न्यूयॉर्क। अमेरिका का कहना है कि चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता नहीं है। धार्मिक स्वतंत्रता का दमन करने वाले देशों के नामों की सूची जारी करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, अमेरिका की विदेश नीति में धार्मिक स्वतंत्रता अहम मुद्दा है। अन्य देशों से संबंधों के विकास में अमेरिका इस मानदंड को बड़ा महत्व देता है।
अमेरिकी संसद ने साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम बनाकर वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का संकल्प लिया था। बीते वर्ष (2023) के अनुभवों के आधार पर तैयार इस सूची को सार्वजनिक करते हुए ब्लिंकन ने बताया कि इसमें म्यांमार, चीन, क्यूबा, उत्तर कोरिया, इरीट्रिया, ईरान, निकारागुआ, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान के नाम हैं।
इन देशों में अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है। इन देशों में अल्पसंख्यकों को उनके अधिकार नहीं मिलते, साथ ही उनके साथ कई तरह से भेदभाव और अन्याय होता है। इसके अलावा अल्जीरिया, अजरबैजान, मध्य अफ्रीकी देश कोसोरोस और वियतनाम में भी धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति अच्छी नहीं है। इन देशों में अल्पसंख्यकों को पर्याप्त धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं है। विदेश मंत्री ब्लिंकन ने अल-शबाब, बोको हराम, हयात तहरीर अल-शाम, हाउती, आईएस-साहेल, आईएस-वेस्ट अफ्रीका, अल कायदा, जमात नस्त्र अल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन और तालिबान को इसके लिए खतरनाक बताया है।
ब्लिंकन ने कहा, धार्मिक स्वतंत्रता एक वैश्विक मुद्दा है। इसके अंर्तगत होने वाले भेदभाव और अन्याय को सतत और व्यवस्थित प्रक्रिया से दूर किया जा सकता है। अमेरिका का उद्देश्य विश्व में समतामूलक समाज की स्थापना है जिसमें सभी लोगों को बराबरी और इच्छानुसार धर्म और पूजा पद्धत्तियों का पालन करने की स्वतंत्रता हो।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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