हरिद्वार: अक्षत निमंत्रण अभियान का शुभारंभ आंग्ल कलेंडर के नववर्ष के प्रथम दिन देवनगरी हरिद्वार के कनखल में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज पीठाधीश्वर दक्षेश्वर महादेव मंदिर, सचिव, महानिर्वाणी अखाडा को अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती के साथ अशोक तिवारी केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिन्दू परिषद तथा अजय कुमार प्रांत संगठन मंत्री उत्तराखण्ड ने संयुक्त रूप से पूजित अक्षत के साथ कार्यक्रम की जानकारी से संबंधित पत्रक देकर किया।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री तथा राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी ने बताया कि भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर बनने वाले भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए देशव्यापी निमंत्रण दिए जा रहे हैं। पूजित अक्षत उत्तराखण्ड राज्य के 16 हजार गांवों के 20 लाख परिवारों में भेजा जाएगा। आज से 15 दिन का महाअभियान शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत हर शहर, हर गांव, हर बस्ती और हर घर जाकर लोगों को निमंत्रित करेंगे और कहेंगे कि भगवान श्रीराम 500 वर्ष बाद अपने घर लौट रहे हैं। हम सब लोग भी घर से बाहर निकलें और घर-घर जाकर अपने पास के मंदिर में 22 जनवरी की सुबह 11 बजे से लेकर 2 बजे तक प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हों, जिसका सीधा प्रसारण अयोध्या से किया जाएगा।
भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी को होना है। इस अभियान के तहत विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता और भगवान श्री राम में आस्था रखने वाले लोग घर-घर जाकर अक्षत निमंत्रण देंगे और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से भेजे गए संदेश को भी लोगों तक पहुंचाएंगे। इस निमंत्रण में पूजित अक्षत के साथ भगवान राम की एक तस्वीर होगी। इसके साथ ही इसमें एक पत्रक को भी दिया जाएगा, जिसे खासतौर पर छपवाया गया है। इसके जरिए एक तरफ जहां भक्तों को भगवान की राम के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी दी जाएगी। अयोध्या राम मंदिर में पूजित अक्षत के साथ घर-घर जाकर लोगों को यह संदेश भी दिया जा रहा है कि प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के दिन अपने नजदीकी मंदिर में जाएं और वहां पर इस कार्यक्रम के साक्षी बनें।
इस अवसर पर विश्व हिन्दू परिषद उत्तराखण्ड के प्रांत संगठन मंत्री अजय कुमार, बलराज डूंगर पूर्व प्रांत संयोजक बजरंग दल मेरठ प्रांत, मयंक चौहान धर्माचार्य संपर्क प्रमुख हरिद्वार उपस्थित रहें।
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