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‘रिफ्यूजी वेलकम’ कहने वाले फ्रांस में एक गर्भवती महिला को बस से फेंका गया

फ्रांस में नव वर्ष के अवसर पर भी शरणार्थियों ने उपद्रव किए थे और उसके वीडियो भी एक्स पर साझा किए गए थे। अवैध शरणार्थियों का मुद्दा आने वाले चुनावों में मुख्य मुद्दा है और जो आम लोगों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है

by सोनाली मिश्रा
Jan 7, 2024, 04:11 pm IST
in मत अभिमत
फ्रांस में एक गर्भवती को बस से फेंका गया।

फ्रांस में एक गर्भवती को बस से फेंका गया।

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यूरोप में कुछ वर्षों पहले सीमाओं को मुक्त करने को लेकर ओपन बॉर्डर एवं कल्चरल रिचनेस अर्थात सांस्कृतिक समृद्धि तथा मल्टी-कल्चरिज्म अर्थात बहु-सांस्कृतिकवाद का अभियान चलाया गया। अफ्रीकी एवं मुस्लिम देशों से शरणार्थियों को बुलाया गया। नारे लगाए गए “रिफ्यूजी वेलकम!” और यह भी कहा गया कि इन्हें ठुकराने की नहीं, बल्कि गले लगाने की आवश्यकता है।

परन्तु यही अवैध शरणार्थी अब यूरोप के लिए समस्या बन गए हैं। कल्चरल एनरिच्मेंट हो रहा है या नहीं, यह तो नहीं पता चल रहा, परन्तु यह बात पूरी तरह से ठीक है कि यह अवैध शरणार्थी अब इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि वह वहां पर स्थानीय महिलाओं के लिए खतरा बन रहे हैं। फ्रांस से ऐसी तस्वीरें आ रही है, जिन्हें देखकर सहज विश्वास नहीं होता कि क्या शरण देने वाले देश के नागरिकों के साथ ऐसा भी हो सकता है?

वैसे तो पूरे यूरोप पर इस कल्चरल एनरिच्मेंट के दुष्प्रभाव देखे जा रहे हैं और लगातार ऐसे उदाहरण सामने आ रहे हैं, जिनमें वहां पर महिलाओं की स्थिति के साथ ही सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति भी निरंतर बदतर हो रही है, परन्तु इसका खामियाजा सबसे अधिक वहां की महिलाएं भुगत रही हैं। हाल ही में एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने सोशल मीडिया पर बहुत लोगों को विचलित कर दिया है।

इस वीडियो में दिख रहा है कि कैसे कुछ अश्वेत लोगों द्वारा फ्रांस की एक गर्भवती महिला को बस से धकेल दिया जाता है। कई लोग इस वीडियो को देखकर स्तब्ध हैं।

Paris, France – These scum migrants rip this defenseless, pregnant woman from her seat on a bus, and forcefully throw her into the concrete!

They are taking over, EVERYWHERE! pic.twitter.com/XfX3DoiGo8

— 🇺🇸ProudArmyBrat (@leslibless) January 5, 2024

यह भी पहले कहा जा रहा था कि महिला की स्थिति का पता नहीं चल पा रहा है कि क्या उसका बच्चा सुरक्षित रहा होगा, तो वहीं कुछ हैंडल यह पुष्टि कर रहे हैं कि बच्चा ठीक है। यह एक घटना है, परन्तु यूरोप में बढ़ रही मजहबी कट्टरता पर लगातार लिखने वाली एमी मेक लगातार ऐसी घटनाओं को सामने ला रही हैं, जो इस मल्टी-कल्चरिज्म के चलते महिलाओं के साथ हो रही हैं।

31 दिसंबर 2023 को ही उन्होंने एक वीडियो साझा किया था, जिसमें क्लेयर नामक महिला ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को व्यक्त करते हुए बता रही थी कि कैसे फ्रांस में चार में से तीन बलात्कार से पीड़ित महिलाओं को व्यक्तियों (अवैध शरणार्थियों) द्वारा विक्टिमाइज़ किया जाता है। क्लेयर ने बताया था कि कैसे एक 25 वर्षीय अफ्रीकी शरणार्थी ने उनके साथ बलात्कार किया और उनसे कहा कि वह उन्हें मारने जा रहा है। उसने उनका मुंह बहुत तेज पकड़ा हुआ था और गला दबाने का भी प्रयास किया। उन्होंने बताया कि वह अपने एंट्रेंस पर अर्धनग्न पड़ी हुई थी और खून से सनी हुई पड़ी थीं और वह एकदम से ऐसे चला गया, जैसे उसने कुछ किया ही न हो!”

फ्रांस में नव वर्ष के अवसर पर भी शरणार्थियों ने उपद्रव किए थे और उसके वीडियो भी एक्स पर साझा किए गए थे। अवैध शरणार्थियों का मुद्दा आने वाले चुनावों में मुख्य मुद्दा है और जो आम लोगों की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। इस मामले पर मेक्रोन बैकफुट पर हैं और यही कारण है कि एक बहुत कठोर इम्मीग्रेशन बिल लेकर सरकार आई है और उसे पारित भी करा लिया गया है।

हालांकि उसे लेकर मैक्रों को अपने मंत्रियों का विरोध झेलना पड़ा था और उनकी सरकार के एक मंत्री ने बहस के दौरान ही इस्तीफ़ा दे दिया था। परन्तु इस बिल पर उन्हें उनकी विरोधी पार्टी का समर्थन प्राप्त हुआ था, जिसके अनुसार यह चरम दक्षिण पंथी पक्ष के लिए एक बहुत बड़ी वैचारिक विजय थी। कई वामपंथी नेताओं ने इस बिल का विरोध किया था। क्योंकि उनके अनुसार यह कदम दक्षिणपंथियों के दबाव में लाया जा रहा है। इसमें कई ऐसे कदम हैं, जो कथित रूप से फ्रांस के नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए बनाए गए हैं जैसे बेरोजगार गैर-ईयू-शरणार्थियों को पांच वर्ष तक हाउसिंग लाभ नहीं मिलेंगे और कल्याणकारी लाभों को पाने के लिए शरणार्थियों की अवधि को बढ़ा दिया गया है।

हालंकि लोगों का कहना है कि यह बहुत ही छोटे कदम हैं। कई घटनाएं तो ऐसी हैं जो मीडिया का भी हिस्सा नहीं बन पाती हैं। जैसे दिसम्बर में ही एक बहुत चौंकाने वाली घटना सामने आई थी जिसमें एक शरणार्थियों का समर्थन करने वली कार्यकर्ता का बलात्कार एक घरविहीन शरणार्थी ने वर्ष 2021 में किया था और उस शरणार्थी को जब उस महिला ने सड़क पर आजाद घुमते देखा था तो वह हैरान रह गयी थी।

हालांकि 58 वर्षीय एरो-बा को उसकी शिकायत पर वर्ष 2021 में ही गिरफ्तार कर लिया गया था मगर मुकदमा शुरू नहीं हुआ था। सुनवाई 14 दिसंबर 2023 से शुरू होने वाली थी, और आरोपी को इसी वर्ष सितम्बर में मुक़दमे से पहले ही हिरासत से रिहा कर दिया गया था। हालांकि फ्रेंच समाचारपत्र सूड-क्वेस्ट के अनुसार आरोपी बेरोजगार था, उसके पास घर नहीं था और हिंसा एवं यौन हिंसा करने का उसका एक लंबा आपराधिक इतिहास था।

यह ध्यान देने योग्य है कि शरणार्थियों के लिए लड़ने वाली विद्यार्थी कार्यकर्ता ही इन शरणार्थियों से सुरक्षित नहीं थी। यह घटना हालांकि 2021 की थी, मगर फिर भी ऐसी अनेक घटनाएं सामने नहीं आईं जिससे कि इन शरणार्थियों के विरुद्ध माहौल न बन जाए! फिर भी प्रश्न उठता है कि शरणार्थियों के विरुद्ध माहौल न बन जाए इसलिए महिलाओं पर होने वाले ऐसे शोषणों को चुप्पी की तहों में दबाकर रख दिया जाए?

ऐसे ही नव वर्ष के बाद अर्थात 1 जनवरी 2024 को ही फ्रांस में एक 75 वर्षीय महिला के साथ दुष्कर्म की घटना सामने आई थी और मीडिया के अनुसार संदिग्ध व्यक्ति एक अफ्रीकी प्रवासी है। संदिग्ध डेमोक्रेटिक रीपल्बिक ऑफ कांगो का है। इसी दिन एक सात वर्ष की बच्ची के साथ यौन शोषण की एक और घटना हुई थी जिसमें एक अफगान आदमी ने नशे की हालत में नव वर्ष के समारोह में एक सात वर्ष की बच्ची के मुंह पर चुम्बन ले लिया था। बच्ची के पिता ने उस आरोपी को पकड़ा और पुलिस को सौंप दिया।

फ्रांस उस मल्टी कल्चरिज्म का खामियाजा भुगत रहा है जो स्थानीय संस्कृति के प्रति एक दुराग्रह से भरा हुआ है और अपना मजहबी वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। यह तमाम घटनाएं यूरोप के उन देशों के लिए एक सबक ही प्रतीत होती हैं, जो भारत की समावेशी संस्कृति पर इस्लामोफोबिक होने का आरोप लगाते रहे थे, जबकि भारत के जनमानस को यह भलीभांति पता है कि क्या सांस्कृतिक समावेशन है और क्या सांस्कृतिक अतिक्रमण है, क्योंकि भारत अपने धार्मिक स्थलों पर सांस्कृतिक अतिक्रमण आज से नहीं बल्कि शताब्दियों से देख भी रहा है, झेल भी रहा है और लड़ भी रहा है और सांस्कृतिक समावेशन को जी भी रहा है।

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