अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार है और 22 जनवरी को उसकी प्राण प्रतिष्ठा होनी है। ऐसे में भगवान श्री राम के भक्तों में खुशी की लहर है, लेकिन एक पार्टी ऐसी भी है, जिसे राम भक्तों से बहुत ही कष्ट होता है। तुष्टिकरण के लिए ये किसी भी हद तक जा सकती है। ये पार्टी है कांग्रेस। कांग्रेस की कर्नाटक में सरकार है। जैसे-जैसे उद्धाटन की तारीख सामने आ रही है वैसे-वैसे कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति तेज कर दी है। इसी क्रम में कर्नाटक में पुलिस ने 30 साल पहले राम मंदिर आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस को दोबारा से खोल दिया है। इस मामले में एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ये मामला कथित तौर पर संपत्तियों को नष्ट करने से जुड़ा है। बताया जाता है कि राम मंदिर के लिए लड़े कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई के लिए सरकार के आदेश पर पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित की है। इस स्पेशल टीम ने 1992 के राम मंदिर आंदोलन से जुड़े मामलों की एक सीक्रेट रिपोर्ट तैयार की है। इसमें ऐसे मामलों को जोड़ा गया है, जिसके कारण इस्लामिस्टों की कथित भावनाएं आहत हुई और वो हिंसा करने के लिए मजबूर हुए।
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बताया जाता है कि इस मामले में हुबली जिले की पुलिस ने 300 ऐसे संदिग्ध व्यक्तियों की लिस्ट तैयार की है, जो कि कथित तौर पर वर्ष 1992 से लेकर 1996 तक के संघर्षों में शामिल रहे थे। पुलिस का कहना है कि इनमें से कई आरोपी तो अब 70 साल की अवस्था को भी पार कर चुके हैं और कुछ शहर भी छोड़ चुके हैं। इसी क्रम में कर्नाटक पुलिस ने 5 दिसंबर 1992 को कथित तौर पर हुबली में एक मुस्लिम की दुकान में तोड़-फोड़ के मामले में श्रीकांत पुजारी को हिरासत में लिया है।
राज्य की सिद्धारमैया सरकार की इस कार्रवाई के बाद हिन्दू संगठनों ने इसकी भर्त्सना की है। हिन्दू संगठनों का कहना है कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के उद्घाटन को लेकर भाजपा और हिन्दू संगठन घऱ-घर अभियान चला रहें, जिसे कांग्रेस सरकार बर्दाश्त नहीं कर पा रही है। इसीलिए अपनी खीझ मिटाने के लिए 30 साल पुराने मामलों को खोल रही है।
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