स्वामी विवेकानंद जयंती: जब स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम को दिया 'राममंत्र', लहरा उठी सनातन धर्म की ध्वजा
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

स्वामी विवेकानंद जयंती: जब स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम को दिया ‘राममंत्र’, लहरा उठी सनातन धर्म की ध्वजा

स्वामी विवेकानंद ने 31 जनवरी 1900 को शेक्सपियर क्लब, पासाडेना, कैलिफ़ोर्निया में एक व्याख्यान दिया था

by पूनम नेगी
Jan 12, 2024, 02:32 pm IST
in संस्कृति
स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

22 जनवरी को अयोध्या में चिर प्रतीक्षित राममंदिर के भव्य उद्धाटन के साथ समूचे देश में भारत की सनातन संस्कृति के पुनरोदय का शंखनाद होने वाला है; ऐसी पुनीत बेला में स्वामी विवेकानंद के कालजयी राष्ट्रमन्त्र याद आते हैं। आज स्वामी विवेकानंद की 161वीं जयंती है। आइए जानते हैं कि स्वामी विवेकानंद का मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के बारे में क्या कहना था।

31 जनवरी 1900 को शेक्सपियर क्लब, पासाडेना, कैलिफ़ोर्निया में दिये गये एक व्याख्यान में स्वामी विवेकानंद ने रामायण की कहानी सुनाते हुए आंग्ल संस्कृति के लोगों को श्रीराम के चरित्र व आचरण की विशेषताओं के बारे बताया था। उन्होंने कहा था कि अयोध्या के राजा राम का सम्पूर्ण जीवन प्राचीन भारत के सनातन जीवन मूल्यों का उच्चतम प्रतिमान है। एक शिष्य, एक राजा, एक पुत्र, एक पति, एक भाई व एक मित्र के रूप में मनुष्य का सर्वोत्तम आचरण कैसा होना चाहिए, यह श्रीराम के जीवन से सीखा जाना चाहिए। वह श्रीराम ही थे, जिन्होंने एक राजपरिवार से होते हुए भी वनवासी स्त्री के जूठे बेर खाकर सामाजिक समरसता एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया था।

उक्त व्याख्यान में माता सीता को भारतीय नारियों के आदर्श के रूप में स्थापित करते हुए उन्होंने कहा था कि आज भी भारत में महिलाओं को सीता होने का आशीर्वाद दिया जाता है। स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि एक आदर्श पत्नी व माँ के रूप में माँ सीता का समूचा जीवन संघर्ष में बीता, किन्तु उन्होंने सारी पीड़ा सहर्ष सहन की और हर परिस्थिति में अर्धांगिनी होने का कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाया। जब आप उनके चरित्र का गहनता से अध्ययन करेंगे तो साफ़ पता चल जाएगा कि भारत का नारी आदर्श पश्चिम के आदर्श से कितना भिन्न है। उन्होंने महावीर हनुमान के अतुलनीय चरित्र से सीख लेने की आवश्कता पर भी बल देते हुए कहा था कि वे अपनी इंद्रियों के पूर्ण स्वामी और अद्भुत रूप से बुद्धिमान थे, जिन्होंने समुद्र को लांघकर आश्चर्यचकित कर देने वाले वीरतापूर्ण साहसिक कार्य को अंजाम दिया था। स्वामी जी ने महर्षि वाल्मीकि की रामकथा का उदाहरण देते हुए कहा था कि प्राचीन ऋषियों की वाणी हमें उद्बोधित करती है कि यदि हम ईश्वर को प्राप्त करना चाहते हैं तो हमें काम-कांचन (वासना और अधिकार) का त्याग करना होगा।

स्वामी विवेकानंद के शिष्य स्वामी अनंत दास अपनी पुस्तक ” माई लाइफ विथ माई गुरु जी’’ में लिखते हैं कि उनके गुरु स्वामी विवेकानंद ने अयोध्या के राम मंदिर की भविष्यवाणी 120 साल ही पहले कर दी थी। स्वामी विवेकानंद फाउंडेशन की एक वेबसाइट के हवाले से यूट्यूब पर प्रसारित इस जानकारी के मुताबिक120 साल पहले जब स्वामी जी कलकत्ता में एक राम मंदिर का उद्घाटन करने गये थे तो उस अवसर पर जब किसी श्रद्धालु ने उनसे यह प्रश्न किया था कि प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में उनके क्षतिग्रस्त मंदिर का पुनर्निर्माण कब होगा? तो इस बात पर स्वामी जी ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया था। उन्होंने कहा था कि जब भारत के सनातनधर्मियों में भारत के राष्ट्रपुरुष प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा अपने चरम पर पहुँच जाएगी तो राम मंदिर खुद ब खुद बन जाएगा। और आज उनके उस कथन की सत्यता प्रमाणित होती स्पष्ट देखी जा सकती है।

11 सितंबर 1893 को शिकागो के विश्व मंच से समूची दुनिया में सनातन धर्म की विजय ध्वजा लहराने वाले भारत के इस युवा संन्यासी ने ‘’हिंदुत्व’’ को भारत की राष्ट्रीय पहचान के रूप में प्रतिष्ठित किया था। एक ऐसे संक्रमण काल में जब पाश्चात्य संस्कृति में मोहपाश और ईसाई मिशनरियों के सुनियोजित षड्यंत्र ने समूची पच्छिमी दुनिया में भारत की छवि अधनंगे साधुओं, भिखमंगों और सपेरों के देश की बना बना रखी थी; वेदांत पर अपने तर्कपूर्ण संभाषण द्वारा स्वामी जी ने पूरी दुनिया में भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति कि ऐसी धूम मचायी थी कि मंच पर उपस्थित दुनिया भर के दिग्गज धर्मवेत्ता सनातन धर्म की महानता के आगे नतमस्तक हुए बिना न रह सके थे। हिंदू धर्म पर स्वामी विवेकानंद का स्पष्ट कहना था कि हिंदू धर्म का असली संदेश लोगों को अलग-अलग धर्म-संप्रदायों के खांचों में बांटना नहीं है, बल्कि पूरी मानवता को एकसूत्र में पिरोना है। गीता में भी भगवान कृष्ण ने भी यही संदेश दिया था कि अलग-अलग कांच से होकर हम तक पहुंचने वाला प्रकाश एक ही है।

भारत का ‘भारत’ से वास्तविक परिचय कराने में स्वामी विवेकानंद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि एक संचारक के रूप में स्वामी जी की वाणी में यह ताकत थी कि वे अपनी ऊर्जा से अपनी बात सामने वाले के मस्तिष्क में पहुंचा देते थे। भगवान श्रीराम के आदर्श को हृदयंगम करने वाले स्वामी विवेकानंद का समूचा जीवन सनातन और मानव समाज के लिए समर्पित रहा। अपने महान गुरु श्री श्री रामकृष्ण परमहंस और गुरु माता शारदादेवी के आशीर्वाद से विश्वभ्रमण कर हिंदुत्व का वैश्विक प्रसार करने वाले स्वामी विवेकानंद ने हिंदुत्व व हिंदू धर्म की सनातन शिक्षाओं के प्रचार प्रसार और दरिद्र नारायण की सेवा के लिए ही सबसे पहले कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी।

जब भगवान राम ने भेजा स्वामी जी के लिए भोजन !

स्वामी विवेकानंद मानते थे कि यदि आप सच्चे मन से भगवान से प्रेम करते हैं तो आपको भोजन, पानी, कपड़ा और आश्रय जैसी अपनी बुनियादी जरूरतों की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। भगवान आपको सब कुछ खुद ब खुद प्रदान कर देंगे। उनके इस विश्वास को प्रमाणित करती एक किवदंती बंगाल में बहुत लोकप्रिय है। बात तब की बतायी जाती है जब स्वामी विवेकानन्द भारत भ्रमण पर थे। एक दिन वे बंगाल के तारी घाट के रेलवे प्लेटफार्म पर भूखे प्यासे बैठे थे। दो दिन से अन्न ग्रहण नहीं किया था और जेब में एक पैसा भी नहीं था। उसी दौरान भौतिक मानसिकता से ग्रसित एक अमीर व्यवसायी सेठ स्वामी जी के सामने आ बैठा और उसने उनके सामने तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों से भरा अपने भोजन का डिब्बा खोल दिया। उसने स्वामी विवेकानंद से कहा देखो मेरे पास खाने के लिए कितना स्वादिष्ट भोजन है और एक तुम हो जो सूखे गले और खाली पेट ही गुजारा करने को मजबूर हो। व्यवसायी की इन बातों पर स्वामी जी ने कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दी और शांत भाव से बैठे रहे। इतने में ही अचानक एक अजनबी व्यक्ति भोजन और पानी लेकर स्वामी विवेकानंद के पास आया और जल्दी से एक साफ जगह पर चटाई बिछाकर स्वामी जी से भोजन करने का अनुरोध करने लगा। स्वामी जी उसके हाव-भाव से आश्चर्यचकित होते हुए बोले कि हो सकता है कि आप पहचानने में भूल कर रहे हों क्यूंकि मैं आपको पहचानता तक नहीं तो भोजन क्यों ! इस पर उस अजनबी व्यक्ति ने आखों में आँसू भर कर स्वामी जी से कहा कि बीती रात को उसके स्वप्न में स्वयं उसके आराध्य भगवान राम आए थे और उन्होंने ही उसे तार घाट स्टेशन पर बैठे संन्यासी को भोजन कराने का आदेश दिया था। यह सुनते ही ईश्वर के प्रति कृतज्ञ भाव से स्वामी जी की आंखें भर आईं और उन्होंने बहुत ही प्रेमपूर्वक उस भोजन को स्वीकार कर उस व्यक्ति को धन्यवाद दिया। इस पर उस व्यक्ति ने विनम्रता से कहा, नहीं! नहीं! स्वामी जी मुझे धन्यवाद मत दीजिए! यह सब मेरे आराध्य श्रीरामजी की आदेश है। यह समूचा घटनाक्रम अपनी आँखों से देख सामने बैठा व्यापारी सेठ अपने व्यवहार पर शर्मिंदा होते हुए स्वामी जी के चरणों में गिर गया।

Topics: स्वामी विवेकानंद और रामस्वामी विवेकानंद का भाषणSwami Vivekananda and RamSwami Vivekananda's speechSwami Vivekananda's thoughtsस्वामी विवेकानंद जयंतीस्वामी विवेकानंद के विचारSwami Vivekananda Jayanti
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

पथ संचलन से पूर्व एकत्रित सेविकाएं

पहली बार निकला पथ संचलन

Swami Vivekananda Jayanti

स्वामी विवेकानंद जयंती: पंतनगर में विवेकानंद स्वाध्याय मंडल की 20वीं राष्ट्रीय युवा संगोष्ठी का गौरवशाली आयोजन

उत्तराखंड : हरिद्वार में विवेकानंद 163वीं जयंती पर हुआ करणी सेना का महासम्मेलन

Swami Vivekananda

युवा भारत के स्वप्नद्रष्टा स्वामी विवेकानंद

Swami Vivekananda Virth Aniversary

जयंती विशेष: विभिन्न धर्मों और मान्यताओं पर स्वामी विवेकानंद के दृष्टिकोण

स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद: शिकागो में महज 30 साल की उम्र में ‘हिंदू सन्यासी’ का वो ऐतिहासिक भाषण, विश्व धर्म संसद में अमिट छाप

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

‘ऑपरेशन सिंदूर से रचा नया इतिहास’ : राजनाथ सिंह ने कहा- भारतीय सेनाओं ने दिया अद्भुत शौर्य और पराक्रम का परिचय

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies