मालदीव में नए राष्ट्रपति बने मुइज्जू अपने चुनाव से पहले से ही किस हद तक भारत के प्रति नफरत पाले बैठे थे, इसका हैरतअंगेज खुलासा किया है एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने। यूरोपियन इलेक्शन ऑब्जरवेशन मिशन ने मालदीव में 9 व 30 सितंबर 2023 को दो दौर में सम्पन्न हुए आम चुनाव को लेकर जारी की अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रपति मुइज्जू और सत्ता में बैठे गठबंधन की भारत विरोधी सोच उजागर कर दी है।
इन चुनावों के बाद मालदीव में जीतकर आए गठबंधन में प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) शामिल है। इन दोनों ने मिलकर वहां सरकार बनाई है। लेकिन यूरोपीय संघ के इस महत्वपूर्ण मिशन की रिपोर्ट चौंकाने वाली जानकारी सामने रखती है। रिपोर्ट बताती है कि इस सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2023 में हुए राष्ट्रपति चुनावों में भारत के प्रति नफरत का खुला प्रदर्शन किया था और भारत विरोधी भावनाएं भड़काई थीं। इतना ही नहीं, सत्ता में बैठे गठबंधन ने इंटरनेट पर भारत के विरुद्ध गलत बातें फैलाई थीं।
यूरोपियन इलेक्शन ऑब्जरवेशन मिशन की रिपोर्ट में उल्लेख है कि आम चुनाव में पीपीएम-पीएनसी गठबंधन ने उस देश को लेकर भारत के असर की ‘आशंकाओं’ का दुष्प्रचार किया था। यूरोपीय संघ के पर्यवेक्षकों को यह देखकर हैरानी हुई कि पीपीएम-पीएनसी की तरफ से उस वक्त के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह को लेकर भी अपमानजनक भाषा इस्तेमाल की गई थी।
यूरोपीय मिशन की रिपोर्ट कहती है कि वहां पार्टियों ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारत के विरुद्ध भावनाएं भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मालदीव में भारत के सैनिकों की उपस्थिति को मुद्दा बनाया गया था और चुनाव जीतने के बाद उन्हें अगले ही दिन वहां से बाहर करने का मुइज्जू ने चुनाव सभाओं में वादा तक किया था। इंटरनेट पर भारत के विरुद्ध अनर्गल दोषारोपण किए गए थे।
यहां बता दें कि मालदीव में सितम्बर 2023 में सम्पन्न हुए आम चुनाव में पीएमसी के मोहम्मद मुइज्जू को 54 प्रतिशत मत मिले थे और वे चुनाव जीते थे। यूरोपीय मिशन की रिपोर्ट कहती है कि वहां पार्टियों ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारत के विरुद्ध भावनाएं भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। मालदीव में भारत के सैनिकों की उपस्थिति को मुद्दा बनाया गया था और चुनाव जीतने के बाद उन्हें अगले ही दिन वहां से बाहर करने का मुइज्जू ने चुनाव सभाओं में वादा तक किया था। इंटरनेट पर भारत के विरुद्ध अनर्गल दोषारोपण किए गए थे।
इधर, मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति अहमद अदीब ने साफ कहा है कि मालदीव के मंत्रियों के गलत बोल की वजह से जो कुछ भी घटा है, उसने भारत के लोगों के मन को ठेस पहुंचाई है। अहमद ने कहा कि भारत ने तो हमेशा ही मालदीव की मदद की है। इसलिए मालदीव की सरकार को भारत से माफी मांगनी चाहिए। इतना ही नहीं, पूर्व उपराष्ट्रपति अहमत ने तो यहां तक मांग की है कि राष्ट्रपति मुइज्जू को निजी तौर पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करके भूल को स्वीकारना चाहिए।
मालदीव के पूर्व उपराष्ट्रपति अहमद अदीब ने साफ कहा है कि मालदीव के मंत्रियों के गलत बोल की वजह से जो कुछ भी घटा है, उसने भारत के लोगों के मन को ठेस पहुंचाई है। अहमद ने कहा कि भारत ने तो हमेशा ही मालदीव की मदद की है। इसलिए मालदीव की सरकार को भारत से माफी मांगनी चाहिए।
मालदीव की सरकार और लोग जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी को लेकर गलत टिप्पणी करने वाले निरस्त किए कनिष्ठ मंत्री दरअसल मूलतः एक्टिविस्ट ही रहे हैं। लेकिन उन्हें समझना चाहिए था कि अब वे सरकार के जिम्मेदारी वाले पद संभाले हुए थे। ऐसे में उन्हें एक्टिविज्म को अलग रख देना चाहिए था और सरकार में होने का अर्थ समझना चाहिए था।
लेकिन भारत के लोगों ने इस मुद्दे पर गजब की एकजुटता दिखाते हुए मालदीव को उसकी हैसियत से परिचित करा दिया। अहमद अदीब का कहना है कि उनके देश के पर्यटन उद्योग में भारत का योगदान शीर्ष पर रहा है। जो कुछ भी गत दिनों हुआ है और भारत में जिस तरह मालदीव का बहिष्कार होने लगा है उससे उनके देश को आर्थिक तौर पर काफी नुकसान होने लगा है।
मालदीव के आलीशान रिसॉर्ट और उड़ानों की बुकिंग कैंसल होने से एक बड़ा नुकसान हुआ है और इसके पीछे दोषी सिर्फ राजनीति है। पूर्व उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जो भी हो रहा है उसे मालदीव और मालदीव के नागरिक कभी स्वीकार नहीं कर सकते। इसलिए सरकार को इस पूरे कृत्य के लिए भारत से माफी मांगनी चाहिए।
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