इस्लामी देशों का गुट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉरपोरेशन यानी ओआईसी मुस्लिम देशों में हो रही हिंसा, गृहयुद्ध, अराजकता को छोड़कर बाकी के तमाम विषयों पर अपनी ‘अक्लमंदी’ दर्शाता है, बेमांगी सलाह देता है, फरमान जारी करता है। मुस्लिम देशों में राजनीतिक—सामाजिक स्तर पर आ रहे हृास पर उसकी जबान नहीं खुलती। इसी ओआईसी को भारत के जम्मू—कश्मीर को लेकर बड़ी ‘दिलचस्पी’ रहती है और वह इस पर भारत के प्रति अपनी नफरत भी व्यक्त करता रहता है। अब उसने फिर से कश्मीर का राग अलापा है और भारत विरोधी दुष्प्रचार भड़काने की कुटिल चाल चली है।
अपने एक नए वक्तव्य के माध्यम से इस संगठन ने अपना भारत विरोधी रुख दर्शाया है। ओआईसी का कहना है कि ‘यूनाइटेड नेशन्स कमीशन फॉर इंडिया एंड पाकिस्तान में कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का प्रस्ताव सर्वसम्मिति से पारित किया गया था। उसे अब 75 साल पूरे हुए हैं’। वक्तव्य कहता है कि ‘ओआईसी संयुक्त राष्ट्र परिषद के निर्णय का सम्मान करता है। यह कश्मीर के लोगों की खातिर यह मांग करता है कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से अपनाएं।’
जम्मू कश्मीर को लेकर जब भारतीय संसद ने अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पारित किया था तब और बाद में जब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे उचित ठहराने वाला निर्णय दिया था, तब भी इसी ओआईसी ने विरोध का झंडा उठाया था। भारत सरकार की ओर से ओआईसी के उस नफरती बयान का फौरन जवाब दिया गया था। विदेश विभाग ने इस्लामिक सहयोग संगठन के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर दिए गए बयान को खारिज किया था। कहा था कि ओआईसी के बयान में गलत सूचना और गलत इरादा दोनों दिखाई देते हैं।
57 मुस्लिम देशों का गुट ओआईसी संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा अतंर-सरकारी संगठन है। ऐसा नहीं है कि इसने भारत और कश्मीर को लेकर पहली बार मुंह खोला है, अपने अस्तित्व को दर्शाने की गरज से यह संगठन बीच बीच में भारत के विरुद्ध जहर उगलता रहा है। अपने ताजा वक्तव्य में ओआईसी कहता है, ”हम कश्मीर के लोगों के साथ खड़े हैं। हमें उनके हकों का पूरा ख्याल है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी हम अपील करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र के उस प्रस्ताव का लागू कराने की मांग उठाए।”
जम्मू कश्मीर को लेकर जब भारतीय संसद ने अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव पारित किया था तब और बाद में जब सर्वोच्च न्यायालय ने इसे उचित ठहराने वाला निर्णय दिया था, तब भी इसी ओआईसी ने विरोध का झंडा उठाया था। भारत सरकार की ओर से ओआईसी के उस नफरती बयान का फौरन जवाब दिया गया था। विदेश विभाग ने इस्लामिक सहयोग संगठन के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर दिए गए बयान को खारिज किया था। कहा था कि ओआईसी के बयान में गलत सूचना और गलत इरादा दोनों दिखाई देते हैं।
भारत के विदेश विभाग ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना तब कहा था कि मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करते आ रहे तथा सीमा पार आतंकवाद को बेपरवाही से उकसा रहे एक देश के इशारे पर ओआईसी ऐसे बयान दे रहा है। इससे इस संगठन का काम संदिग्ध दिखने लगता है। ऐसे बयान ओआईसी की विश्वसनीयता को ही ठेस पहुंचाते हैं।
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