हिंदू स्वयंसेवक संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, (अभाविप), राष्ट्रव्यापी संगठन, अमेरिका में हिंदू स्वयंसेवक संघ जाने-माने शिक्षाविद् प्रो. वेद प्रकाश नंदा का गत 2 जनवरी को अमेरिका में निधन हो गया। वे लगभग 90 वर्ष के थे। प्रो. नंदा का पूरा जीवन शिक्षा और हिंदू समाज की सेवा में बीता। उन्होंने ‘हिंदू स्वयंसेवक संघ’ अमेरिकी क्षेत्र के संघचालक के नाते वहां के हिंदुओं को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रो. नंदा को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) को एक राष्ट्रव्यापी संगठन बनाने के लिए सदैव याद किया जाएगा। वे 1951 में अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री और 1956-1959 तक राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।
प्रो. वेद प्रकाश नंदा जी के निधन से गहरा दुख हुआ। एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् नंदा जी का कानूनी क्षेत्र में अमूल्य योगदान है। उनका काम कानूनी शिक्षा के प्रति उनकी मजबूत प्रतिबद्धता को उजागर करता है। वे संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय प्रवासियों के एक प्रमुख सदस्य भी थे और मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों के प्रति उत्साही थे। उनके परिवार तथा मित्रों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
संघ ने दी श्रद्धांजलि
प्रो. वेद प्रकाश नंदा के निधन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत और सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अमेरिका में हिंदू स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक के रूप में उनके योगदान को सदैव श्रद्धा के साथ याद किया जाएगा। वे संस्कृति और न्याय पर समान रूप से चितिंत रहते थे।
प्रो. नंदा शुरुआती वर्षों में दिल्ली में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में और बाद में कानून के प्रोफेसर के रूप में अपने छात्र सक्रियता काल से लेकर आज तक संयुक्त राज्य अमेरिका में पीढ़ियों से चले आ रहे सामाजिक जीवन में अपने छात्रों और समकालीनों के लिए एक प्रेरणा रहे।
कानूनी अध्ययन, अंतरराष्ट्रीय कानून, शिक्षा और सार्वजनिक नीतियों पर उनकी उल्लेखनीय स्पष्टता ने उन्हें महाद्वीपों के नीति-निर्माताओं के लिए गुरु बना दिया। उनमें से कुछ ने कई देशों में सर्वोच्च न्यायालयों और उच्च कार्यालयों का नेतृत्व किया। हम उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को शक्ति और दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें।
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें 20 मार्च, 2018 को पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित किया था। प्रो. नंदा का जन्म अविभाजित भारत के गुजरांवाला में 1934 में हुआ था। पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में परास्नातक एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद उन्होंने नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और अमेरिका स्थित येल यूनिवर्सिटी में भी अध्ययन किया।
1972 में वे डेनवर विश्वविद्यालय के स्टर्म कॉलेज आफ लॉ में विधि विषय के प्रोफेसर बने और डेनवर, कोलोराडो विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर रहे। इसके अलावा वे वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष और फिर मानद अध्यक्ष भी रहे।
उन्होंने अमेरिका के हिंदू विश्वविद्यालय के बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून पर 24 पुस्तकें लिखी हैं। प्रो. नंदा को सामुदायिक शांति निर्माण के लिए गांधी, किंग, इकेदा पुरस्कार सहित कई पुरस्कार भी मिले थे।
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