पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के आगामी 8 फरवरी को आम चुनाव कराने के आदेश का पालन होना शायद अब संभव न हो। अभी उसमें एक महीने का वक्त है, लेकिन ‘सुरक्षा के हालात’ को लेकर सांसद को चिंता है। सांसदों ने एक प्रस्ताव पारित करके चुनाव की तिथि आगे बढ़ाने की मांग की है। कल वहां की संसद में जो प्रस्ताव पारित किया गया उस वक्त सदन में महज 15 सांसद ही उपस्थित थे।
संसद की ‘सीनेट’ यानी उच्च सदन ने प्रस्ताव में दो चीजों पर चिंता जाहिर की है, एक, कड़ाके की सर्दी और दो, सुरक्षा को लेकर चिंता। इन्हीं को ध्यान में रखते हुए 8 फरवरी की बजाय चुनाव आगे किसी तारीख पर कराने की अपील की गई है। 15 सांसदों द्वारा पारित इस प्रस्ताव से अब 8 फरवरी को होने जा रहे आम चुनावों से पहले राजनीतिक कोहरा छा गया है। चुनाव होंगे या नहीं होंगे, इसके लेकर कोई भी पार्टी कुछ ठोस नहीं बता पा रही है।
चुनाव टालने की अपील करने वाला यह प्रस्ताव निर्दलीय सांसद दिलावर खान ने रखा था। उच्च सदन ने इस प्रस्ताव को पारित भी कर दिया। हालांकि इस प्रस्ताव के पारित होने का कुछ दलों ने विरोध भी किया है। जैसे, सूचना मंत्री मुर्तजा सोलांगी इसके विरुद्ध मुखर हैं तो पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अध्यक्षता वाली पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने भी इस तरह के किसी भी प्रयास के प्रति विरोध दर्ज कराया है।
संसद की सीनेट में जब दिलावर खान ने यह प्रस्ताव पेश किया तो वहां गिनती के सांसद ही मौजूद थे। दिलावर ने कहा देश में अधिकांश क्षेत्र जबरदस्त ठंड की चपेट में हैं। ऐसे में वहां के लोग चुनाव में कैसे शामिल हो पाएंगे। उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कानून-व्यवस्था को लेकर आशंकाजनक स्थिति है, सुरक्षा को लेकर अलग चिंताएं हैं। देश के कई नेताओं की जान पर खतरा बना हुआ है। इन नेताओं में से एक हैं जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल के फजलुर्रहमान। उन पर जानलेवा हमला हो चुका है। साथ ही, बलूचिस्तान तथा खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में भी तनाव देखने में आ रहा है।
द डॉन की रिपोर्ट कहती है कि 14 सांसदों की उपस्थिति में पारित हुए प्रस्ताव से देश राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता में बढ़त देख सकता है। इधर जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी आंशका जताई थी कि पाकिस्तान में 8 फरवरी को शायद आम चुनाव नहीं हो सकेंगे।
दिलावर खान के अलावा उस वक्त सदन में 14 सांसद और थे। इस बारे में वहां के प्रसिद्ध अंग्रेजी अखबार द डॉन की रिपोर्ट कहती है कि 14 सांसदों की उपस्थिति में पारित हुए प्रस्ताव से देश राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता में बढ़त देख सकता है। इधर जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी आंशका जताई थी कि पाकिस्तान में 8 फरवरी को शायद आम चुनाव नहीं हो सकेंगे।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की स्थापना करने वाले इमरान खान फिलहाल रावलपिंडी की अदियाला जेल में कैद हैं। तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले सहित कई और मामलों में भी उन पर मुकदमे चल रहे हैं। इमरान की पार्टी का चुनाव चिन्ह खारिज हो चुका है, अब वे किस चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे, यह अभी तय नहीं है। वे अमेरिका को लेकर भी नाराजगी भरे बयान देते आ रहे हैं।
पाकिस्तान में आम चुनावों के संबंध अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता का कहना है कि हम चाहते हैं पाकिस्तान में चुनाव स्वतंत्र तथा निष्पक्ष तरीके से कराए जाएं। प्रवक्ता मैथ्यु मिलर ने यह भी कहा कि अमेरिका का काम पाकिस्तान को किसी तरह का निर्देश देना नहीं है। वहां चुनाव कैसे कराए जाएं, यह हम नहीं बता सकते। हम तो बस यही चाहते हैं कि चुनाव हों और यह प्रक्रिया स्वतंत्र, निष्पक्ष तथा शांतिपूर्ण तरीके से पूरी हो।
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