राष्ट्रपति श्री मती द्रौपदी मुर्मू ने तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों को मंजूरी दे दी है। अब ये तीनों विधेयक कानून बन गए हैं। इनमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय सक्षम अधिनियम अधिनियम शामिल हैं। अब ये कानून भारतीय दंड संहिता, भारतीय दंड प्रक्रिया और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 872 की जगह लेंगे। इन विधेयक को पहले दोनों ही सदनों में मंजूरी मिल गई थी।
दरअसल, इन तीनों कानूनों का उद्देश्य देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलना है, ताकि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों से निजात मिल जाए। इन कानूनों में राजद्रोह के अपराध को खत्म कर दिया गया है। साथ ही राज्य के खिलाफ अपराध की एक नई धारा जोड़ी गई है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस बिल को पेश करते हुए कहा था कि अब के विधेयक में अल्पविराम और पूर्ण विराम का पूरा ध्यान रखा गया है। वहीं, इस नए कानून में राजद्रोह में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधइ, संप्रभुता या एकता को खतरे में डालने वाले अपराध, अलगाववादी गतिविधि जैसे अपराधों को शामिल किया गया है। अब कोई मौखिक, लिखित या सांकेतिक रूप से ऐसी गतिविधियों को उत्तेजित करता है या फिर प्रयास करता है, एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है। साथ ही उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
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