अमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को विश्व के सबसे बड़े हीरा ट्रेडिंग हब के तौर पर सूरत डायमंड बोर्स का उद्घाटन किया। इससे पूर्व उन्होंने सुबह सूरत हवाईअड्डे पर नए टर्मिनल का उद्घाटन किया। हवाईअड्डे पर उन्होंने नए टर्मिनल का भी निरीक्षण किया। हवाईअड्डे के अधिकारी ने उन्हें नए टर्मिनल की खासियत बताई। इसे बाद वे सूरत डायमंड बुर्स के लिए रवाना हुए। इस दौरान उन्होंने 8 किलोमीटर का रोड शो किया। सूरत डायमंड बोर्स बिल्डिंग में 4500 से अधिक दफ्तर हैं।
प्रधानमंत्री मोदी खास सूरती अंदाज में नजर आए। उन्होंने सूरतियों की खासियत, मौजिले स्वभाव और उद्यमशीलता की जमकर सराहना की। प्रधानमंत्री ने उद्यमियों, उनके परिवार और कर्मचारियों को संबोधित किया। आरंभ में उन्होंने गुजराती शैली में सूरतियों का मन मोह लिया। मोदी ने कहा कि सूरत यानी हूरत, सूरत के पास इतिहास का अनुभव, वर्तमान में रहते हुए भविष्य की दूरदर्शिता रखने वालों का नाम सूरत है। सूरत के लोग काम में लोचा कभी नहीं मारते, लेकिन लोचा खाना कभी नहीं छोड़ते। उन्होंने सूरतियों की खासियत गिनाते हुए कहा कि सूरती को भले ही कितनी भी जल्दीबाजी हो वे खाने-पीने की दुकानों पर आधे-आधे घंटा कतार में खड़े होकर इंतजार कर सकते हैं। चाहे जितनी भी बारिश हो, भजिया खाना है तो बस खाना ही है।
चंडी पड़वा त्योहार का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इस त्योहार में लोग सड़क किनारे बैठकर परिवार के साथ घारी खाते नजर आते हैं। भले ही सूरती समीप के चौराहे पर घूमने नहीं जाए, लेकिन विश्व में कहीं भी घूमने के लिए निकल पड़ते हैं। उन्होंने अपने अनुभव की चर्चा करते हुए कहा कि सौराष्ट्र के कई उनके मित्र जब 40 से 45 साल पहले सूरत आए तो उन्होंने उनसे पूछा कि उन्हें सूरत कैसा लगा तो अपने अच्छे अनुभव शेयर किये। उनके मित्रों का कहना है कि सौराष्ट्र में जब दो मोटरसाइकिल सवार जब आमने सामने टकरा जाते हैं तो दोनों के बीच तलवारें निकल पड़ती है, लेकिन सूरत में ऐसा नहीं है। सूरत में जब ऐसी घटना होती है तो वे कहते हैं कि आपकी भी भूल, मेरी भूल, छोड़ो जाने दें। सूरत में डायमंड उद्योग की भी उन्होंने जमकर सराहना की।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम है दर्ज
सूरत डायमंड बोर्स का नाम इस साल अगस्त में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। डायमंड बोर्स को बनाने में करीब 3,500 करोड़ रुपए की लागत आई है। इसका निर्माण फरवरी 2015 में शुरू हुआ था और अप्रैल 2022 में काम पूरा हुआ। परिसर 35 एकड़ में है। इमारत 15 मंजिल की है।
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