यूपी के बदायूं में हिन्दू महिला के शव के पोस्टमार्टम के दौरान आखें गायब होने के मामले में पुलिस ने डॉ आरिफ और डा. उवैस को गिरफ्तार किया गया है। शव के अंग गायब करने के शक में यह कार्रवाई की गई है। दोनों डाक्टरों ने शव का पोस्टमार्टम किया था। आंखें गायब होने की जानकारी परिवार को अंतिम संस्कार के वक्त लगी तो हंगामा खड़ा हो गया। केस दर्ज कर पुलिस कार्रवाई में जुट गई है।
पुलिस के अनुसार, बदायूं में थाना मुजरिया क्षेत्र के गांव रसूला निवासी जोगेन्द्र की पत्नी पूजा की रहस्यमय हालत में मौत हो गई थी। सूचना पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भिजवाया था। बताया गया है कि पोस्टमार्टम हाउस पर फ्रीजर में रखा गया था। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम सरकारी डाक्टर आरिफ और डॉ उवैस ने किया। इसके बाद मायके वाले अंतिम संस्कार के लिए पूजा के शव को अपने गांव कुतरई लेकर गए थे।
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अंत्येष्टि के लिए शव को घरवालों ने जब बॉडी बाक्स से बाहर निकाला तो मृत महिला की आंखें गायब मिलीं। इसे लेकर हंगामा खड़ा हो गया। परिवार ने मामले की शिकायत डीएम से की तो प्रशासन हरकत में आ गया। जिलाधिकारी मनोज कुमार ने शव की आंखें गायब होने की जांच के लिए बदायूं मेडिकल कॉलेज के तीन डाक्टर का बोर्ड गठित किया है। डाक्टरों के पैनल से शव का दोबारा से पोस्टमार्टम कराया गया है।
परिवार की शिकायत पर पुलिस ने मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम की धारा 18 और मानव भावनाओ को ठेस पहुंचाने की धारा 297 के तहत रिपोर्ट दर्ज की है। पुलिस को पोस्टमार्टम करने वाले स्टाफ पर मानव अंग चोरी करने का शक है। एसएसपी ओपी सिंह ने मीडिया को बताया कि प्रारंभिक जांच में पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टर आरिफ और उवैस दोषी पाए गए हैं। दोनों डाक्टर ने पोस्टमार्टम के समय परिवार को आंखें गायब होने की जानकारी नहीं दी थी। इतना ही नहीं, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृत महिला की आंखें गायब होने का उल्लेख नहीं किया। इसे लेकर दोनों डा. आरिफ और डा. उवैस को गिरफ्तार कर लिया गया है। एक ओर जहां पुलिस तेजी से मामले की छानबीन में जुटी हैं, वहीं दूसरी ओर मेडिकल बोर्ड ने भी मृत महिला की आंखें गायब होने के मामले की जांच शुरू कर दी है।
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