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राम आएंगे… भाग्य खुल जाएंगे

राम आएंगे सभी के भाग खुल जाएंगे...राम आएंगे..। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jan 5, 2024, 08:10 am IST
in विश्लेषण, उत्तर प्रदेश, संस्कृति
महंत रामचंद्र परमहंस ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए न केवल लड़ाई लड़ी, बल्कि हिंदुओं को संगठित किया और 1949 में मंदिर में रामलला को स्थापित भी किया

महंत रामचंद्र परमहंस ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए न केवल लड़ाई लड़ी, बल्कि हिंदुओं को संगठित किया और 1949 में मंदिर में रामलला को स्थापित भी किया

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भारत या विश्व के किसी भी मंदिर का ऐसा प्राण प्रतिष्ठा समारोह नहीं हुआ, जैसा जन-जन के प्रिय और आराध्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का होने जा रहा है। इसकी साक्षी बनेंगी श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी हस्तियां

अगले वर्ष 22 जनवरी की तिथि इतिहास में दर्ज होने को है। प्रख्यात गीतकार, संगीतकार और गायक रवींद्र जैन का स्वर देश भर में चतुर्दिक गूंज रहा है- अयोध्या करती है आह्वान, ठाठ से कर मंदिर निर्माण। साथ ही, यह गीत भी खूब सुना जा रहा है- राम आएंगे सभी के भाग खुल जाएंगे…राम आएंगे..। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर नवनिर्मित भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा का समारोह आगामी 22 जनवरी को होना है। भारत के धर्मप्राण जनों के लगभग 600 वर्ष के कठिन संघर्षों के बाद यह पुनीत अवसर आया है।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप देने में रात-दिन लगा हुआ है। भव्य सजावट से अयोध्या को दिव्य बनाया जा रहा है। जन्मभूमि मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर सूर्यवंशी श्रीराम की गरिमा के अनुकूल सूर्यस्तंभ लगाए गए हैं। आधुनिक साज-सज्जा के उन सारे मानकों को स्थापित करने की कोशिश हो रही है, जो आज के दौर में सुलभ हैं।

अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बनकर तैयार है। उस पर विमान भी उतरने लगे हैं। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या आकर यहां के आमजनों के लिए उपहारों का खजाना खोलने वाले हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए तो अयोध्या घर आंगन हो चली है। तैयारियों में कोई कमी न रह जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए आए दिन उनका प्रवास अयोध्या में होता रहता है।

भव्य होगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह

ऐसा प्राण प्रतिष्ठा समारोह भारत या विश्व के किसी भी मंदिर का नहीं हुआ, जैसा जन-जन के प्रिय और आराध्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का होने वाला है। सबको निमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं। देश-विदेश की बहुचर्चित हस्तियों को इस पुनीत अवसर पर उपस्थित होने के लिए आमंत्रित किया गया है। देश-विदेश के विभिन्न मतों-पंथों के लगभग 6,000 साधु-संतों को अयोध्या आने का न्योता दिया जा चुका है।

विद्वानों, इतिहासकारों, वैज्ञानिकों, खेल, कला और फिल्म जगत की प्रमुख हस्तियों को इस अवसर पर उपस्थित रहने के लिए चिट्ठियां भेजी जा चुकी हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में वे हस्तियां हैं जिन्होंने 1980-90 के दशक में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के लिए विशिष्ट अलख जगाई और देश-विदेश में इसके लिए माहौल बनाया।

इन हस्तियों में प्रमुख हैं- लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा और विनय कटियार। ‘अयोध्या काण्ड’ से संबंधित ये सारे नेता अपने तप का फल देखने के लिए उपस्थित हैं। हालांकि विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे अशोक सिंघल, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, आचार्य धर्मेंद्र, आचार्य गिरिराज किशोर, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे रामचंद्र दास परमहंस जैसे अपने समय के उद्भट योद्धा अब सशरीर इस दुनिया में नहीं हैं।

श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़ी शीर्ष हस्तियां

लालकृष्ण आडवाणी : भाजपा को शून्य से शिखर तक की यात्रा कराने वाले लालकृष्ण आडवाणी उन नेताओं में हैं, जिन्होंने 1980-90 के दशक में अपनी रथयात्रा के जरिए राम मंदिर के पक्ष में सामाजिक और राजनीतिक माहौल निर्मित किया था। उनकी राम रथयात्रा 25 सितंबर, 1990 को शुरू हुई थी। यह यात्रा गुजरात के सोमनाथ मंदिर से प्रारंभ होकर अयोध्या में रामजन्मभूमि पहुंचनी थी, लेकिन अक्तूबर में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। आडवाणी जी के नेतृत्व में चले आंदोलन से देश भर में राम मंदिर के लिए अच्छा-खासा तूफान उमड़ पड़ा था। ‘बच्चा बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का’ नारा उसी दौर का था। अयोध्या का विवादित ढांचा ढहाए जाने को लेकर उन पर मुकदमा भी चला था। आडवाणी अब 95 वर्ष के हैं।

डॉ. मुरली मनोहर जोशी : 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में हुई कारसेवा के दौरान मुरली मनोहर जोशी मौजूद थे। उन पर भी ढांचा ढहाने का मुकदमा चला था। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को धार देने में अहम भूमिका निभाने वाले जोशी जी अब 90 वर्ष के हैं।

उमा भारती : रामजन्म भूमि आंदोलन के दौर में भाजपा की धारदार नेता बनकर उभरीं उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री, सांसद और केंद्रीय मंत्री रही हैं। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ की निवासी उमा भारती ने किशोरावस्था में ही संन्यास ले लिया था, लेकिन जब वे राम मंदिर आंदोलन में कूदीं, तो फिर उन नेताओं में शामिल हो गर्इं, जो कहीं भी सड़क पर भाषण देने लगें तो हजारों की भीड़ अपने आप जुट जाती थी।

विनय कटियार : विश्व हिंदू परिषद के अनुषंगी संगठन बजरंग दल के प्रमुख नेता रहे विनय कटियार वैसे तो उत्तर प्रदेश के कानपुर क्षेत्र के हैं, लेकिन उन्हें अयोध्या नगरी ऐसे भायी कि वे वहीं के होकर रह गए। वे माघ के महीने में हर वर्ष सरयू नदी के तट पर कल्पवास करते हैं।

साध्वी ऋतंभरा : पंजाब की मूल निवासी साध्वी ऋतंभरा ने किशोरावस्था में ही संन्यास ले लिया था, लेकिन वे श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में कूद पड़ीं। मंदिर आंदोलन के लिए लगातार काम करने वाली साध्वी इन दिनों वृंदावन में वात्सल्य ग्राम नामक आश्रम के जरिए अनाथ बच्चों की सेवा करती हैं। उन्होंने समारोह में पहुंचने की घोषणा कर दी है।

अन्य प्रमुख हस्तियां, जो प्राण प्रतिष्ठा समारोह की साक्षी होंगी, उनमें शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती, भारती कृष्ण तीर्थ, अवधेशानंद गिरि, ज्ञान देव महाराज, गुरु शरणानंद, बाबा रामदेव, जैन मुनि रविंद्र कीर्ति, जगत्गुरु रामभद्राचार्य, पटना साहिब के जत्थेदार, बौद्ध धर्मगुरु मुंबई के राहुल बोधि, स्वामिनारायण मंदिर के प्रमुख, आर्ट आफ लिविंग के श्रीश्री रविशंकर, गायत्री परिवार के प्रमुख, बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, केरल की अमृतानंदमयी मां, सिने जगत से रामानंद सागर के धारावाहिक रामायण में राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल, महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने वाले नितीश भारद्वाज, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, माधुरी दीक्षित, फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर, मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, रतन टाटा, प्रसिद्ध चित्रकार वसुदेव कामथ, इसरो के निदेशक नीलेश देसाई के साथ पद्म सम्मान से विभूषित हस्तियां, कवि, लेखक, कलाकार, खिलाड़ी आदि सम्मिलित हैं।

प्राण-प्रतिष्ठा समारोह से ठीक एक सप्ताह पहले अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन शुरू हो जाएगा। अयोध्या नगरी में झांकी निकालने के साथ ही कार्यक्रम का श्रीगणेश होगा। इसमें भगवान श्रीराम के जन्म से लेकर वनवास तक की तस्वीरें होंगी। लंका पर विजय और अयोध्या वापसी की झलक भी देखने को मिलेगी।

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