अपने पर आतंकवाद की मार से ‘बेहाल’ होने पर आतंकवादियों को पोसने वाला पाकिस्तान अब संयुक्त राष्ट्र से मदद मांग रहा है। पड़ोसी इस्लामी देश ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर कहा है कि प्रतिबंधित आतंकवादी गुट ‘टीटीपी के हाथों में हथियार पहुंच रहे हैं, ये उसे कौन दे रहा है? इसकी जांच कराई जानी चाहिए’।
इसमें शक नहीं है पाकिस्तान तालिबान से पिट रहा है। बलूचिस्तान तथा खैबर पख्तूनख्वा में तो गत दिनों एक के बाद एक पाकिस्तानी सेना पर कई हमले बोलकर अनेक जानें ली गई हैं। आतंकी हमलों में एकाएक बढ़ोतरी देखी गई है। इनके निशाने पर पाकिस्तानी सेना या पुलिस की चौकियां ही रही हैं। पाकिस्तानी फौज और आईएसआई उन आतंकवादियों के सामने बौनी नजर आ रही हैं जिन्हें उन्होंने ही पाला—पोसा है। सेना अध्यक्ष जनरल असीम मुनीर हों या कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक, टीटीपी को उनकी चेतावनी का रत्ती भर फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है।
पिछले दिनों पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर अमेरिका गए हुए थे। बताया गया कि वहां भी उन्होंने रोना रोया था कि टीटीपी उन्हें पीट रहा है। ऐसे आतंकवादी गुट को समाप्त करने के लिए उन्होंने अमेरिका से मदद भी मांगी। अफगानिस्तान में राज कर रहा मजहबी उन्मादी संगठन अब पाकिस्तान को कौड़ के भाव देता है इसलिए उसने भी अपने कथित मददगार रहे पाकिस्तान की उस गुहार को ठुकरा दिया है कि टीटीपी पर लगाम कसी जाए।
अब आतंकी गुटों का आका रहा पाकिस्तानी तंत्र खुद पर आतंक की मार पड़ने से ऐसा बिलबिला रहा है कि सीधे संयुक्त राष्ट्र के पास गुहार लगाने पहुंचा है। वहां उसने बताया कि कैसे उसे टीटीपी के हमले झेलने पड़ रहे हैं। अभी हाल ही में पाकिस्तान के एक सैन्य ठिकाने पर टीटीपी ने घातक मार की और 20 से ज्यादा सैनिक हलाक कर डाले। पाकिस्तान ने यूएन में यही कहा है कि इस टीटीपी को ये हथियार मिल कहां से रहे हैं, इसकी जांच कराई जानी चाहिए। इसके लिए आतंकवाद के पोषक इस्लामी देश ने मांग की है कि संयुक्त राष्ट्र की कोई समिति यह जांच करे कि टीटीपी जैसे प्रतिबंधित आतंकी गुट को ऐसे हथियार कौन उपलब्ध करा रहा है जिनके दम पर वह पाकिस्तान के कई शहरों में पुलिस और फौज का जीना मुहाल किए हुए है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रतिनिधि उस्मान जादून ने यह मांग संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में रखी। यह उस बैठक में रखी गई जिसमें तस्करी तथा हथियारों के दुरुपयोग पर बहस चल रही थी। उस्मान ने कहा कि टीटीपी जैसे आतंकवादी गुट के हाथ में हथियार बेखटके पहुंचाए जा रहे हैं। उनके दम पर वह पाकिस्तान पर लगातार चोट कर रहा है। इन हथियारों में एक से एक आधुनिक हथियार हैं जो संभवत: काले बाजारों से लिए जा रहे हैं। उस्मान ने एक कदम आगे जाकर संभावना जताई कि हो सकता है ये हथियार उनके हाथ में वे ताकतें या संस्थाएं पकड़ा रही हों जो उनके खास इलाके अथवा देश को ही डावांडोल करने की मंशा रखते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि उस्मान यह बताना क्यों भूल गए कि यह उनका ही पाकिस्तान था जिसने भाड़े के आतंकवादियों के हाथों में अत्याधुनिक हथियार थमा कर भारत में दो दशक से ज्यादा वक्त तक जिहाद मचाया हुआ था।
उस्मान ने आगे कहा कि दुनिया के सभी देशों तथा संयुक्त राष्ट्र का यह दायित्व बनता है कि ऐसे अत्याधुनिक हथियारों के काले कारोबार, आदान—प्रदान को रोकने के कदम उठाएं। विश्व में शांति रखनी है तो ऐसा करना आवश्यक है। यह वक्तव्य उस पाकिस्तान के प्रतिनिधि का है जो दुनिया भर में आतंकवाद के निर्यात का गढ़ बना हुआ है, जिसने तालिबान जैसे कट्टर मजहबी उन्मादी संगठन को काबुल की कुर्सी पर बैठने में कथित मदद दी।
अभी पिछले दिनों पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष असीम मुनीर अमेरिका गए हुए थे। बताया गया कि वहां भी उन्होंने रोना रोया था कि टीटीपी उन्हें पीट रहा है। ऐसे आतंकवादी गुट को समाप्त करने के लिए उन्होंने अमेरिका से मदद भी मांगी। अफगानिस्तान में राज कर रहा मजहबी उन्मादी संगठन अब पाकिस्तान को कौड़ के भाव देता है इसलिए उसने भी अपने कथित मददगार रहे पाकिस्तान की उस गुहार को ठुकरा दिया है कि टीटीपी पर लगाम कसी जाए।
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