भारतीय धर्म, दर्शन और अध्यात्म से जुड़े अनेक तीर्थक्षेत्र आज के पाकिस्तान में प्राचीन काल से ही मौजूद हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण तीर्थ है कटासराज मंदिर परिसर। यह पड़ोसी इस्लामी देश के पंजाब प्रांत में चकवाल जिले में आज भी जीर्ण—शीर्ण हालत में अपनी भव्यता की हल्की सी झलक दे रहा है। भारत सरकार के दबाव के बाद वहां कुछ जीर्णाद्धार का काम हुआ है और कुछ पर्यटक वहां जाते भी हैं। इसी मंदिर परिसर में 21 और 22 दिसम्बर को दो दिन का दीपमाला उत्सव सम्पन्न होगा। इस बार भारत से 55 तीर्थयात्री इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लाहौर पहुंच चुके हैं।
वाघा सीमा से लाहौर पहुंचे भारतीय तीर्थयात्रियों के जत्थे की जानकारी देते हुए पाकिस्तान के इवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने बताया कि जत्था विजय कुमार शर्मा के नेतृत्व में गया है और इसमें 55 तीर्थयात्री हैं जो कटासराज मंदिर परिसर या किला कटास में होने वाले धार्मिक उत्सव में शामिल होगा।
भारत में अजमेर के निकट पुष्कर के पवित्र सरोवर के समकक्ष ही यहां का सरोवर भी महाभारत कालीन माना जाता है। इस सरोवर के चारों तरफ अनेक मंदिर हैं जिसमें प्रमुख मंदिर विष्णु भगवान को समर्पित था, जो अब खंडहर बन चुका है। सरोवर के किनारे ही शिवालय है जहां शिवलिंग आज भी मौजूद है और हिन्दू जल चढ़ाकर यहां पूजा करते हैं।
दरअसल भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए एक समझौते के तहत भारत से हिन्दू—सिख तीर्थयात्री अपने धर्मस्थलों के दर्शन—पूजन और कार्यक्रमों में शामिल होने जाते रहे हैं। 17 मंदिरों से सज्ज कटासराज मंदिर परिसर हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व रखता है और यह स्थान पौरोणिक आख्यान से जुड़ा है। भारत में अजमेर के निकट पुष्कर के पवित्र सरोवर के समकक्ष ही यहां का सरोवर भी महाभारत कालीन माना जाता है। इस सरोवर के चारों तरफ अनेक मंदिर हैं जिसमें प्रमुख मंदिर विष्णु भगवान को समर्पित था, जो अब खंडहर बन चुका है। सरोवर के किनारे ही शिवालय है जहां शिवलिंग आज भी मौजूद है और हिन्दू जल चढ़ाकर यहां पूजा करते हैं।
उल्लेखनीय है कि ये तीर्थयात्री सात दिन लाहौर के विभिन्न पवित्र स्थलों का दौरा करेंगे। सभी तीर्थयात्री लाहौर के गुरुद्वारा डेरा साहिब में ठहराए गए हैं। मुख्य कार्यक्रम होगा दीप माला उत्सव जो दो दिन के लिए कटासराज मंदिर परिसर में कल से आयोजित किया जा रहा है।
पाकिस्तान का ईटीपीबी एक कानूनी मान्यता प्राप्त बोर्ड है। यह भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद भारत गए हिंदुओं तथा सिखों की धार्मिक संपत्तियों तथा मंदिरों के रखरखाव का जिम्मेदार है। इस बोर्ड के अतिरिक्त सचिव राणा सलीम ने वाघा सीमा पर भारतीय तीर्थयात्रियों के जत्थे का फूलमालाएं पहनाकर अपने यहां स्वागत किया।
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