चीन जिस दक्षिण चीन सागर में अपनी दादागिरी दिखाता आ रहा है, जिसे अपने मालिकाना हक में बताता आ रहा है वहां अब उसे कई मोर्चों से जूझना पड़ सकता है। दक्षिण चीन सागर में पिछले लंबे वक्त से चीन के निशाने पर रहा फिलीपींस अब भारत निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलों से उस पर कहर ढाने की तैयारी कर रहा है। इस बारे में उसे जल्दी ही ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप मिलने वाली है।
फिलीपींस ने इस बारे में साल 2022 में ही भारत से एक महत्वपूर्ण समझौता किया था। ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के उस समझौते के तहत ही 2024 में भारत उसे मिसाइलें देने जा रहा है। 2022 में हुई यह संधि लगभग 31 अरब रु. की थी। इसी करार के अंतर्गत साल 2023 में फिलीपींस के रक्षा अधिकारियों ने भारत से इन मिसाइलों को चलाने का प्रशिक्षण लिया था। ये मिसाइलें फिलीपींस की नौसेना के अधीन होंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि विश्व की सबसे तेज रफ्तार वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के लिए फौलादी निरोधक का काम करेंगी। इनकी तैनाती के बाद संभवत: चीन की दादागिरी पर लगाम लगेगी।
इसमें संदेह नहीं है कि दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस का छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। दोनों में संघर्ष बढ़ता जा रहा है। चीन ने फिलीपींस के जहाजों का उस सागर से गुजरना मुहाल कर दिया है। पिछले दिनों फिलीपींस के एक जहाज का रास्ता रोककर चीनी तटरक्षकों ने उस पर गोले भी दागे थे। फिलीपींस का मानना है कि भारत निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलें चीन से उसे सुरक्षा प्रदान करेंगी।
दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ फिलीपींस का छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। दोनों में संघर्ष बढ़ता जा रहा है। चीन ने फिलीपींस के जहाजों का उस सागर से गुजरना मुहाल कर दिया है। पिछले दिनों फिलीपींस के एक जहाज का रास्ता रोककर चीनी तटरक्षकों ने उस पर गोले भी दागे थे। फिलीपींस का मानना है कि भारत निर्मित ब्रह्मोस मिसाइलें चीन से उसे सुरक्षा प्रदान करेंगी।
इस संबंध में ‘यूरेशियन टाइम्स’ ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। रक्षा विशेषज्ञों की राय है कि ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली फिलीपींस को उसके तटों की रक्षा में काफी मदद करेगी। इससे फिलीपींस की सेना को अतिरिक्त बल मिलेगा। ब्रह्मोस मिसाइल हासिल करने के बाद, फिलीपींस भी उन दक्षिण एशियाई देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके आयुध भंडार में सुपरसोनिक जहाज रोधी क्रूज मिसाइलें हैं।
उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया के भंडार में रूस निर्मित याकहोंत सुपरसोनिक मिसाइलें हैं। विएतनाम भी रूस की दो जमीन आधारित बैशन-पी मोबाइल तट रक्षक मिसाइल प्रणाली से लैस है। फिलीपींस की तरह, इंडोनेशिया, थाइलैंड और विएतनाम भी भारत से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलें खरीदने में रुचि रखते हैं और इस बारे में उन्होंने अपनी मंशा जाहिर भी की है। ये देश भी चाहते हैं कि भारत से इन मिसाइलों को खरीदने का समझौता करें।
ब्रह्मोस मिसाइलों की बढ़ती मांग और दुनिया में ख्याति के संबंध में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि फिलीपींस के साथ हुए लगभग 31 अरब रु. के करार के अनुसार मिसाइलों का उत्पादन जारी है जिसकी आपूर्ति समय पर की जाएगी। उम्मीद यह भी है कि फिलीपींस की सेना मिसाइल प्रणाली के जमीन से संचालित होने वाले स्वरूप के लिए भी करार करे। क्रूज मिसाइलों के लिए फिलीपींस ने दिसंबर, 2021 में भारत सरकार के साथ समझौता होने की जानकारी सार्वजनिक की थी। तब बताया गया था कि इस करार की कीमत 31 अरब रु. है।
यहां बता दें कि दक्षिण चीन सागर के उत्तर में चीन और ताइवान हैं तो पश्चिम में विएतनाम, मलेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर मौजूद हैं, दक्षिण का तट इंडोनेशिया तथा ब्रूनेई से सटता है। इस सागर की पूर्व में सीमा फिलीपींस से लगी है। चीन का 64 प्रतिशत कारोबार इसी सागर के रास्ते होता है इसलिए वह चाहता है उसका इसके 90 प्रतिशत हिस्से पर दबदबा बना रहे।
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