पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक बार फिर पंजाब सरकार की मुफ्त तीर्थ यात्रा योजना पर सवाल उठाया है। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि योजना गलत नहीं है, लेकिन इस पर करोड़ों खर्च करने से पहले सरकार एक बार राज्य की दशा भी देखे। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसी योजना से क्या भलाई होगी, यदि यह पैसा बेरोजगारों को ऑटो दिलाने में खर्च कर दिया जाता तो उनके लिए जिंदगीभर के रोजगार का इंतजाम हो जाता।
हाईकोर्ट ने अब इस मामले में दो सप्ताह में पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। होशियारपुर निवासी परविंदर सिंह किटाना ने अपने वकील एचसी अरोड़ा के माध्यम से 27 नवंबर को शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना को चुनौती दी थी। सरकार की मंशा इस योजना के माध्यम से 50 हजार लोगों को मुफ्त तीर्थ यात्रा करवाने की है और इसमें कुल 40 करोड़ रुपये खर्च होगा, जो करदाताओं के पैसे की बर्बादी है। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने बताया कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के अलावा कई अन्य राज्यों में ऐसी योजना चल रही है। इसके लिए केवल 40 करोड़ रुपये ही रखे हैं।
इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आम लोगों के पैसे कैसे इस तरह को स्कीम में लगाए जा रहे हैं, यह राशि अन्य कामों में लगाई जा सकती है। राज्य की जेलों का बुरा हाल है, वहां क्यों नहीं कोई स्कीम लाई जाती। अदालत ने कहा कि भावी पीढ़ी को शिक्षा और रोजगार की जरूरत है, उस पर पैसे क्यों नहीं खर्च होते। यदि सरकार इस पैसे से ऑटो खरीद बेरोजगारों को दे दिया जाए तो उसके जीवनभर के रोजगार का इंतजाम हो जाएगा। इस पर सरकार की तरफ से बताया गया कि हम संतुलन बनाने की कोशिश करेंगे। सरकार ने बताया, एक रेल यात्रा पर जा चुकी है, पर दूसरी की टिकट बुक हो चुकी हैं। कुछ देर चली बहस के बाद उच्च न्यायालय ने फिलहाल बिना कोई निर्देश दिए सुनवाई दो हफ्तों के लिए स्थगित कर दी।
टिप्पणियाँ