वाराणसी स्थित विवादित ज्ञानवापी परिसर मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और विवाद से जुड़ी अन्य सभी पांच याचिकाओं पर मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इस मामले में हाइकोर्ट ने 1991 के मुकदमें के ट्रायल को मंजूरी दी है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को 6 महीने में सुनवाई पूरा करने का आदेश दिया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेच ने ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और हिन्दू पक्ष की दलीलों को अच्छे से सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। अपने फैसले के दौरान जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मुस्लिम पक्ष की कुल पांच याचिकाओं को खारिज किया। इनमें से तीन याचिकाएं 1991 में वाराणसी की अदालत में दाखिल किए गए मुकदमें की पोषणीयता से जुड़ी थीं, जबकि बाकी दो एएसआई के सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ दी गई चुनौती की है।
हालांकि, अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी याचिकाओं को खारिज कर वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी मामले पर चल रही सुनवाई को फिर से हरी झंडी दे दी है। जबकि इससे पहले जज रोहित रंजन ने 8 दिसंबर को हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों की सुनवाई को पूरी करने करने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट भी मुस्लिमों को दे चुका है झटका
गौरतलब है कि इसी साल नवंबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने मामले में मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका दिया था। दरअसल, 1991 में हिन्दू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी पर मालिकाना हक और अन्य जुड़े मामले की अपील पर 2021 से इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस प्रकाश पाडिया सुनवाई कर रहे थे। जस्टिस पाडिया ने इस मामले की सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिकर दिवाकर ने यह कहते हुए मामले को अपने पास ट्रांसफर कर लिया था कि जस्टिस पाडिया बिना अधिकार क्षेत्र के मामले पर सुनवाई कर रहे थे। इससे नाराज मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में भी दखल देने से इनकार कर दिया।
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