अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया गया। अभाविप का यह अधिवेशन कई ऐतिहासिक अनुभवों का गवाह बना। अभाविप का अधिवेशन के दौरान लघु भारत, अनेकता में एकता तथा विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखी।
दिल्ली के बुराड़ी मैदान में 7-10 दिसंबर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के 69वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन किया गया। अभाविप का यह अधिवेशन कई ऐतिहासिक अनुभवों का गवाह बना। अभाविप का अधिवेशन स्वरूपगत, संख्या सहित कई प्रकार से अधिक महत्वपूर्ण था। बुराड़ी के ‘डीडीए ग्राउंड’ में ‘इंद्रप्रस्थ नगर’ विशाल टेंट सिटी बनाया गया था। अधिवेशन के दौरान लघु भारत, अनेकता में एकता तथा विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखी। अभाविप के संस्थापक सदस्य तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रहे स्व. दत्ता जी डिडोलकर को समर्पित एक विशाल प्रदर्शनी लगाई भी लगाई गई थी जिसका उद्घाटन 7 दिसंबर को अभाविप के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार भाटिया ने किया था।
75 किलों से संकल्पित कलश
छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350वें वर्ष के उपलक्ष्य में 28 नवंबर को महाराष्ट्र के रायगढ़ किले से शुरू अभाविप की हिंदवी स्वराज्य यात्रा 7 दिसंबर को 75 किले से संकल्पित मिट्टी के कलश के साथ दिल्ली पहुंची। लगभग 2,000 किमी. की दूरी तय कर पहुंची इस यात्रा का स्वागत अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही और राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने किया। यात्रा शिवनेरी, चालीसगांव, धुले, इंदौर, देवास, गुना, शिवपुरी, झांसी, दतिया, ग्वालियर, मुरैना, धौलपुर, आगरा, मथुरा व नोएडा सहित उन स्थानों से भी गुजरी, जिनका छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यात्रा के दौरान सभी प्रमुख स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया और कई स्थानों पर स्थानीय लोगों ने यात्रा का भव्य स्वागत भी किया। यात्रा में अभाविप के अनेक कार्यकर्ता छत्रपति शिवाजी महाराज के सैनिकों की वेशभूषा में थे।
अधिवेशन में याज्ञवल्क्य शुक्ल ने अभाविप द्वारा किए गए क्रियाकलापों पर आधारित महामंत्री प्रतिवेदन रखा, जिसमें देशभर में अभाविप के कार्यक्रमों, गतिविधियों, आंदोलनों तथा सदस्यता आंकड़े की जानकारी दी। अधिवेशन में 2023-24 के लिए पुन: निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही और राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल को चुनाव अधिकारी छग्गन भाई पटेल ने पदभार ग्रहण कराया।
अधिवेशन का उद्घाटन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 8 दिसंबर को अधिवेशन का उद्घाटन किया। स्वयं को अभाविप का कार्यकर्ता बताते हुए उन्होंने युवा शक्ति से 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में सहभागी होने का आह्वान किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी, सह-सरकार्यवाह मुकुंद सीआर, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख रामलाल, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर, अखिल अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल, राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान, राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत, राष्ट्रीय अधिवेशन की स्वागत समिति अध्यक्ष निर्मल मिंडा, स्वागत समिति महामंत्री आशीष सूद, अभाविप दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अभिषेक टंडन, प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री उपस्थित रहे। अधिवेशन के तीसरे दिन संघ के सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर ने ‘वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत एवं युवाओं की भूमिका’ विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित किया तथा अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने युवा तरुणाई को राष्ट्रीय अधिवेशन के भाषण सत्र ‘अभाविप: परिवर्तनकारी छात्र आंदोलन’ विषय पर संबोधित किया।
5 किमी. लंबी शोभायात्रा
इसके बाद 9 दिसंबर को दिल्ली की सड़कों पर विद्यार्थी परिषद की 5 किलोमीटर लंबी शोभायात्रा निकली, जिसमें लघु भारत दिखा। शोभायात्रा टेंट सिटी से निकली और नॉर्थ कैम्पस में मॉरिस नगर चौक स्थित दिल्ली विश्वविद्यालय के दौलतराम कॉलेज तक पहुंची। शोभायात्रा में देश के सभी राज्यों से आए 10,000 से अधिक विद्यार्थी शामिल थे। सड़कों पर उमड़ी युवा तरुणाई का दिल्लीवासियों ने 62 स्थानों पर पुष्प वर्षा और ढोल-नगाड़ों के माध्यम से स्वागत किया। यहां खुले अधिवेशन में पदाधिकारियों ने महिला सुरक्षा, शैक्षिक, सामाजिक, पर्यावरण जैसे विषयों पर अपने विचार रखे। खुले अधिवेशन का समापन 10,000 से अधिक विद्यार्थियों के वंदे मातरम् गायन के साथ हुआ।
6 प्रस्ताव पारित हुए
अधिवेशन के दौरान राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में 6 प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें 4 प्रस्ताव युवाओं से स्वस्थ जीवन शैली अपनाने, विवेकशील विकास पर्यावरण संतुलन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं जीवंत परिसर के लिए ठोस कदम उठाने व वैश्विक कल्याणकारी भारतीय कूटनीति जैसे विषयों पर थे, जबकि दो प्रस्ताव थे- भारतीय ‘स्व’ और स्वाभिमान का प्रतीक श्रीराम मंदिर तथा नारी शक्ति वंदन अधिनियम: एक ऐतिहासिक पहल। अभाविप ने श्रीराम मंदिर तथा महिलाओं के सुरक्षा व संवर्धन जैसे मुद्दों पर आंदोलनों का नेतृत्व किया है। राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नारी शक्ति अधिनियम-2023 न केवल जन आकांक्षाओं की पूर्ति है, अपितु महिला नेतृत्व विकसित करने की दृढ़ इच्छा शक्ति को भी दर्शाता है।
दूसरी ओर, श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर में रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होना भारत की पौराणिक व सांस्कृतिक धरोहर की पुनर्स्थापना के साथ विगत 500 वर्षों से चले आ रहे अनवरत संघर्ष की सफलता का प्रतीक है। याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि अभाविप महिला शिक्षा, सुरक्षा, सम्मान, स्वास्थ्य एवं स्वावलंबन दिशा में प्रयासरत है। अभाविप विधानसभा और विधान परिषद में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की 2018 में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद बैठक की मांग को दोहराते हुए नारी शक्ति वंदन अधिनियम-2023 का स्वागत करती है। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण होना प्रत्येक छात्र तथा प्रत्येक भारतवासी के लिए गौरवशाली क्षण है।
विद्यार्थी परिषद के आयाम
चलो गांव की ओर: 1978 में इसकी शुरुआत हुई। इसके तहत ग्रामीण विकास और पर्यावरण की दिशा में काम शुरू किया गया। 1990 में इस आयाम का नाम एसएफडी यानी स्टूडेंट फॉर डेवलपमेंट रखा गया। इसके तहत जन, जल, जंगल, जमीन और जानवर के लिए काम किया जाता है।
एसईआईएल: स्टूडेंट एक्सपीरियंस इन इंटर स्टेट लिविंग का गठन 1965 में हुआ। पूरे भारत की संस्कृति में जो एकसूत्रता है, उसका अनुभव प्रत्येक छात्र-छात्रा को हो, इसके लिए पिछले 48 वर्षों से यह प्रकल्प प्रकल्प चल रहा है। इसके तहत हर वर्ष पूर्वोत्तर के 100 छात्रों को भारत के अन्य हिस्सों तथा भारत के अन्य हिस्से से 100 छात्रों को पूर्वोत्तर की यात्रा कराई जाती है।
हडर: वर्ल्ड आर्गनाइजेशन आफ स्टूडेंट एंड यूथ का गठन 1985 में किया गया। इस नए आयाम की स्थापना विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्र और भारत में पढ़ने वाले विदेशी छात्र के बीच भारतीय संस्कृति का बोध कराने हेतु हुई। रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले इसके पहले राष्ट्रीय महामंत्री थे।
मिशन साहसी: महिलाओं की सुरक्षा को लेकर अभाविप ने मिशन साहसी कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके तहत देश के विभिन्न स्थानों पर शिविर लगाकर व विशेषज्ञों को बुलाकर छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है। अब तक एक लाख से अधिक छात्राओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार
अधिवेशन के अंतिम दिन 10 दिसंबर को टेंट सिटी में विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय काम करने वाले विद्यार्थियों प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार-23 से सम्मानित किया गया। इस वर्ष यह पुरस्कार कम आय एवं वंचित वर्ग के भारतीय युवाओं को वैश्विक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए पटना के शरद विवेक सागर, श्रीअन्न (मिलेट्स) के संरक्षण व संवर्धन के मौलिक कार्य के लिए डिंडोरी (मध्य प्रदेश) की लहरीबाई पडिया तथा दिव्यांगों के जीवन स्तर को बेहतर व आत्मविश्वास युक्त बनाने के लिए पाली (राजस्थान) के डॉ. वैभव भंडारी को दिया गया। पुरस्कार अर्पण समारोह में वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा मुख्य अतिथि थे। यह पुरस्कार 1991 से यशवंतराव केलकर की स्मृति में दिया जाता है, जिन्हें अभाविप का शिल्पकार कहा जाता है। अभाविप का वैचारिक अधिष्ठान, कार्यकर्ता विकास तथा कार्य पद्धति को स्थापित व निर्धारित करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
‘मैं अभाविप का आर्गेनिक प्रोडक्ट’
अधिवेशन के उद्घाटन अवसर पर स्वयं को अभाविप का ‘आर्गेनिक प्रोडक्ट’ बताते हुए अमित शाह ने कहा कि अभाविप के राजकोट अधिवेशन में मैं पंडाल के अंत में बैठा था। आज इस अधिवेशन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हूं। इससे जो गौरव अनुभव कर रहा हूं, उसे शब्दों में बता पाना मुश्किल है। अभाविप की व्यवस्था इतनी मजबूत है कि वह न तो खुद रास्ता भटक सकती है और न ही सरकार-समाज को भटकने देती है। संघ के पूर्व सहसरकार्यवाह एवं अभाविप के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री स्वर्गीय मदनदास देवी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्वर्गीय मदन दास देवी ने छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं को राह दिखाने का कार्य किया।
प्रो. यशवंत राव केलकर, बाल आप्टे, दत्ता जी डिडोलकर, नारायण राव भंडारी जैसे लोगों ने देशभर के छात्रों को अभाविप से जोड़ा। देश के हर क्षेत्र में अभाविप की सुगंध मिलेगी और जो भी श्रेष्ठ कर रहा है, वह कहीं न कहीं अभाविप से जुड़ा है। अभाविप के प्रकल्पों ने कश्मीर, उत्तर-पूर्व सहित अन्य क्षेत्रों को जोड़ा है। गृहमंत्री शाह ने कहा कि अब ऐसा समय है, जब संघर्ष नहीं, बल्कि काम करने की आवश्यकता है। युवाओं की ऊर्जा को रचनात्मक उपयोग करके राष्ट्र को पूर्ण विकसित करने के लिए कार्य करना होगा। अभाविप के कार्यकर्ताओं को यह संकल्प लेना चाहिए कि 2047 में जब देश अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, उस समय भारत हर क्षेत्र में प्रथम और विश्व में सबसे आगे होगा।
गति, प्रगति रुकनी नहीं चाहिए
अधिवेशन को अभाविप के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार भाटिया ने भी संबोधित किया। प्रस्तुत हैं उनके भाषण के संपादित अंश-
अभाविप इतनी प्रगति करेगी, यह मैंने कभी नहीं सोचा था। मैं जब अभाविप में कार्य करता था, तब इसके बारे में विस्तार से बताना पड़ता था। लेकिन इसका ध्यान रखना पड़ता था कि इसमें कहीं अतिश्योक्ति न हो। जो सच है, वही बताया जाए। एक प्रकार से यह बौद्धिक व्यायाम की तरह होता था। 20-30 वर्ष बाद अभाविप का वर्तमान स्वरूप उभर कर सामने आया। दिल्ली में 1971 में आयोजित अधिवेशन के समय मैं अभाविप का राष्ट्रीय महामंत्री था। उस समय अधिवेशन टेंट सिटी में हुआ था। 1985 में भी अधिवेशन का आयोजन टेंट सिटी में किया गया और अब एक बार फिर अधिवेशन का आयोजन टेंट सिटी में किया गया। अभाविप कई कार्य कर रही है, लेकिन अपने कार्यों को बढ़ा-चढ़ा कर बताने की परंपरा नहीं है।
अभाविप में कार्य करते हुए मैंने सबसे ज्यादा प्रो. यशवंत राव केलकर से सीखा। केलकर जी कहते थे कि अगर कार्यक्रम छह बजे होना है, तो इसका अर्थ छह बजे ही होता था। अगर सदस्यता की संख्या 1078 है, तो उसे लगभग 1,100 नहीं बोलना है। उनका सभी कार्यकर्ताओं से यह कहना था कि प्रामाणिकता को किसी तरह छोड़ना नहीं, बढ़ा-चढ़ाकर बोलना नहीं। देश भर में जो सदस्य संख्या है, सिर्फ उतना ही बोलना है। आज अभाविप की सदस्य संख्या लगभग 50,00,000 है। इस पर विश्वास नहीं होता, लेकिन यह सच है।
अभाविप आज अस्थाई जनसंख्या का स्थाई संगठन है, जो विश्व का सबसे बड़ा उदाहरण है। विश्व में ऐसा कोई संगठन है, इसकी जानकारी मुझे नहीं है, लेकिन भारत में है। जनसंख्या के हिसाब से भारत सबसे ऊपर पहुंच गया है। इतना बड़ा देश है, इतना पुराना देश है। वहां इस तरह के संगठन की न केवल गुंजाइश, बल्कि जरूरत है। अभाविप इस आवश्यकता को पूरा कर रही है। अभाविप का कार्य कॉलेज में होता है। अभाविप के माध्यम से ऐसे विद्यार्थी तैयार होते हैं, जो सामाजिक प्रतिबद्धता के लिए और देश को आगे ले जाने के लिए तैयार होते हैं। तब देश को पचास-साठ वर्ष के लिए ऐसे नागरिक मिलते हैं, जो देश को ऊंचाई तक ले जाते हैं। दत्ता जी डिडोलकर और प्रो. यशवंत राव केलकर का अभाविप में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
एक समय ऐसा भी आया जब अभाविप कठिन समय से गुजरने लगी। उस समय दत्ता जी अध्यक्ष बने और नेतृत्व किया। दत्ता जी संघ के प्रचारक थे, लेकिन बड़े भाई के निधन के बाद उन्होंने परिवार के लालन-पालन के लिए प्रचारक जीवन छोड़ दिया, पर वे गृहस्थ नहीं बने। बड़े भाई के परिवार का उन्होंने ध्यान रखा। साथ ही नागपुर में एक कोचिंग संस्थान शुरू किया। वह संस्थान अच्छा चलने लगा। इसके बावजूद वे सामाजिक कार्य से दूर नहीं हुए। उनके सम्मान में इस अधिवेशन में प्रदर्शनी का नामकरण दत्ता जी के नाम पर रखा गया। इसी तरह मदनदास जी के नाम पर सभागार का नाम रखा गया। अभाविप को ऐसे ही अनगिनत श्रेष्ठ कार्यकर्ताओं ने आगे बढ़ाया है। आशा है कि यह गति और प्रगति चलती रहेगी।
विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन
स्वाधीनता के बाद राष्ट्रीय एकता और भारत माता की साधना का लक्ष्य तथा स्वामी विवेकानंद को आदर्श मानकर युवा छात्रों के एक समूह ने अभाविप की नींव रखी थी, जो 9 जुलाई, 1949 को पंजीकृत हुआ। इसके बाद रचनात्मक दृष्टिकोण और शैक्षिक परिवार की संकल्पना को सामने रख देश के लिए योगदान देने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ती गई। आज यह विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन बन चुका है।
डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि अभाविप ने हमेशा ही आनंदमय सार्थक छात्र जीवन दर्शन पर विशेष जोर दिया है और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए कई प्रयास किए हैं। इन प्रयासों के सार्थक परिणाम भी देखने को मिले हैं। भारत आदिकाल से ज्ञानियों का देश रहा है, जिसने पूरे विश्व का मार्गदर्शन किया है। 75 वर्ष की गौरवशाली यात्रा में केवल विद्यार्थी परिषद ने प्रश्न ही नहीं, अपितु उनके समाधान भी प्रस्तुत किए हैं। देश के सभी शिक्षण संस्थानों मे राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का पूर्ण रूप से क्रियान्वयन हो, इसके लिए अभाविप प्रयासरत है। वहीं, याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि अभाविप का 69वां राष्ट्रीय अधिवेशन भारत के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है।
अभाविप देश में हुए सकारात्मक परिवर्तन का परिचायक रहा है और देश के युवाओं को एकत्रित कर उन्हें सकारात्मक दिशा प्रदान किया है। देश एक सुखद दौर से गुजर रहा है और रोजगार प्रदान करने का देश बन रहा है। भारत ने आपदा को अवसर में बदलकर विश्व के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है। राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने कहा कि अभाविप विचारों की प्रतिबद्धता और चरित्रवान विद्यार्थी निर्माण करने वाला विश्व का सबसे विराट छात्र संगठन है, जो अपनी स्थापना के 75 वर्ष बाद भी मजबूती से विस्तृत हो रहा है। अभाविप की घोषित यात्रा ‘ध्येय यात्रा’ है, किंतु हमारा उद्देश्य सभी को साथ लेकर चलना है। यही हमारी पारस्परिकता है। राष्ट्र हित के लिए जो भी निर्णय होगा, वह सभी मिल कर करेंगे।
झलकियां
- अधिवेशन में समदृष्टि, क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल ‘सक्षम’ द्वारा नेत्रदान शिविर आयोजित किया गया। इसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने नेत्रदान का संकल्प पत्र भरा।
- अधिवेशन स्थल पर एक ऐसी दुकान थी, जिसमें तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाई गई वस्तुओं को रखा गया था। इनमें बिस्कुट, लड़की से बने सामान, कुर्ते, शर्ट, चादर, खेस, तौलिया, कागज के बने थैले, फाइल कवर आदि थे। इन्हें लगभग 250 कैदियों ने बनाया था।
- अधिवेशन का मुख्य सभागार दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर जैसा बनाया गया था, जो लोगों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र था।
- अधिवेशन में ध्वजारोहण के उपरांत एक साथ 8,500 विद्यार्थियों और 150 दिव्यांग विद्यार्थियों ने वंदे मातरम् का गायन कर कीर्तिमान बनाया।
- कचरा प्रबंधन के लिए अभाविप के कबाड़ से जुगाड़ इंटर्नशिप में 250 छात्रों ने पंजीकरण कराया, जिसमें 100 छात्र चुने गए। उन्हें उपयोग के बाद बेकार प्लास्टिक की बोतलों से डस्टबिन, बोतलों से ढक्कन से अधिवेशन के लोगो बनाने तथा बेकार टायरों से स्टूल आदि बनाना सिखाया गया।
- भोजन की बर्बादी रोकने और अपशिष्ट प्रबंधन व निस्तारण के लिए अधिवेशन में जीरो फूड वेस्ट पॉलिसी सुनिश्चित किया गया। इसके लिए अभाविप के भोजन गट ने नारा दिया, ‘उतना ही लें थाली में कि व्यर्थ न हो नाली में।’ साथ ही, अपशिष्टों के पुनर्चक्रण के लिए सामाजिक संस्थाओं एवं शोध संस्थानों की सहभागिता सुनिश्चित की।
- अधिवेशन परिसर के ऊपर आसमान में ड्रोन शो का आयोजन किया गया, जिसके गवाह 10 हजार प्रतिनिधि बने। ड्रोन शो द्वारा आसमान में एबीवीपी 75 उकेरा गया। साथ ही, स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े विभूतियों के नाम भी ड्रोन से आसमान में लिखे गए।
अभाविप के आंदोलन
1975 : आपातकाल के खिलाफ आंदोलन।
1989-90: कश्मीर में हुए कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार और विस्थापन का मुखर विरोध।
2002 : ‘शिक्षा बचाओ-संस्कृति बचाओ’ आंदोलन के तहत 25 नवंबर, 2002 को 1 लाख छात्रों का दिल्ली में संसद भवन तक मार्च।
2008: ‘चलो चिकन नेक’ नाम से बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन तथा बिहार के किशनगंज में ऐतिहासिक रैली।
2011 : Outh Against Corruption के बैनर तले देशभर में फैले भ्रष्टाचार के विरुद्ध व्यापक जनाक्रोश की अभिव्यक्ति।
2012: निर्भया को न्याय दिलाने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया।
2015: किशोर न्याय विधेयक के समर्थन में इंडिया गेट पर अभूतपूर्व प्रदर्शन।
2017: ‘चलो केरल’ नाम से आंदोलन किया, जिसमें केरल में वामपंथ प्रायोजित हिंसा के विरोध में युवाओं का आंदोलन सड़कों पर उतरा।
2018: पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर जिले में बांग्ला भाषा को हटाकर उर्दू पढ़ाने के विरोध में रैली निकाली, जिसमें दो कार्यकर्ता राजेश सरकार और तपस कुमार बलिदान हुए।
2019-20: सीएए के समर्थन में देशव्यापी प्रदर्शन।
विशिष्ट अधिवेशन
आभाविप का यह राष्ट्रीय अधिवेशन विशिष्ट है, क्योंकि इस वर्ष विद्यार्थी परिषद ने अपने 75 में वर्ष अर्थात् अमृत महोत्सव वर्ष में प्रवेश किया है। अधिवेशन में देश-विदेश के लगभग 10,000 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिन्हें अभाविप के महत्वपूर्ण पड़ावों से परिचित कराया गया। विद्यार्थी आधुनिकता के साथ अपनी जड़ों से भी परिचित रहें तथा एक राष्ट्र के रूप में भारत की सतत प्रवाहमान यात्रा के स्वरूप को समझ सकें, इसी को ध्यान में रखते हुए अधिवेशन की योजना बनाई गई थी। अधिवेशन शिक्षा तथा युवाओं से जुड़े मुद्दों को दिशा देने वाला रहा। इसमें प्रतिनिधियों ने शिक्षा क्षेत्र में विभिन्न बदलावों की समसामयिक स्थिति पर चर्चा के साथ संगठनात्मक, रचनात्मक आंदोलन आत्मक विषयों तथा लक्षण के निर्धारण पर भी मंथन किया। अभाविप का अधिवेशन न केवल लघु भारत के चित्रण के रूप में प्रकट हुआ, बल्कि यह पूरे भारत में सकारात्मक ऊर्जा के संदेश को प्रसारित किया। दिल्ली पुलिस, दिल्ली नगर निगम, शासकीय विभाग सबके साथ समन्वय करते हुए इतने बड़े पैमाने पर युवाओं के समुद्र का सफल संचालन अपने आप में एक अभूतपूर्व घटना है। यह अधिवेशन स्वतंत्रता के बाद भारत में युवाओं का सबसे बड़ा समागम था।
Official Mail - ambuj.panchjanya@bpdl.in
अम्बुज भारद्वाज पाञ्चजन्य में सोशल मीडिया कॉर्डिनेटर के रूप में कार्यरत हैं। अम्बुज कई मुद्दों पर पाञ्चजन्य के लिए ग्राउंड रिपोर्टिंग भी कर चुके हैं। राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध और इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म विशेष रुचि के क्षेत्र हैं। उनके कई ग्राउंड रिपोर्टिंग और फेक न्यूज़ को उजागर करने वाली रिपोर्ट्स को देशभर में सराहा गया।
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