पाञ्चजन्य के सागर मंथन सुशासन संवाद 2.0 के दौरान प्रसिद्ध आर्थोपेडिक डॉ केयर बुच ने कहा कि भारतीय स्वास्थ्य पद्धति एक जीवंत पद्धति है। उन्होंने कहा कि आपका शरीर आपके काम को करने का टूल्स है। उपनिषदों में शरीर की तुलना रथ से की गई है। पश्चिमी देशों में हर चीज को एक इंडस्ट्री बना दिया है, जो कि बीमारियां है ही नहीं। तकनीक कितनी भी आगे बढ़ जाए रोबोट और चैट जीपीटी ह्यूमन कॉन्टैक्ट को रिप्लेस नहीं कर सकती।
डॉ केयर बुच ने मंथन में आर्थराइटिस बीमारी को लेकर एक बड़ी चेतावनी जारी की और कहा कि अगर आप 20 मिनट से ज्यादा बैठते हैं तो आप आर्थोपेडिक बीमारी के शिकार हो सकते हैं। केयर बुच ने बैठने को लेकर कहा, ‘सिटिंग इज अ न्यू स्मोकिंग’। ज्यादा देर तक बैठना घातक होता है। रोड एक्सीडेंट भारत के लिए इमरजेंसी की तरह है। क्लीनिक गवर्नेंस आधारभूत नियम है। क्लीनिक गवर्नेंस एड क्लीयरेंस इज ए सेट ऑफ रिलेशनशिप और 2015 में प्रधानमंत्री नरकेंद्र मोदी ने मुझसे पूछा था कि भारत वापिस कब आ रहे हो। इसी के बाद मैं भारत लौटा। संपर्क भारती के जरिए मैं सनातन धर्म के लिए काम कर रहा हूं।
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डॉ केयर बुच ने कहा कि इस समय दुनिया में नरैटिव का युद्ध चल रहा है। बॉलीवुड इसी तरह के युद्ध का हिस्सा है।क्योंकि जिन बॉलीवुड वालों को हम सम्मान देते हैं, वहीं चुनाव से पहले बोलते हैं कि उन्हें देश में डर लगता है। अमेरिका का हेल्थ सिस्टम इंश्योरेंस बेस है और आयुश्मान भारत भी इसी तरह है का है, जिसके तहत अब तक 5 मिलियन लोगों का इलाज किया जा रहा है। लेकिन वक्त के साथ इसमें और अधिक बदलाव किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने ये बात उद्यमी द्रुमि के सवाल पर कही।
आयुर्वेद का एक ही उद्येश्य व्यक्ति बीमार ही न हो
वहीं इस मौके पर प्रसिद्ध आयुर्वेद डॉक्टर महेश व्यास ने कहा कि आयुर्वेद का मुख्य उद्येश्य केवल एक रहा है कि व्यक्ति को एक ऐसा आहार मिलना चाहिए कि व्यक्ति बीमार ही न हो। उन्होंने प्राचीन आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आचार्य सुश्रुत ने कहा था कि अन्नप्राशन से लेकर मरने तक अगर आप आहार के नियमों का पालन करते हैं तो आप स्वस्थ रहेगें। कोरोना काल में आपने देखा था अगर खान-पान और सोने के नियमों का पालन करेंगे तो भी हॉस्पिटल जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
भारत सरकार का एक संस्थान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान है, जहां कोरोना के दौरान एक सर्वे किया गया और पता चला कि उस दौरान मजबूरी में ही सही, लेकिन लोगों ने घर का खाना खाया, जिससे पेट के मरीजों की संख्या कम हो गई थी। अगर हम प्रतिदिन अपने घर का खाना खाते हैं तो किसी को अस्पताल जाने की आवश्यकता लगभग कम हो जाती है। हम निश्चित रूप से समाज और परिवार को स्वस्थ रख पाएंगें। आयुर्वेद के महत्व की बात करते हुए उन्होंने ये भी बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के दौरान गुजरात में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडीशन मेडिसिन का केंद्र खोला। विश्व संगठन ने इस बात को माना है कि आयुर्वेद बहुत ही आवश्यक है। आयुर्वेद प्रचीनतम पद्धति है, लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में उतनी ही वैज्ञानिक है।
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