जंगल है तो जान है — पराग धकाते
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जंगल है तो जान है — पराग धकाते

सुरक्षा का दायित्व वन विभाग के साथ हम सभी का है। उत्तराखंड के जंगलों पर अतिक्रमण हो रहा था। जगह-जगह मजारें बनाई जा रही थीं।

by अनुराग पुनेठा
Jan 3, 2024, 02:12 pm IST
in भारत, विश्लेषण, उत्तराखंड, गोवा, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
मंच से अपने विचार रखते पराग धकाते। साथ में हैं (बाएं से) कर्नल (से.नि.) तेज के. टिक्कू और अनुराग पुनेठा

मंच से अपने विचार रखते पराग धकाते। साथ में हैं (बाएं से) कर्नल (से.नि.) तेज के. टिक्कू और अनुराग पुनेठा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

सागर मंथन में ‘सुरक्षा और सवाल’ विषय पर उत्तराखंड के मुख्य वन्य संरक्षक श्री पराग धकाते और कर्नल (से.नि.) तेज के. टिक्कू से वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनेठा ने संवाद किया। प्रस्तुत हैं उस संवाद के मुख्य अंश-

हमारे देश की 25 प्रतिशत भूमि पर जंगल हैं। जहां जंगल की बात होती है, वहां जल की बात होती है। आक्सीजन, पानी इत्यादि का स्रोत जंगल है। इसकी सुरक्षा का दायित्व वन विभाग के साथ हम सभी का है। उत्तराखंड के जंगलों पर अतिक्रमण हो रहा था। जगह-जगह मजारें बनाई जा रही थीं।

राज्य सरकार ने अभियान चलाकर लगभग 13,000 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त करा लिया है। आने वाले समय में फिर कहीं अतिक्रमण न हो, इसके लिए नीति बनाई गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जहां की जनसांख्यिकी बदलती है, वहां की आर्थिक स्थिति पर भी उसका दुष्प्रभाव पड़ता है। स्थानीय लोगों का अधिकार मारा जाता है। जब हम पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को जोड़ने की बात करते हैं तब अनेक बिंदुओं पर ध्यान देना होता है। बहुत सारे लोग प्रत्यक्ष रूप से जंगल से जुड़े हैं। इन लोगों का जीविकोपार्जन जंगल पर निर्भर है।

उत्तराखंड में वन पंचायत सिद्धांत है, जहां महिलाएं वनों का प्रबंधन करती हैं। हमारे देश के कई राज्य ऐसे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े हैं। उनकी सीमा जंगल होती है और वहीं से गलत तत्व या भारत विरोधी हरकतें करने वाले लोग प्रवेश करते हैं। हालांकि सुरक्षा के लिए वहां सुरक्षाकर्मी एवं वन्यकर्मी तैनात होते हैं। मेरा मानना है कि इन वन्यकर्मियों को भी प्रशिक्षण देकर एक सुरक्षाकर्मी की तरह तैयार करना चाहिए। इससे हमारी सुरक्षा और मजबूत होगी।

आतंकवाद का होगा अंत — कर्नल (से.नि.) तेज के. टिक्कू

कश्मीर घाटी के लगभग 27 प्रतिशत भूभाग पर जंगल हैं, वहीं 60 प्रतिशत भूभाग पर पहाड़ी है। जंगल के बिना जीवन नहीं है। इसके बावजूद मेरा मानना है कि जिन जंगलों में कायर आतंकवादी छुप कर हमारे वीर सैनिकों पर हमला करते हैं, उन्हें आतंकवादियों से मुक्त कराना ही होगा। इसलिए ऐसी नीति बने कि आतंकवादियों से जंगल मुक्त रहें। पूंछ, राजौरी क्षेत्र में जंगल बहुत हैं। वहां सीमा बिल्कुल सटी हुई है।

यही कारण है कि आतंकवादी किसी घटना को अंजाम देकर उन जंगलों में छुप जाते हैं। ऐसे इलाके भारतीय सेना के लिए बहुत बड़ी चुनौती हैं। पर जिस तरह से भारतीय सेना काम कर रही है यकीन मानिए बहुत जल्दी ही वहां पर आतंकवाद का अंत हो जाएगा। जम्मू-कश्मीर में सरकार की नीतियों में बहुत बदलाव आया है।

आजादी से लेकर 2016 तक वहां की नीति एक विशेष विचार पर आधारित थी। इससे देश के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को बढ़ावा मिलता था। आज वहां पर इन चीजों में बदलाव हुआ है। 2016 से पहले दो-तीन परिवारों के हाथ में वहां की सत्ता रही है। इन परिवारों के लोग दिल्ली में अलग बातें करते थे, तो कश्मीर में अलग।

इस कारण पाकिस्तान को हमारे यहां दखलअंदाजी करने में बहुत आसानी होती थी। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद तो वहां के लोगों की सोच में बहुत बड़ा बदलाव आया है। अब जम्मू-कश्मीर में काफी हद तक आतंकवाद पर अंकुश लग चुका है।

Topics: उत्तराखंडUttarakhandterrorismLivelihoodसुरक्षा और सवालजीविकोपार्जनSecurity and Questionsजम्मू-कश्मीरJammu and Kashmirआतंकवाद
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

प्रतीकात्मक तस्वीर

12 साल बाद आ रही है हिमालय सनातन की नंदा देवी राजजात यात्रा

बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि 'यदि भारत और पाकिस्तान के बीच समग्र वार्ता होती है, तो पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद और जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर के प्रत्यर्पण का विरोध नहीं करेगा'

जिहादी हाफिज के बेटे तलहा ने Bilawal को बताया ‘नाम का मुसलमान’, बेनजीर पुत्र के विवादित बयान पर खिचीं तलवारें

ECI issues notice 6 political parties of UK

उत्तराखण्ड के 6 राजनैतिक दलों को चुनाव आयोग का नोटिस, जानिए कारण

Pushkar Singh Dhami Demography

विकसित भारत @2047 : CM धामी ने पूर्व सैनिकों संग डेमोग्राफी चेंज और धर्मान्तरण पर की चर्चा

CM Dham green signal to the first batch of Kailas mansarovar pulgrims

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को टनकपुर से किया रवाना

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना ने अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies