पैसे की भयंकर कमी से जूझ रहे इस्लामवादी पाकिस्तान दुनियाभर से भीख मांग—मांग कर थक चुका है। उसने नेता जिस देश में भी जाते हैं, अपना भीख का कटोरा साथ ले जाते हैं। इसलिए अनेक मुस्लिम देशों सहित कई अन्य देश भी अब उनसे कतराने लगे हैं। ऐसे में एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने उसकी आर्थिक तंगी को कुछ कम करने के लिए नया कर्जा दिया है। यह बेलआउट पैकेज 700 मिलियन डॉलर का है।
पाकिस्तान के अखबारों में आई रिपोर्ट बताती हैं कि कर्जा पारित करने से पहले आईएमएफ बोर्ड ने पाकिस्तान के आर्थिक सुधार के लिए किए गए कामों पर नजर डाली और फिर सिर्फ इस बेलआउट पैकेज की घोषणा की। आईएमएफ की इस समीक्षा का काल जुलाई—सितंबर 2023 तक का रहा।
हर क्षेत्र में पैसे की जबरदस्त कमी झेल रहे पाकिस्तान के लोगों ने अब अपनी सरकार को लानतें भेजनी शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही वे पड़ोसी भारत की तरक्की की तारीफ करना भी नहीं भूलते। कह सकते हैं कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था आज पूरी तरह कर्ज के सहारे सरक रही है।
पड़ोसी इस्लामवादी देश ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कर्जे की गुहार काफी दिन से लगा रखी थी। इसके बाद, आईएमएफ ने पाकिस्तान के आर्थिक हालात और उससे उबरने के कदमों की समीक्षा की। बेलआउट पैकेज के तौर पर दिए जाने वाले 700 मिलियन डॉलर कर्जे की पहली किश्त होगी।
अगले महीने चुनाव कराने का मन बना रहा पाकिस्तान इन चुनावों के लिए खर्च कहां से ला रहा है, यह एक बड़ा सवाल बना हुआ था। अब शायद आईएमएफ के दिए कर्जे से चुनाव तो संपन्न हो जाएं, लेकिन उसके बाद भी, परिस्थितियों को देखते हुए रोटी के लाले पड़े ही रहने वाले हैं। इसी बेलआउट पैकेज के तहत के कार्यक्रम के तहत 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की शुरुआती किश्त जुलाई 2023 में जारी की गई थी, जिसके सहारे गाड़ी यहां तक खिंची थी।
पड़ोसी इस्लामवादी देश में महंगाई दर 25 फीसदी तक जा पहुंची है। वहां एक किलो दूध 144 रुपये तक का मिल रहा है। एक ब्रेड की कीमत 98 रुपये है। रोजमर्रा की चीजों के आसमान छूते दाम लोगों का जीना मुहाल किए हुए हैं। देश में बदहाली का आलम है। मध्यम वर्ग की कमर टूट चुकी है। गरीबों को तो दो वक्त की रोटी के लाले हैं।
आईएमएफ के इस कर्जे के पारित होने के बाद पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय का बयान आया कि एसडीआर में 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर को फौरन दिए जाने को हरी झंडी मिल गई है। यह एक ‘स्टैंडबाई’ व्यवस्था है।
दुनिया जानती है कि कंगाल पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म होने वाला है। गत वर्ष के शुरू में पाकिस्तान सरकार का बयान था कि अब देश में विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 3.09 अरब डॉलर ही बचे हैं। यहां एक रिपोर्ट में जताई गई आशंका पर ध्यान देना भी समीचीन होगा कि यदि पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तों को मान लेता है तो वहां मुद्रास्फीति के 40 फीसदी तक हो जाने के आसार हैं। ऐसा हुआ तो हालात कितने खराब हो जाएंगे, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
फिलहाल पड़ोसी इस्लामवादी देश में महंगाई दर 25 फीसदी तक जा पहुंची है। वहां एक किलो दूध 144 रुपये तक का मिल रहा है। एक ब्रेड की कीमत 98 रुपये है। रोजमर्रा की चीजों के आसमान छूते दाम लोगों का जीना मुहाल किए हुए हैं। देश में बदहाली का आलम है।
मध्यम वर्ग की कमर टूट चुकी है। गरीबों को तो दो वक्त की रोटी के लाले हैं। ये लोग एक वक्त खाकर ही सोने को मजबूर हो चुके हैं। आम जनता के पास आटा, चावल, दाल नहीं है। पेट्रोल और गैस की कीमते भी आसमान छू चुकी हैं। अनेक परिवार तो लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाने को मजबूर हो चुके हैं।
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