“हिन्दुओं के मन्दिरों की ध्वजाओं ने देश को जोड़ रखा है” : मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

“हिन्दुओं के मन्दिरों की ध्वजाओं ने देश को जोड़ रखा है” : मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़

जस्टिस चन्द्रचूड के बयान को राम चन्द्र गुहा ने कहा “गलत!”

by सोनाली मिश्रा
Jan 14, 2024, 03:31 pm IST
in भारत, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत में ही नहीं बल्कि इन दिनों पूरा विश्व ही राम मय हो रखा है और आम जन अयोध्या जी में बन रहे श्री राम मंदिर के प्रति अपने भाव किसी न किसी रूप में प्रकट कर रहा है।  परन्तु फिर भी कुछ लोग और विशेषकर वह लोग बहुत गुस्से में हैं जिन्होनें स्वतंत्रता के उपरान्त हिन्दुओं एवं मंदिरों को बदनाम करने का कार्य किया।  उन्हें यह देखकर बहुत गुस्सा है कि आखिर लोग मंदिर क्यों जा रहे हैं? मंदिरों के प्रति विमर्श में इतना विष बोने के बाद भी आम जनमानस के हृदय से मंदिर जाने की भावना को हटाया क्यों नहीं जा सका है, उन्हें बहुत पीड़ा है।  यह पीड़ा तब और झलक पड़ती है जब वह लोग भी अब मंदिर जाने को लेकर हीनभावना से ग्रसित नहीं हैं, जो लोग शायद पहले मंदिर जाने पर विवाद न हो जाए, नहीं जाते हों।

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश गुजरात दौरे पर थे।  गुजरात के दौरे पर वह इसलिए थे क्योंकि उन्हें राजकोट में जामनगर रोड पर एक नए न्यायालय भवन का उद्घाटन करना था।  इस दौरे के दौरान वह परिवार समेट श्री द्वारकाधीश मंदिर एवं श्री सोमनाथ मंदिर भी गए।

अपने इस दौरे के विषय में बात करते हुए एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जस्टिस चंद्रचूड़ ने उन प्रतीकों के विषय में बात की, जिन्हें हिन्दू धर्म से जुड़े असंख्य लोग मानते हैं और वह जस्टिस चंद्रचूड़ से सहमत भी हैं, मगर जो सहमत नहीं हैं, वह ऐसा वर्ग है जिसने आज तक हिन्दू धर्म और हिन्दू मंदिरों के प्रति कलुषित और झूठा विमर्श तैयार किया है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने मंदिरों की ध्वजा को भारत की एकता की वाहक कहा।  उन्होंने कहा कि वह द्वारकाधीश के ऊपर लहरा रही ध्वजा से प्रेरित हुए।  उन्होंने कहा “इसी प्रकार की ध्वजा मैंने जगन्नाथपुरी में देखी थी।  हमारे देश की परम्परा की सार्वभौमिकता को देखिये, जो हम सभी को एक साथ बांधती है।  इस ध्वजा का हमारे लिए विशेष अर्थ है।  वह अर्थ कि वकीलों के रूप में, न्यायाधीशों के रूप में, नागरिकों के रूप में हम सभी के ऊपर कोई एकजुट करने वाली शक्ति है।  वह एकीकृत शक्ति हमारी मानवता है, जो क़ानून के शासन और भारत के संविधान द्वारा शासित होती है!”

मगर जस्टिस चंद्रचूड़ को संभवतया यह ज्ञात नहीं होगा कि इस देश का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे हिन्दुओं की पहचान से घृणा है।  जिसे मंदिरों के टूटने के इतिहास से अधिक इस बात की चिंता रही है कि कहीं मंदिरों के बहाने हिन्दू एक न हो जाए और उस वर्ग द्वारा द्वेष का इतिहास न मिट जाए।  यह पूरी तरह से सत्य है कि जैसा आचरण समाज के प्रभावी लोग करते हैं, वही आचरण उनका अनुपालन करने वाले लोग करते हैं।

जब भारत में यह कहने वालों की सत्ता थी कि वह “एक्सीडेंटल हिन्दू हैं!” तो इतिहास लिखने वाले लोग भी इसी सोच से प्रेरित हुए वही इतिहास लिखते रहे जो हिन्दुओं को एक्सीडेंटल ही भारत में घोषित करते रहे।  ऐसे ही एक इतिहासकार हैं राम चन्द्र गुहा।

जैसे ही जस्टिस चन्द्रचूड ने मंदिर और ध्वजा की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत को एकीकरण में बाँधने वाला कहा वैसे ही रामचंद्र गुहा को गुस्सा आ गया और उन्होंने इसका खंडन करते हुए लिखा कि मंदिरों ने कभी लोगों को एक सूत्र में नहीं बांधा।

उनका कहना था कि हमारा इतिहास मंदिरों में छुआछूत का इतिहास रहा है और मंदिर का मुख्य पुजारी दलितों को मंदिर में पूजा करने की अनुमति नहीं देता था और उन्होंने यह भी कहा कि भारत के इतिहास में महिलाओं के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार हुआ है और देखा गया है।

दरअसल रामचंद्र गुहा जैसे कथित इतिहासकारों ने भारत के इतिहास को वामपंथी दृष्टिकोण से देखकर वहां की बुराइयां भारत में लागू करने का इतिहास लिखा है।  भारत में महिलाओं के साथ जो अत्याचार आरम्भ हुआ, वह कब से आरम्भ हुआ, यह रामचंद्र गुहा जैसे इतिहासकार लिखना भूल गए है।  वह जौहर में जलती हजारों हिन्दू स्त्रियों के हत्यारों को लिखना भूल गए हैं।  वह उन कारणों को भूल गए हैं, जिनके कारण मंदिरों को सुरक्षित किया गया कि देवों की प्रतिमाओं तक लोग पहुँच न सकें।  वह उन असंख्य लोगों की हत्याओं को भूल चुके हैं, जिन्होनें मंदिरों को बचाने के लिए अपने प्राण तज दिए परन्तु मंदिरों को आंच नहीं आने दी।

रामचंद्र गुहा का कहना है कि एक सेवारत मुख्य न्यायाधीश मंदिर की अपनी यात्रा को इतना सार्वजनिक कैसे कर सकता है और वह भी तब जब एक ऐसे मंदिर का समारोह ऐसे तरीके से मनाए जाने की बात हो रही है, जो हिन्दू धर्म परायणता की नहीं बल्कि हिन्दू बहुसंख्यकवाद का प्रतीक है।

चीफ जस्टिस ने महात्मा गांधी को संदर्भित करते हुए कहा था कि उन्होंने गांधीजी से प्रेरणा लेकर यात्रा करना और संवाद करना आरम्भ किया है तो रामचंद्र गुहा ने कहा कि “गांधी जी कभी भी मंदिर नहीं गए, केवल एक बार वह मदुरई में मीनाक्षी मंदिर गए थे क्योंकि वहां उन्होंने अस्पर्शयता की लड़ाई लड़ी थी।  हालांकि गांधी जी स्वयं को हिन्दू कहते थे, मगर उन्होंने अंतर्धार्मिक बैठकों के माध्यम से पूजा का रास्ता चुना!”

रामचंद्र गुहा जैसे लोगों ने महात्मा गांधी को कितना पढ़ा है या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता, वह उस समय की स्थिति के अनुसार मंदिर गए या नहीं फर्क नहीं पड़ता, परन्तु अभी रामचंद्र गुहा जिन्होनें आज तक एक बार भी किसी भी नेता की आलोचना यह कहते हुए नहीं की होगी कि यह सार्वजनिक रूप से इफ्तार पार्टी कर रहे हैं।

ये रामचंद्र गुहा ही हैं जिन्होनें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आलोचना तब की थी जब श्री नरेन्द्रमोदी ने उत्तराखंड में केदारनाथ में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया था और यह कहा था कि प्रधानमंत्री को लावलश्कर के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।

परन्तु रामचंद्र गुहा जैसे लोगों को हज हाउस और इफ्तार दावतों पर सार्वजनिक व्यय या नेताओं का “आस्था के प्रति प्रदर्शन” से आपात्ति नहीं होती है फिर हिन्दुओं के प्रतीकों से समस्या क्या है?

समस्या वही है कि चूंकि अभी तक एक्सीडेंटल हिन्दू का विमर्श था, जिसे अतीत के वैभव एवं गौरव के बारम्बार स्मरण ने गर्व से भरे हिन्दू के विमर्श में बदल दिया है और एक्सीडेंटल हिन्दू का विमर्श चलाने वाले स्वयं को इसमें अपरिचित पा रहे हैं और अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए कभी वह जस्टिस चंद्रचूड़ जो पद पर रहते हुए सभी धर्मों आदर करते हुए का अपमान करते हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ का 25 दिसंबर के अवसर पर ईसाई कैरोल गाता हुआ वीडियो वायरल हुआ था और वह बार-बार दलितों के साथ हुए अन्याय पर बोलते रहे हैं, परन्तु फिर भी यदि वह हिन्दू प्रतीकों के विषय में आदर का भाव व्यक्त कर रहे हैं तो वह रामचंद्र गुहा, प्रशांत भूषण जैसों के निशाने पर आएँगे ही।

Topics: Ram Chandra GuhaChief JusticeJustice ChandrachudHindu templesहिंदू मंदिरहिंदू मंदिरों की ध्वजामुख्य न्यायधीशजस्टिस चन्द्रचूडराम चन्द्र गुहाFlag of Hindu temples
Share2TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मुरुगा भक्त सम्मेलन में शामिल हुए भक्त

संगठित हिन्दू शक्ति का दर्शन

Bangladesh Islamist broaken kali mata idol

बांग्लादेश: रंगपुर में हिंदू मंदिर पर इस्लामिक कट्टरपंथी का हमला, काली माता की मूर्ति तोड़ी

Bagladesh Kali mata Temple burnt into ashesh by Islamist

बांग्लादेश हिंदू मंदिर हमला: सीताकुंडा में काली माता मंदिर को इस्लामिस्टों ने लूटा, तोड़ा और जला दिया

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: हाई कोर्ट के सभी जजों को पूर्ण पेंशन का अधिकार

अयोध्या : राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी! धमकी भरे मेल से मचा हड़कंप, जांच में जुटी पुलिस

महाकुंभ नगर में पत्रकारों को संबोधित करते विहिप के अध्यक्ष आलोक कुमार

महाकुंभ : मंदिरों को हिंदू समाज को वापस सौंपें सरकारें, VHP ने ‘मंदिर मुक्ति आंदोलन’ की बनाई बड़ी योजना

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies