दिल्ली शराब घोटाले के मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिसोदिया को बड़ा झटका देते हुए उनकी न्यायिक हिरासत को 19 जनवरी 2024 तक के लिए बढ़ा दिया है। अब इसस मामले में अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी।
अदालत ने आरोपियों के वकील को सीबीआई मुख्यालय में दस्तावेजों का निरीक्षण करने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया है। अदालत ने सीबीआई को निरीक्षण की सुविधा के लिए पर्याप्त अधिकारी तैनात करने और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले 30 अक्टूबर को जमानत पाने के लिए मनीष सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट गए थे, लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस को मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया था। दिल्ली शराब घोटाले में जेल की हवा खा रहे आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया था कि अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है तो मनीष सिसोदिया बाद में फिर से ज़मानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इस मामले में इससे पहले 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी और सुनवाई पूरी करने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। गौरतलब है कि दिल्ली शराब नीति घोटाले के मामले में मनीष सिसोदिया के अलावा सत्येंद्र जैन और संजय सिंह भी जेल की हवा खा रहे हैं।
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क्या है दिल्ली शराब घोटाला
दिल्ली सरकार नवंबर 2021 में राजधानी के शराब विक्रेताओं के लिए एक नई नीति लेकर आई थी। इसके तहत सरकारी दुकानों की बजाय शराब के स्टोर बेचने के लिए निजी पार्टियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने की परमिशन दी गई। दिल्ली सरकार का कहना था कि नई नीति लाने से शराब की कालाबाजारी रुकेगी, दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा और ग्राहकों को फायदा होगा। दिल्ली सरकार ने भी कलेक्शन में 27 प्रतिशत की वृद्धि का दावा किया था।
हालांकि, इस मामले में घोटाले का खुलासा दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की जुलाई 2022 में आई एक रिपोर्ट से हुआ। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि नई शराब नीति में कई नियमों का उल्लंघन किया गया था। आरोप था कि केजरीवाल सरकार की शराब नीति ने विक्रेताओं को “अनुचित लाभ” दिया। मुख्य सचिव ने कोरोना महामारी के दौरान शराब लाइसेंस फीस में 144 करोड़ की छूट देने का भी आरोप लगाया था।
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