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‘नेहरू नहीं, अब पटेल के रास्ते पर चलकर चीन पर लगाम कस रहा भारत’

सरदार पटेल और नेहरू के बीच शुरू से ही चीन के संदर्भ में अपनाई जा रही नीतियों को लेकर मतभेद रहे थे। चीन से व्यवहार के लिए सरदार पटेल ने यथार्थ को देखते हुए कदम बढ़ाने की वकालत की थी

by WEB DESK
Jan 4, 2024, 12:15 pm IST
in भारत, विश्व, विश्लेषण
विदेश मंत्री जयशंकर

विदेश मंत्री जयशंकर

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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कर दिया है कि आज का भारत वह भारत नहीं है जो चीन की घुड़कियों से दब जाया करता था। आज का भारत नेहरू की नीतियों पर नहीं, सरदार पटेल की नीतियों पर चलकर चीन को साध रहा है।

जयशंकर ने भारत को अपना शत्रु मानकर चल रहे चीन के संदर्भ में विदेश नीति का एक हल्का सा खुलासा करके बता दिया है कि अब एक थप्पड़ खाकर दूसरा गाल आगे करने के दब्बूपन और ‘भाई—भाई’ के कोरे भुलावों से दूर, भारत चीन की लगाम कस रहा है। भारत के विदेश मंत्री ने सख्त अंदाज में यह बात कहकर उस गलतफहमी को दूर करने का संकेत दिया है जो भारत के इस्लामी पड़ोसी पाकिस्तान अथवा चीन के शासकों ने शायद पाल रखी हो।

सरदार पटेल और नेहरू के बीच शुरू से ही चीन के संदर्भ में अपनाई जा रही नीतियों को लेकर मतभेद रहे

एक प्रसिद्ध समाचार एजेंसी को जयशंकर ने हाल में एक साक्षात्कार दिया था, उसी में उन्होंने विदेश नीति की लीक समझाते हुए उक्त बातें कहीं। चीन, पाकिस्तान तथा कनाडा के संदर्भ में उस साक्षात्कार में भारत के विदेश मंत्री ने खुलकर कहा कि आज का भारत नया भारत है।

पड़ोसी इस्लामी देश के संदर्भ में उनका यह कहना बहुत मायने रखता है कि पाकिस्तान से अब शर्तों पर कोई बात नहीं की जाएगी। यह उस पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत है कि मनमानी और नरमी भरी बातों के दिन लद गए हैं, अब बात होगी तो दो टूक और वह भी कश्मीर की अखंडता को सुनिश्चित करने वाली। पाकिस्तान के मजहबी उन्मादी तत्व और उनके प्रभाव में काम करने वाली वहां की राजनीति और सेना समझ ले कि भारत को अब किसी झांसे में नहीं रखा जा सकता और न ही किसी बाहरी दबाव के बल पर धमकाया जा सकता है।

चीनी नेता चाउ एन लाई के साथ जवाहरलाल नेहरू (फाइल चित्र)

नेहरू ने चीन के संदर्भ में ‘चाइना फर्स्ट’ यानी पहले चीन की नीति अपनाई थी। हालांकि सरदार पटेल और नेहरू के बीच शुरू से ही चीन के संदर्भ में अपनाई जा रही नीतियों को लेकर मतभेद रहे थे। चीन से व्यवहार के लिए सरदार पटेल ने यथार्थ को देखते हुए कदम बढ़ाने की वकालत की थी और आज भारत की मोदी सरकार पटेल की उसी नीति का अवलंबन कर रही है। जयशंकर का इस बारे में साफ कहना है कि भारत ने इस प्रकार के संबंध बनाने का प्रयास किया है जिसमें आपसी हितों को महत्व दिया जाए। लेकिन अगर दोनों ओर की चिंताओं का ध्यान नहीं रखा जाएगा तो संबंध आगे कैसे बढ़ सकते हैं!

जयशंकर ने कनाडा को लेकर भी भारत की सोच स्पष्ट की है। वहां जिस प्रकार से खालिस्तानी ताकतों के प्रभाव में सरकार की तरफ से भारत विरोधी बयानबाजी हो रही है उस पर उनका कहना था कि यह रवैया भारत ही नहीं, कनाडा के लिए भी ठीक नहीं है।

चीन के भारत के प्रति पिछले लंबे समय से देखने में आ रहे आक्रामक रवैए पर भी जयशंकर ने दो टूक कहा कि अब हम उस बारे में सरदार पटेल की नीतियों पर चलते हैं, न कि नेहरू की नीतियों पर।

विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ कहा कि नेहरू ने चीन के संदर्भ में ‘चाइना फर्स्ट’ यानी पहले चीन की नीति अपनाई थी। हालांकि सरदार पटेल और नेहरू के बीच शुरू से ही चीन के संदर्भ में अपनाई जा रही नीतियों को लेकर मतभेद रहे थे। चीन से व्यवहार के लिए सरदार पटेल ने यथार्थ को देखते हुए कदम बढ़ाने की वकालत की थी और आज भारत की मोदी सरकार पटेल की उसी नीति का अवलंबन कर रही है।

जयशंकर का इस बारे में साफ कहना है कि भारत ने इस प्रकार के संबंध बनाने का प्रयास किया है जिसमें आपसी हितों को महत्व दिया जाए। लेकिन अगर दोनों ओर की चिंताओं का ध्यान नहीं रखा जाएगा तो संबंध आगे कैसे बढ़ सकते हैं! इसी प्रकार विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को भी आईना दिखाया।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चाहता है कि भारत सीमा पार आतंकवाद के दबाव में उससे बातचीत के लिए तैयार हो जाए। लेकिन ऐसा संभव ही नहीं है। जयशंकर ने साफ कहा कि भारत पाकिस्तान से बात कर सकता है, लेकिन अगर वह चाहता है कि यह उसकी शर्तों पर हो तो यह संभव ही नहीं है। आतंकवाद को जायज ठहराकर और उसके दबाव में आकर वह हमें बातचीत के लिए राजी नहीं कर सकता।

कनाडा के संदर्भ में भी उन्होंने वहां तेजी से पनप रहीं खालिस्तानी ताकतों का उल्लेख किया। कहा कि वहां ऐसी ताकतों का बढ़ना न भारत के लिए अच्छा है, न कनाडा के लिए ही अच्छा है। भारत-कनाडा रिश्तों पर जयशंकर के बेबाक बोलों को कनाडा में बहुत गंभीरता से लिया जा जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि कनाडा की राजनीति में खालिस्तानी ताकतों को काफी बढ़ने दिया गया है। ऐसी तत्वों को वहां इतनी ढील दी जाती रही है कि ये दोनों देशों के रिश्तों का अहित कर रहे हैं।

भारत की दुनिया में बढ़ रही साख के संदर्भ में भी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत आज किसी पर अपनी सोच थोप नहीं रहा है, बल्कि आज भारत को ज्यादा प्रासंगिकता से लिया जाता है। भारत में कई चीजों को प्रभावित करने की ताकत मानी जाती है। आज दुनिया के अनेक बड़े नेता चाहते हैं कि भारत के प्रधानमंत्री उनके यहां आएं। यह चीज दिखाती है कि आज विश्व मंच पर भारत का मान बढ़ा है और इसकी बातों को महत्व भी।

 

Topics: पाकिस्तानnehruPakistanKhalistaniभारतforeign policyचीनजयशंकरIndiamodimeaChinaकनाडाcanadadiplomacyखालिस्तानीSardar PatelJaishankar
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