहुंच चुकी थी। विदेशों से जितनी भी चिकित्सा विधाएं शुरू हुई हैं, उसकी जड़ में आयुर्वेद ही है।

Share
Leave a Comment

Recent News