गुजरात एक ज्ञान-आधारित समाज है, एक औद्योगिक शक्ति पुंज है, एक समृद्ध कृषि क्षेत्र है, अधोसंरचना की दृष्टि से रत्न है। और वह सब कुछ है, जिसकी कल्पना एक प्रगतिपरक राज्य में की जा सकती है। प्रत्येक संदर्भ में गुजरात में अपनी आवश्यकता से अधिक ऊर्जा है।
10वां वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्मेलन
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट की शुरुआत 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसका लक्ष्य था गुजरात को व्यापार और उद्योग के विश्व मानचित्र पर लाना। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट का दसवां संस्करण 10 से 12 जनवरी, 2024 तक गांधीनगर में आयोजित किया जाएगा। शिखर सम्मेलन कार्यक्रम का उद्घाटन 10 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। मंच पूरी तरह तैयार है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में 100 देश भाग लेने जा रहे हैं। 9 जनवरी को आयोजित होने वाला ‘ग्लोबल ट्रेड शो’ शिखर सम्मेलन के 10वें संस्करण के शुभारंभ का प्रतीक होगा। वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के दसवें संस्करण में भाग लेने वाले 100 देशों में 32 भागीदार देश और 16 भागीदार संगठन शामिल हैं। इस तीन दिवसीय महा-कार्यक्रम में सेमीकंडक्टर, ई-मोबिलिटी, नवीकरणीय ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन जैसे नए और उभरते हुए क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
10.31 लाख करोड़ के निवेश की संभावना
वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट को शुरू होने से पहले ही सफल माना जा सकता है। कार्यक्रम से पहले ही 234 एमओयू पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। 58 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर 3 जनवरी को हस्ताक्षर किए गए। इन एमओयू से राज्य को 10.31 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश मिलने की संभावना है। इस निवेश से राज्य में रोजगार के 13 लाख नए अवसर पैदा होंगे। यह निवेश जिन क्षेत्रों में होना है, उनमें इलेक्ट्रिक वाहन, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण, आटोमोबाइल, जैव प्रौद्योगिकी, सीमेंट, रसायन व पेट्रोकेमिकल, बंदरगाह, शिक्षा, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य सेवा व फार्मास्यूटिकल्स, औद्योगिक पार्क, आईटी-आईटीईएस, तेल एवं गैस, पैकेजिंग, प्लास्टिक, बिजली, हरित हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र शामिल हैं।
वाइब्रेंट गुजरात समिट कभी भी गुजरात तक सीमित नहीं रहा। इसमें हमेशा सभी राज्यों को आमंत्रित किया जाता है। गुजरात के विकास का एक विशिष्ट पक्ष यह है कि यह विकास सदैव राष्ट्रीय दृष्टि से हुआ है। लेकिन बात यहां भी पूरी नहीं होती है। गुजरात का विकास वैश्विक दृष्टि से भी है। गुजरात की दृष्टि दुनिया भर में विकास में मदद कर रही है। गुजरात की बात न केवल ‘मेक इन इंडिया’, बल्कि ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ भी की बात है। यह न केवल वस्तुओं के बारे में है, बल्कि कृषि, वित्त, आटोमोबाइल, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और विनिर्माण तथा इन सभी में निहित नवाचार की बात भी है।
गिफ्ट सिटी : भारत की पहली स्मार्ट सिटी
एक शब्द गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) के बारे में। गिफ्ट सिटी भारत की ऐसी पहली आॅपरेशनल स्मार्ट सिटी है, जिसमें विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा और मास्टर प्लानिंग निहित है। गिफ्ट सिटी को लंदन, शंघाई, न्यूयॉर्क, हांगकांग, सिंगापुर, दुबई जैसे शहरों की तर्ज पर विकसित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा ग्रीनफील्ड परियोजना के रूप में विकसित की गई इस सिटी में वाणिज्यिक और आवासीय परिसर हैं।
वैश्विक वित्तीय सेवा केंद्र के रूप में विकसित की जा रही गिफ्ट सिटी 105 हेक्टेयर भूमि वाला एक बहु सेवा विशेष आर्थिक क्षेत्र (मल्टी सर्विस स्पेशल इकॉनोमिक जोन) है। गिफ्ट सिटी में 620 लाख वर्ग फुट पर निर्माण कार्य हुआ है। साबरमती नदी के तट पर स्थित यह गिफ्ट सिटी अहमदाबाद अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से केवल 12 किलोमीटर दूर स्थित है।
इस स्मार्ट सिटी से न केवल आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, बल्कि राजस्व को भी बड़ा उछाल मिलेगा। गिफ्ट सिटी को भारत सरकार द्वारा अनुमोदित देश के पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) का दर्जा प्राप्त है। भारत में आईएफएससी की स्थापना से रोजगार के अवसर बढ़ने की भी उम्मीद की जाती है।
यह आयोजन है खास
यह आयोजन इस दृष्टि से भी विशेष है, क्योंकि कोरोना महामारी के बाद पहली बार इसका आयोजन हो रहा है। एक और विशेषता इस उम्मीद पर है कि टेस्ला ग्रुप द्वारा भी गुजरात में निवेश करने की संभावना जताई जा रही है। इस बार शिखर सम्मेलन की थीम ‘गेटवे टू द फ्यूचर’ है। गुजरात सरकार स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को भी इस सम्मेलन में बड़े स्तर पर प्रस्तुत कर रही है। ये परियोजनाएं हैं-गांधीनगर की गुजरात इंडस्ट्रियल फाइनेंस टेक (GIFT) सिटी, सूरत की डायमंड रिसर्च एंड मर्चेंटाइल (DREAM)सिटी और अहमदाबाद की धोलेरा स्मार्ट सिटी।
गुजरात भारत के विकास का इंजन है। भारत के डाई और मध्यवर्ती विनिर्माण में गुजरात का योगदान 75 प्रतिशत है। गुजरात में 30,000 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां हैं, जिनके बूते यह देश के कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग निवेश में अग्रणी है। भारत का 50 प्रतिशत से अधिक चिकित्सा उपकरण विनिर्माण और 80 प्रतिशत कार्डियक स्टेंट उत्पादन गुजरात में होता है।
वास्तव में गुजरात विश्व को संकटों से उबर कर आगे बढ़ने का मार्ग दिखा सकता है। गुजरात में 2001 में आए विनाशकारी भूकंप को कौन भूल सकता है? इस भूकंप का केंद्र केवल 24 किलोमीटर नीचे था। लेकिन गुजरात और भी गहरी नींव के साथ फिर से खड़ा हो गया। भूकंप से तबाह हुआ कच्छ क्षेत्र जल्द ही दुनिया के लिए ग्रीन हाइड्रोजन का केंद्र बनने जा रहा है। एक समय था जब भारत सरकार भी वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में कोई सहयोग नहीं करती थी। यहां तक कि विदेशी निवेशकों को भी गुजरात में निवेश न करने की धमकी दी गई।
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