नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जनवरी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के शुभ अवसर पर समस्त देशवासियों से हर घर में ‘श्रीराम ज्योति’ प्रज्ज्वलित करने का आग्रह किया है।
प्रधानमंत्री ने शनिवार को सोनल माता के जन्म शताब्दी कार्यक्रम को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित किया। सोनल मां गुजरात में गढ़वी चारण समाज की एक प्रसिद्ध समाज सुधारक थीं। उन्होंने कहा कि हम सब कल्पना कर सकते हैं कि आज जब अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होने जा रहा है, तो सोनल मां कितनी प्रसन्न होंगी। प्रधानमंत्री ने सभी से 22 जनवरी के शुभ अवसर पर श्रीराम ज्योति जलाने का आग्रह करते हुए कहा, “आज इस अवसर पर मैं आप सभी से, 22 जनवरी को हर घर में श्रीराम ज्योति प्रज्ज्वलित करने का आग्रह भी करूंगा।”
प्रधानमंत्री ने देश में मंदिरों के लिए कल शुरू हुए स्वच्छता अभियान का भी जिक्र किया और कहा, “हमें इस दिशा में भी मिलकर काम करना होगा। मुझे विश्वास है कि हमारे ऐसे प्रयासों से श्री सोनल मां की खुशी अनेक गुणा बढ़ जाएगी।” प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर पूरे चारण समाज और सभी व्यवस्थापकों को बधाई दी और कहा, “मढड़ा धाम चारण समाज के लिए श्रद्धा, शक्ति, संस्कार और परंपराओं का केंद्र है। मैं आई के चरणों में सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवती स्वरूपा सोनल मां इस बात का जीवंत उदाहरण थीं कि भारत किसी भी युग में अवतारी आत्माओं से खाली नहीं होती है। उन्होंने उल्लेख किया कि पवित्र गिरनार भगवान दत्तात्रेय और अनगिनत संतों का स्थान रहा है। सौराष्ट्र की इस सनातन संत परंपरा में प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘श्री सोनल माता आधुनिक युग के लिए प्रकाशपुंज की तरह थीं। उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा, मानवीय शिक्षाओं और तपस्या ने उनके व्यक्तित्व में एक अद्भुत दिव्य आकर्षण पैदा किया जिसे आज भी जूनागढ़ और मढड़ा के सोनल धाम में महसूस किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “सोनल मां का पूरा जीवन जन कल्याण, देश और धर्म की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने भगत बापू, विनोबा भावे, रविशंकर महाराज, कानभाई लहेरी, कल्याण शेठ जैसे महान लोगों के साथ काम किया।” मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि वह चारण समाज के विद्वानों के बीच एक विशेष स्थान रखती थीं और उन्होंने कई युवाओं को दिशा देकर उनके जीवन को भी बदल दिया। समाज में उनके योगदान पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने समाज में शिक्षा और नशामुक्ति की दिशा में उनके अद्भुत कार्यों का उल्लेख किया। मोदी ने कहा कि सोनल माता ने समाज को कुरीतियों से बचाने के लिए काम किया और कच्छ के वोवार गांव से एक विशाल प्रतिज्ञा अभियान शुरू किया था जिसमें कड़ी मेहनत करके आत्मनिर्भर बनने और पशुधन की रक्षा पर जोर दिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सोनल मां आध्यात्मिक और सामाजिक कार्यों के साथ-साथ देश की एकता और अखंडता की भी मजबूत प्रहरी थीं। भारत विभाजन के समय जब जूनागढ़ को तोड़ने की साजिशें चल रही थीं, तब उसके खिलाफ सोनल मां चंडी की तरह उठ खड़ी हुई थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आई श्री सोनल मां देश में चारण समाज के योगदान का एक महान प्रतीक हैं।” मोदी ने कहा कि इस समाज को भारत के शास्त्रों में भी एक विशेष स्थान और सम्मान दिया गया है। भागवत पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में चारण समाज को श्रीहरि का प्रत्यक्ष वंशज बताया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सोनल मां को पारंपरिक पद्धति से कभी शिक्षा नहीं मिली, लेकिन संस्कृत भाषा पर भी उनकी अद्भुत पकड़ थी। शास्त्रों का उन्हें गहराई से ज्ञान प्राप्त था। प्रधानमंत्री में कहा, “उनके मुख से जिसने भी रामायण की मधुर कथा सुनी, वो कभी नहीं भूल पाया।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि श्री सोनल मां की प्रेरणा हमें भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में काम करने की नई ऊर्जा देती है। प्रधानमंत्री ने चारण समाज से जागरुकता पैदा करने के लिए काम करना जारी रखने का आग्रह करते हुए कहा, “सोनल मां के दिए गए 51 आदेश, चारण समाज के लिए दिशा-निर्देशक हैं।”
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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