लखनऊ। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि जीवन के अंतिम क्षण तक विद्यार्थी को ज्ञानार्थी बने रहना चाहिए। भारतीय संस्कृति को उन्होंने अविरल और मृत्युंजय बताया तथा कहा कि भारत की संस्कृति अकेली ऐसी संस्कृति है जो आत्मा से परिभाषित होती है। उन्होंने शिक्षा का मतलब संवेदनशीलता बताया।
आरिफ मोहम्मद खान आज यहां ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय,लखनऊ के अष्टम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस संसार में जितने भी विषय और मामले हैं,उनका शांतिपूर्ण समाधान तथा निष्पादन का माध्यम केवल वाक्य है, जो भाषा से आता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा भाषा का ज्ञान होना चाहिए, जिससे विविध संस्कृति और रीति-रिवाज को समझा जा सके।
उन्होंने भारत की सभ्यता और संस्कृति को ज्ञान की संस्कृति बताया तथा जीवन का उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति बताते हुए कहा कि जीवन के अंतिम क्षण तक विद्यार्थी को ज्ञानार्थी बने रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्राप्ति के बाद ज्ञान को साझा करना चाहिए। इस मौके पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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