भारत की आत्मा हैं राम
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम मत अभिमत

भारत की आत्मा हैं राम

राम को समझना है तो हमें राम के जीवन चरित्र को समझना होगा और उसी से हम भारत के राष्ट्र चरित्र को समझ सकते हैं। सर्वप्रथम, राम त्याग की प्रतिमूर्ति हैं

by त्रिवेंद्रम प्रताप सिंह
Jan 10, 2024, 06:06 pm IST
in मत अभिमत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो यह जानना आवश्यक है कि राम का महत्व क्या है। और यह भी सोचने का विषय है कि इसी महत्व के कारण आतताईयों ने इस मंदिर को संपूर्ण विध्वंश किया और उसके ऊपर मस्जिद बनाई। क्यूँकि उन्हें पता था की इस मंदिर का विखंडन भारत की आत्मा का विखंडन है।

राम, यह केवल दो शब्द नहीं है। इसमें भारतवर्ष की संपूर्ण संस्कृति सन्निहित है। राम का नाम हमारे प्रतिदिन के अभिवादन, जैसे ‘जय राम जी की’, ‘जय सियाराम’, ‘ जय श्री राम’ से लेकर अधिकांश भारतीय व्यक्तियों के नामों में मिलता है। इसीलिए राम एक ऐसा भाव है जिससे कोई भी व्यक्ति भारतीय मानस का अनुभव कर सकता है।

आज जब लगभग 500 वर्षों बाद श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है तो यह जानना आवश्यक है कि राम का महत्व क्या है। और यह भी सोचने का विषय है कि इसी महत्व के कारण आतताईयों ने इस मंदिर को संपूर्ण विध्वंश किया और उसके ऊपर मस्जिद बनाई। क्यूँकि उन्हें पता था की इस मंदिर का विखंडन भारत की आत्मा का विखंडन है।

राम को समझना है तो हमें राम के जीवन चरित्र को समझना होगा और उसी से हम भारत के राष्ट्र चरित्र को समझ सकते हैं। सर्वप्रथम, राम त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। पुत्र धर्म के पालन के लिए उन्होंने राज्य सिंहासन त्याग कर वनवास जाना स्वीकारा। ठीक ऐसे ही हमारे राष्ट्र में त्याग को हमेशा पूजा जाता है, चाहे वह सन्यस्थ वेश भूषा धारण किए हुए को पूजना या सम्मान देना हो या परिवार त्याग करने वाले को राजनीतिक, सामाजिक नेतृत्व देना हो। भारत में  त्याग पूज्य है और राम त्याग की जीवंत मूर्ति हैं।

यह भारत के पुनर्जागरण का आरंभ है। जिस दिन भारत का जन मानस यह समझ जाएगा कि राम भारत की आत्मा हैं उस दिन जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद आदि का अंत हो जाएगा। जिस प्रकार जन अनुरागी राम के लिए उनकी प्रजा की प्रसन्नता ही उनके शासन का मूल मंत्र था उसी प्रकार जिस दिन भारत के राजनैतिक, प्रशासनिक और सामाजिक शासकों को यह गूढ़ मंत्र समझ आ जाएगा उस दिन शासक और शासित के बीच का परस्पर संदेह समाप्त हो जाएगा। शासक स्वयं को केवल सेवा का एक माध्यम मानेगा और शासित का शासक के प्रति प्रेम बढ़ जाएगा। और वही होगा राम-राज्य।

त्याग के साथ साथ राम शक्ति के परिचायक हैं। राम जो बाल्य काल में ही अनेकानेक असुरों का वध करते हैं, शिव धनुष तोड़ते हैं, समुद्र जिनका क्रोध देख त्रहिमाम करता है या जो रावण जैसे कालजयी का वध करते हैं। ठीक वैसी ही शक्ति की भारत में पूजा होती है। चाहे वह आदि शक्ति दुर्गा हों, शिवाजी महाराज हों या महाराणा प्रताप हों। राजनीति में भी देखिए तो वही स्थिरता दे सका है जिसने अपनी शक्ति का परिचय दिया है।

परंतु राम शक्ति की मर्यादा भी जानते हैं, और अपनी शक्ति से दूसरे के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण नहीं करते। इसीलिए राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। यही भारतीय मानस में भी है। यहाँ जब-जब शासक ने अपनी शक्ति से दूसरों के अधिकारों का हनन किया, तब- तब उसे शासन से हटा दिया गया है। चाहे वह ब्रितानी सूर्य हो या 1975 का आपातकाल।

राम के लिए अयोध्या से लेकर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और सुदूर दक्षिण में रामेश्वरम तक सब अपने ही थे। यह उन लोगों के लिए भी एक सीख है जिनका मानना है कि भारत एक देश के रूप में अंग्रेजों के आने के बाद ही बना है। राम के लिए आज के उत्तर प्रदेश का अयोध्या, नासिक की पंचवटी, आंध्र प्रदेश का भद्रचालम, कर्नाटक कि किष्किन्धा, केरल की शबरी के बेर, तमिलनाडु का रामेश्वरम सब प्रिय थे और कहीं भी उन्हें भाषा या संस्कृति का अवरोध नहीं हुआ। यह सब राम के लिए एक ही था।

जिस प्रकार राम ने बलि और रावण का वध कर किष्किन्धा और लंका का राज्य स्वयं नहीं लिया अपितु उसे सुग्रीव और विभीषण को सौंपा, इसी भाव को भारत की कूटनीति में प्राचीन काल से ही देखा जाता है। भारत साम्राज्यवादी नहीं रहा। हमारे पास क्षमता होते हुए भी हमने दूसरों का राष्ट्र छीनने या वहाँ की संस्कृति को नष्ट करने का कभी प्रयास नहीं किया।

राम ने अपने गुरुओं के आदर की परिपाटी का सदैव पालन किया, यहाँ तक कि अपने विवाह के लिए माँ सीता के स्वयंवर में जाने का निर्णय भी गुरु वशिष्ठ के निर्देश पर लिया। इसी प्रकार के गुरु सम्मान के लाखों उदाहरण से भारत का इतिहास भरा हुआ है चाहे वह शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास हों, स्वामी विवेकानंद के गुरु ठाकुर रामकृष्ण हों या सिखों के नौ गुरु हों।

इसीलिए यदि भारत को जानना है तो पहले राम को जानना होगा। यह दुर्भाग्य था कि भारत की ऐसी आत्मा श्रीराम को सदियों तक उनके जन्मस्थान में भी स्थान नहीं दिया गया। क्या यह केवल एक विडंबना थी या सोची समझी रणनीति ताकि भारत से उसकी आत्मा को अलग किया जा सके और उसपर विदेशी विचारधारा थोपी जा सके।

आज जब वह घड़ी आ रही है कि श्रीराम को उनका यथोचित स्थान दिया जा रहा है तो यह केवल सीमेंट और पत्थरों के एक मंदिर की बात नहीं है। यह भारत के पुनर्जागरण का आरंभ है। जिस दिन भारत का जन मानस यह समझ जाएगा कि राम भारत की आत्मा हैं उस दिन जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद आदि का अंत हो जाएगा। जिस प्रकार जन अनुरागी राम के लिए उनकी प्रजा की प्रसन्नता ही उनके शासन का मूल मंत्र था उसी प्रकार जिस दिन भारत के राजनैतिक, प्रशासनिक और सामाजिक शासकों को यह गूढ़ मंत्र समझ आ जाएगा उस दिन शासक और शासित के बीच का परस्पर संदेह समाप्त हो जाएगा। शासक स्वयं को केवल सेवा का एक माध्यम मानेगा और शासित का शासक के प्रति प्रेम बढ़ जाएगा। और वही होगा राम-राज्य।

अतः आइए 22 जनवरी की इस शुभ घड़ी को नव भारत के अमृत काल का प्रादुर्भाव मानकर श्री राम के आदर्शों को पुनः स्थापित करें और भारत में राम-राज्य की नींव डालें।

Disclaimer- यह लेखक के निजी विचार हैं।

Topics: राम मंदिरRam MandirLord Shri Rammanasप्रभु श्री रामप्रभु राम का जीवनरामजी का योगदानLife of Lord RamContribution of RamjiAyodhyaअयोध्या
Share9TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

छत्रपति शिवाजी महाराज

धर्म, स्वराज्य और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के प्रतीक: शिवाजी महाराज

Ram Darbar Pran Pratishtha

अभिजीत मुहूर्त में हुई “राम दरबार” की प्राण-प्रतिष्ठा

अयोध्या में निकलती कलश यात्रा

कलश यात्रा की आभा से दमकी अयोध्या

Ayodhya Ram Mandir Aniversary

“प्राण प्रतिष्ठा” शब्द सुनकर अयोध्या न आएं, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने की अपील

Virat Kohli And Anushka Sharma Hanumangarhi

पहले मथुरा और अब हनुमानगढ़ी पहुंच गए हैं विराट कोहली, पत्नी अनुष्का भी साथ

BHU: सेमेस्टर परीक्षा में पहलगाम हमला, भारतीय मिसाइल और वक्फ संशोधन कानून पर सवाल बना चर्चा का विषय 

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies