यह हमारी एकता की पूंजी है

यह हमारी एकता की पूंजी है। अयोध्या में श्रीरामलला के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा इस पूंजी का एक सबसे भव्य परिलक्षण है। यह पूंजी सुरक्षित रहेगी, तो यह राष्ट्र रूपी मंदिर भी भव्य से भव्य होता जाएगा

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हितेश शंकर

अब हिन्दू हितों पर आघात कर सकना विदेशों की धरती पर भी निरापद नहीं रह गया है। एकता की शक्ति के बूते हिन्दू अब मुखर हो रहे हैं और अपनी संस्कृति पर आक्षेप किए जाने पर खुल कर विरोध प्रदर्शन करते हैं और विदेशी सरकारों को उन्हें गंभीरता से लेना पड़ता है। सबसे महत्वपूर्ण तौर पर, अब जाकर हिन्दुओं को आत्म-साक्षात्कार का अवसर मिला है

संस्कृति और सभ्यता की सनातन शक्ति अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के बहुत निकट पहुंच गई है। इस क्षण के उल्लास, प्रसन्नता और संतोष की भावुकता को हम व्यक्त भाव में भी देख पा रहे हैं और अव्यक्त भाव में भी वह किसी अरण्य गीत की तरह सभी के मन में गुंजायमान है। इस पूरी भावना को पूरी तरह व्यक्त कर सकना संभवत: किसी के लिए भी सहज नहीं है, लेकिन इस मन को थोड़ा सावधान करते हुए अन्य पक्षों पर भी ध्यान देना आवश्यक है।

पहला प्रश्न यह है कि जिस कार्य के संपादन में लगभग 500 वर्ष लगे, वह अब किस कारण संभव हो सका? इसी प्रकार एक और प्रश्न यह कि इस कार्य के पूर्ण होने में हममें से किसी भी उस व्यक्ति का क्या योगदान माना जाए, जिसे अयोध्या तक जाने का भी अवसर संभवत: न मिला हो? क्या उसकी तपस्या में, उसकी उत्कंठा में और उसकी इच्छाओं की तीव्रता में कोई कमी मानी जा सकती है? नहीं। हम सभी ने इस पुण्यकार्य में योगदान दिया है और हम जहां हैं, जैसे हैं, वहीं से दिया है।

वास्तव में यह हम सभी की उत्कंठा की तीव्रता का ही अभिलक्षण है। यह तीव्रता सबसे पहले ऐक्य भाव में व्यक्त हुई है। यह हिन्दू एकता ही है, जिसने न केवल इस कार्य को अपितु ऐसे अनेक अन्य कार्यों को पूरा किया है, जो इसी प्रकार बहुत लंबी अवधि से अधूरे थे और जिन्हें हम सभी दुरूह माने हुए थे।

आपकी इस समेकित शक्ति और आपके नए आत्मविश्वास और एकता के बूते आज हमारे लोग विश्व भर में सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं। भारतीयों की गरीबी को हथियार बना कर उनका कन्वर्जन कराने के षड्यंत्रों का पर्दाफाश आपकी एकता के बूते ही संभव हो सका है और आज 22,000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों और कन्वर्जन कराने वाले 4 प्रमुख ईसाई संगठनों पर प्रतिबंध लग चुका है। लगातार चला आ रहा ‘लव जिहाद’ अब उतना सरल नहीं रह गया है, उसके आगे विवशता का भाव समाप्त हो चुका है और कई राज्यों में इसे गैरकानूनी भी बना दिया गया है।

हिन्दू एकता के कारण वे विपक्षी दल भी अब हिन्दू दिखने का स्वांग भरने के लिए कोट के ऊपर जनेऊ पहनने लगे हैं, जो हिन्दुओं के विनाश के लिए कानून बनाने का प्रयास कर रहे थे। ‘छद्म-धर्मनिरपेक्षता’ का समर्थन करने वाले हिन्दू भी अपनी स्थिति के बारे में सोचने लगे हैं। हिन्दू एकता के कारण बॉलीवुड अब ऐसी फिल्में नहीं बना पा रहा है, जो हिन्दुओं का उपहास करने पर केंद्रित होती थीं।

आपकी एकता के ही बूते जिहाद के उद्योग पर काफी हद तक अंकुश लग सका है। जो लोग सनातन धर्म के विरुद्ध बोलने को अपनी आधुनिकता का प्रमाण या प्रतीक समझते थे, उनमें से अधिकांश आज चुप हो चुके हैं। इसके विपरीत कई विदेशी अब सनातन की गरिमा का सम्मान करने लगे हैं और इसका पूरा श्रेय हिन्दू एकता को जाता है। एक दौर था, जब हमारे त्योहारों और संस्कृति के बारे में चुटकुले बनना आम बात थी, विज्ञापनों में हमें नीचा दिखाना बाजार की रणनीति होती थी, पर अब हिन्दू एकता ने यह कारोबार भी बंद करा दिया है।

रोचक यह है कि हिन्दू एकता के कारण वे विपक्षी दल भी अब हिन्दू दिखने का स्वांग भरने के लिए कोट के ऊपर जनेऊ पहनने लगे हैं, जो हिन्दुओं के विनाश के लिए कानून बनाने का प्रयास कर रहे थे। ‘छद्म-धर्मनिरपेक्षता’ का समर्थन करने वाले हिन्दू भी अपनी स्थिति के बारे में सोचने लगे हैं। हिन्दू एकता के कारण बॉलीवुड अब ऐसी फिल्में नहीं बना पा रहा है, जो हिन्दुओं का उपहास करने पर केंद्रित होती थीं। इसके विपरीत हम कश्मीर, केरल, अजमेर और हैदराबाद जैसे उन घावों की पीड़ा भी व्यक्त कर सके हैं, जो अभी तक ‘जबरा मारे और रोने न देय’ की कहावत के अनुरूप सिर्फ सहने के लिए रह गई थी।

स्थिति यह है कि अब हिन्दू हितों पर आघात कर सकना विदेशों की धरती पर भी निरापद नहीं रह गया है। एकता की शक्ति के बूते हिन्दू अब मुखर हो रहे हैं और अपनी संस्कृति पर आक्षेप किए जाने पर खुल कर विरोध प्रदर्शन करते हैं और विदेशी सरकारों को उन्हें गंभीरता से लेना पड़ता है। सबसे महत्वपूर्ण तौर पर, अब जाकर हिन्दुओं को आत्म-साक्षात्कार का अवसर मिला है और वे एक थोपी गई हीन भावना से बाहर आने लगे हैं।

हम अपने आप को, अपनी संस्कृति को, अपने महान इतिहास को कम करके आंकने की ग्रंथि से मुक्त हो रहे हैं, जो अभी तक हमारा पाठ्यक्रम जैसा था। यही कारण है कि विश्व भर के लोग भी आज हमारी महान संस्कृति से आकर्षित ही नहीं हो रहे हैं, उसे समझने और सराहने लगे हैं।

यह हमारी एकता की पूंजी है। अयोध्या में श्रीरामलला के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा इस पूंजी का एक सबसे भव्य परिलक्षण है। यह पूंजी सुरक्षित रहेगी, तो यह राष्ट्र रूपी मंदिर भी भव्य से भव्य होता जाएगा।

@hiteshshankar

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